दुर्ग : छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की समृद्धि और पशुधन के पूर्ण दोहन के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी, जिसके फलस्वरूप किसानों को अब इसका फायदा भी मिल रहा है. जिले में किसान गोबर बेचकर कमाई कर रहे हैं.
प्रदेश में 20 जुलाई को यानी हरेली त्योहार के अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से गोबर खरीदने के लिए गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना के अंतर्गत दुर्ग जिले के सभी 216 गौठानों में इसकी शुरुआत की गई थी. इस योजना के अंतर्गत पशुपालकों से गोबर की खरीदी की जा रही है. वहीं इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के संबंध में कलेक्टर ने आवश्यक निर्देश जारी किए हैं.
कलेक्टर ने दिए अधिकारियों को निर्देश
दुर्ग कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने इस संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं. बता दें कि योजना के क्रियान्वयन के संबंध में मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलों के कलेक्टरों को जरूरी निर्देश दिए हैं. वहीं अधिकारियों को विस्तार से गोबर की खरीदी, इसके पेमेंट और इससे संबंधित रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था से संबंधित आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही खरीदे गए गोबर के बेहतर रखरखाव के लिए आवश्यक तकनीकी निर्देश भी गौठान समितियों को दिए गए हैं.
कम्पोस्ट टैंक बनाने के निर्देश
वहीं सीएम बघेल ने गौठानों में अधिकाधिक कम्पोस्ट टैंक बनाने के निर्देश भी दिए हैं. गौठान में पशुपालकों से गोबर की खरीदी शासन के निर्धारित दर से किया जाएगा. वर्तमान में सरकार दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी कर रही है. कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने कहा कि जिस गोबर को बिना काम का बताकर छोड़ दिया जाता है, गोधन न्याय योजना के तहत उसी गोबर को बेचकर किसानों के घर में समृद्धि आएगी. साथ ही इससे प्रदेश में जैविक कृषि की क्रांति भी आ सकती है.
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मंत्रिमंडल की उपसमिति ने गोबर खरीदी के लिए प्रति किलो डेढ़ रुपए रखने का सुझाव दिया है. कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने बताया कि जिले के गौठानों से अब तक 50 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी हैं. कलेक्टर ने बताया कि गौठानों से खरीदे गए गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है.
ये है गोधन न्याय योजना
'गोधन न्याय योजना' छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों, किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचाने की प्रदेश सरकार की एक नई योजना है. इस योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिसके जरिए गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण और अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे. इससे गांव के लोगों को रोजगार और आर्थिक लाभ मिल सकेगा.