रायपुर : छत्तीसगढ़ में जैसी ही बीजेपी सत्ता में वापस आई,वैसे ही सभी ने एकजुट होकर जीत दर्ज करने का नारा दिया.लेकिन इस जीत में कई दिग्गज सामने आए हैं. जिन्हें कहीं से भी कमतर नहीं आंका जा सकता.इस बार का चुनाव बीजेपी ने किसी एक चेहरे पर नहीं लड़ा.कई एक्सपेरिमेंट भी पार्टी ने किए.जो सटीक निशाने पर लगे.अब बारी है सीएम का चुनाव करने की.जिसे लेकर दिल्ली में गुरुवार को संसदीय दल की बैठक हुई.आईए जानते हैं इसमें किसका नाम निकलकर आया.
दिल्ली में बीजेपी आलाकमान कर रहा मंथन : तीन राज्यों में प्रचंड जीत के बाद दिल्ली संसद भवन में संसदीय दल की बैठक हुई.जिसमें पीएम मोदी ने जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं को दिया है.इस बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री पद के दावेदारों पर चर्चा हुई. आलाकमान प्रदेश में एक्सपीरियंस के साथ युवा चेहरे का तालमेल बिठाया जा सकता है.
रायपुर आएंगे पर्यवेक्षक : सूत्रों के मुताबिक सीएम पद के लिए दिल्ली में सीएम दावेदार का नाम तय कर लिया गया है. बीजेपी की ओर से ओम माथुर ,नितिन नबीन के साथ एक अन्य पर्यवेक्षक रायपुर आएंगे. ये पर्यवेक्षक नामों को लेकर सभी विधायकों से रायशुमारी करेंगे.इसके बाद ही सीएम के नाम पर फैसला होगा.
बुधवार को दो सांसदों ने दिया इस्तीफा : आपको बता दें कि दिल्ली में बुधवार को अरुण साव और गोमती साय ने इस्तीफा दिया था.जबकि रेणुका सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया है. तीनों ने ही एक स्वर में ये कहा है कि पार्टी जो भी निर्देश देगी उसका पालन होगा.ऐसे में इतनी तस्वीर तो साफ हो चुकी है कि इन्हीं तीनों नेताओं की बड़ी भूमिकाएं प्रदेश में होने वाली है.
क्या ओबीसी चेहरे को मिलेगी कमान ? : छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सबसे ज्यादा टिकट ओबीसी वर्ग को बांटा था. 47 फीसदी वोटर्स प्रदेश में ओबीसी है.लिहाजा ओबीसी कैंडिडेट में सबसे पहला नाम अरुण साव का है.जिन्होंने चुनाव से पहले प्रदेशाध्यक्ष का कमान संभालकर जिम्मेदारी बखूबी निभाई.
क्या महिला नेता को बनाया जा सकता है सीएम ? : लोकसभा चुनाव सामने है.लिहाजा बीजेपी सीएम पद काफी सोच समझकर देगी. यदि अरुण साव सीएम नहीं चुने जाते तो महिला उम्मीदवारों पर पार्टी दाव खेल सकती है.
- पहले नंबर पर रेणुका सिंह हैं.जिनकी जीत मुश्किल मानी जा रही थी.क्योंकि उन्हें बाहरी बताकर विरोधियों ने घेरा था.फिर भी वो जीतीं.अब रेणुका सिंह एक आदिवासी चेहरा है.लिहाजा बीजेपी आदिवासी वर्ग को खुश करने के लिए रेणुका सिंह को चुन सकती है.
- दूसरे नंबर पर लता उसेंडी हैं.जिन्होंने पूर्व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को पटखनी दी है.लता उसेंडी बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.साथ ही साथ बस्तर में महिला सशक्तिकरण का बड़ा चेहरा भी हैं.
- तीसरे नंबर पर गोमती साय हैं. गोमती साय ने पत्थलगांव विधानसभा से चुनाव जीता है.सरल स्वभाव और पार्टी के दायित्व को गंभीरता से निभाने के कारण पार्टी गोमती को भी चुन सकती है.
आदिवासी वर्ग से हो सकता है मुख्यमंत्री : 2018 में बस्तर ने बीजेपी को पूरी तरह से नकारा था.यही वजह रही कि लोकसभा सीट भी पार्टी के हाथ से चली गई थी.इस बार के चुनाव में बस्तर ने बीजेपी को सत्ता की चाबी दिलाई है.इसलिए यदि सीएम पद पर किसी आदिवासी को बिठाया जाए तो इसमें बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसे में सबसे पहला नाम यदि किसी का आता है तो वो है विष्णुदेव साय.जो केंद्र में मंत्री रह चुके हैं.साथ ही साथ प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर एक्सपीरियंस को तवज्जो : यदि कई सारे समीकरणों को देखने के बाद भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी तो पार्टी एक बार फिर रमन सिंह के अनुभव को देखते हुए उन्हें चौथी बार सीएम बना सकती है.लोकसभा चुनाव और मैनेजमेंट के साथ कम समय में नए सिरे से तैयारी करना किसी भी नए सीएम के लिए चुनौती से भरा होगा.यदि रमन सिंह को कमान दी जाती है तो उनका अनुभव कम समय में लोकसभा की तैयारी करके बीजेपी बिग्रेड को रेडी कर देगा.