धमतरी : प्रदेश में धान की खेती करने वाले किसानों को हो रहे नुकसान की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव भुरसीडोंगरी में रहने वाले किसान अरुण सार्वा ने तमाम नाकामयाबियों के बाद अपनी कड़ी मेहनत से खेती को लाभ का धंधा बनाया है.
अरुण बताते हैं कि पहले वो सामान्य किसानों की तरह ही धान की खेती किया करते थे, लेकिन इसमें मेहनत अधिक और लाभ कम होता था, इसके बाद साल 2007 में उन्होंने टपक तकनीक से सब्जी की खेती शुरू करना शुरू किया. इस तकनीक के लिए उन्होंने सरकार की योजनाओं के तहत सब्सिडी भी मिली.
2 एकड़ की शुरूआत आज 230 एकड़
किसान अरुण सार्वा बताते हैं कि 2 एकड़ से इसकी शुरुआत की थी और आज 230 एकड़ में सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. वो 230 एकड़ में मौसमी सब्जी बैगन, करेला, पपीता, टमाटर, मिर्च, भिंडी, खीरा, मटर, शिमला मिर्च सहित कई अन्य सब्जियां उगाते हैं. अरुण की सब्जियां प्रदेश की सीमाओं से बाहर अन्य प्रदेशों में भी सप्लाई की जाती हैं.
आस पास के गांव में मिशाल
किसान अरुण ने अपनी हिम्मत के बल पर न केवल अपनी तकदीर बल्कि पूरे इलाके की भी तस्वीर बदल डाली. दूर-दूर से किसान उनके खेत देखने और उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं. मौजूदा वक्त में अरुण के नक्शेकदम पर चलते-चलते इलाके के कई अन्य किसान भी इस तरह की खेती के तरीके अपना रहे हैं. इलाके में अलग अलग किसान करीब 1 हजार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं. वहीं कई बेरोजगार लोगों को भी इससे काम मिल रहा है.
युवा समझें की, कृषि देश की अर्थव्यवस्था
अरुण बताते हैं कि खेती के प्रति उनका लगाव बचपन से ही है और अब वे इस काम से बेहद खुश हैं. वे कहते हैं कि सब्जी की खेती अगर अच्छे से की जाए और बाजार में अच्छा भाव मिले तो किसान प्रति एकड़ 50 हजार से 2 लाख रुपए तक कमा सकता है. अरुण का कहना है कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लिहाजा युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि की ओर कदम बढ़ाना चाहिए. खेती-किसानी में आज भी कई अवसर हैं जिनका युवा लाभ उठा सकते हैं.
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धान पर भी राय
अरुण का कहना है कि धमतरी के ग्रामीण इलाके की एक खासियत है कि यहां दुबराज की सुगंधित किस्म के धान की खेती आराम से की जा सकती है. दुबराज की खेती में किसी उर्वरक या कैमिकल रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती, लिहाजा किसान इसकी खेती कर प्रति एकड़ 50 से 1 लाख रुपए तक कमा सकते हैं.
अरुण सर्वा क्षेत्र में मिसाल बन चुके हैं. उन्होंने कृषि की उन्नत तकनीक के जरिए पैदावार बढ़ाकर कामयाबी हासिल की और ये साबित करके दिखाया कि ठान लिया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.