भिलाई: भिलाई के इस्पात संयंत्र के अधीन बना मैत्री बाग भारत और रूस की मित्रता के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया गया है. इसका विकास और रखरखाव भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL) की ओर से किया गया था. ये साल 1972 में स्थापित किया गया था. भिलाई के मैत्री बाग मनोरंजन में कृत्रिम झील, टॉय ट्रेन और प्रगति मीनार में नौका विहार की सुविधा है.
क्षेत्र का सबसे बड़ा जू है मैत्री बाग: मैत्री बाग इस क्षेत्र का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है. भिलाई का मैत्री गार्डन एक ऐसा जू है, जिसमें सफेद शेर रखे गए हैं. देश पर में सबसे अधिक शेरों का प्रजनन मैत्री गार्डन में होता है. अब तक इस जू से इंदौर, गुजरात, बंगाल सहित देश के कई राज्यों में सफेद शेर भेजे गए हैं. यह जू देश के लिए एक विख्यात जू है. इसका निर्माण भारत और सोवियत संघ रूस की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर हुआ था. ये बाग भिलाई स्टील प्लांट के निर्माण के समय बना था.
व्हाइट टाइगर के लिए जाना जाता है ये जू: भिलाई का मैत्री बाग जू 111 एकड़ तक फैला हुआ है. ये जू व्हाइट टाइगर के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यहां अलग-अलग प्रजातियों के पशु-पक्षी आपको देखने मिलेगे. कुछ महीने पहले ही 3 व्हाइट टाइगर का जन्म हुआ था. यहां अब कुल 9 व्हाइट टाइगर हो गए हैं.
भिलाई से अब तक कुल 12 व्हाइट टाइगर भेजे जा चुके है. यहां हर दिन हजारों की संख्या में दर्शक आते हैं. साल में एक लाख तक दर्शक यहां पर घूमने आते हैं. इसके अलावा यहां कई विदेशी पक्षी-पशु हैं, जो आकर्षण का केन्द्र हैं. -नवीन कुमार जैन, मैत्री बाग के मैनेजर
बता दें दुर्ग के मैत्री बाग में भी एक-एक कर व्हाइट टाइगर की मौत के साथ ही टाइगर की संख्या घटते जा रही थी. हालांकि 28 अप्रैल को व्हाइट टाइगर का कुनबा बढ़ गया. रक्षा ने एक साथ तीन नन्हें शावकों को जन्म दिया. इनका नाम रुस्तम, राणा और बॉबी रखा गया है. यहां घूमने आने वाले बच्चे भी इन शावकों को देखकर खुश हो जाते हैं.