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SPECIAL: धान से परेशान होकर फल और सब्जी लगाई, हुई लाखों की कमाई

अरुण ने अपने हौसलों से विकट परिस्थितियों को मात दी और आज के सफल किसान बनकर अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं.

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किसान अरुण सार्वा सब्जी के किसान
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Published : Jan 3, 2020, 11:04 AM IST

Updated : Jan 3, 2020, 11:15 AM IST

धमतरी : प्रदेश में धान की खेती करने वाले किसानों को हो रहे नुकसान की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव भुरसीडोंगरी में रहने वाले किसान अरुण सार्वा ने तमाम नाकामयाबियों के बाद अपनी कड़ी मेहनत से खेती को लाभ का धंधा बनाया है.

पैकेज.

अरुण बताते हैं कि पहले वो सामान्य किसानों की तरह ही धान की खेती किया करते थे, लेकिन इसमें मेहनत अधिक और लाभ कम होता था, इसके बाद साल 2007 में उन्होंने टपक तकनीक से सब्जी की खेती शुरू करना शुरू किया. इस तकनीक के लिए उन्होंने सरकार की योजनाओं के तहत सब्सिडी भी मिली.

2 एकड़ की शुरूआत आज 230 एकड़
किसान अरुण सार्वा बताते हैं कि 2 एकड़ से इसकी शुरुआत की थी और आज 230 एकड़ में सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. वो 230 एकड़ में मौसमी सब्जी बैगन, करेला, पपीता, टमाटर, मिर्च, भिंडी, खीरा, मटर, शिमला मिर्च सहित कई अन्य सब्जियां उगाते हैं. अरुण की सब्जियां प्रदेश की सीमाओं से बाहर अन्य प्रदेशों में भी सप्लाई की जाती हैं.

आस पास के गांव में मिशाल
किसान अरुण ने अपनी हिम्मत के बल पर न केवल अपनी तकदीर बल्कि पूरे इलाके की भी तस्वीर बदल डाली. दूर-दूर से किसान उनके खेत देखने और उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं. मौजूदा वक्त में अरुण के नक्शेकदम पर चलते-चलते इलाके के कई अन्य किसान भी इस तरह की खेती के तरीके अपना रहे हैं. इलाके में अलग अलग किसान करीब 1 हजार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं. वहीं कई बेरोजगार लोगों को भी इससे काम मिल रहा है.

युवा समझें की, कृषि देश की अर्थव्यवस्था
अरुण बताते हैं कि खेती के प्रति उनका लगाव बचपन से ही है और अब वे इस काम से बेहद खुश हैं. वे कहते हैं कि सब्जी की खेती अगर अच्छे से की जाए और बाजार में अच्छा भाव मिले तो किसान प्रति एकड़ 50 हजार से 2 लाख रुपए तक कमा सकता है. अरुण का कहना है कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लिहाजा युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि की ओर कदम बढ़ाना चाहिए. खेती-किसानी में आज भी कई अवसर हैं जिनका युवा लाभ उठा सकते हैं.

पढ़ें: रायपुर: गोकुल नगर में कारोबारी की गोली मारकर हत्या और लूट

धान पर भी राय
अरुण का कहना है कि धमतरी के ग्रामीण इलाके की एक खासियत है कि यहां दुबराज की सुगंधित किस्म के धान की खेती आराम से की जा सकती है. दुबराज की खेती में किसी उर्वरक या कैमिकल रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती, लिहाजा किसान इसकी खेती कर प्रति एकड़ 50 से 1 लाख रुपए तक कमा सकते हैं.

अरुण सर्वा क्षेत्र में मिसाल बन चुके हैं. उन्होंने कृषि की उन्नत तकनीक के जरिए पैदावार बढ़ाकर कामयाबी हासिल की और ये साबित करके दिखाया कि ठान लिया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.

धमतरी : प्रदेश में धान की खेती करने वाले किसानों को हो रहे नुकसान की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन मुख्यालय से महज 90 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गांव भुरसीडोंगरी में रहने वाले किसान अरुण सार्वा ने तमाम नाकामयाबियों के बाद अपनी कड़ी मेहनत से खेती को लाभ का धंधा बनाया है.

पैकेज.

अरुण बताते हैं कि पहले वो सामान्य किसानों की तरह ही धान की खेती किया करते थे, लेकिन इसमें मेहनत अधिक और लाभ कम होता था, इसके बाद साल 2007 में उन्होंने टपक तकनीक से सब्जी की खेती शुरू करना शुरू किया. इस तकनीक के लिए उन्होंने सरकार की योजनाओं के तहत सब्सिडी भी मिली.

2 एकड़ की शुरूआत आज 230 एकड़
किसान अरुण सार्वा बताते हैं कि 2 एकड़ से इसकी शुरुआत की थी और आज 230 एकड़ में सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. वो 230 एकड़ में मौसमी सब्जी बैगन, करेला, पपीता, टमाटर, मिर्च, भिंडी, खीरा, मटर, शिमला मिर्च सहित कई अन्य सब्जियां उगाते हैं. अरुण की सब्जियां प्रदेश की सीमाओं से बाहर अन्य प्रदेशों में भी सप्लाई की जाती हैं.

आस पास के गांव में मिशाल
किसान अरुण ने अपनी हिम्मत के बल पर न केवल अपनी तकदीर बल्कि पूरे इलाके की भी तस्वीर बदल डाली. दूर-दूर से किसान उनके खेत देखने और उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं. मौजूदा वक्त में अरुण के नक्शेकदम पर चलते-चलते इलाके के कई अन्य किसान भी इस तरह की खेती के तरीके अपना रहे हैं. इलाके में अलग अलग किसान करीब 1 हजार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं. वहीं कई बेरोजगार लोगों को भी इससे काम मिल रहा है.

युवा समझें की, कृषि देश की अर्थव्यवस्था
अरुण बताते हैं कि खेती के प्रति उनका लगाव बचपन से ही है और अब वे इस काम से बेहद खुश हैं. वे कहते हैं कि सब्जी की खेती अगर अच्छे से की जाए और बाजार में अच्छा भाव मिले तो किसान प्रति एकड़ 50 हजार से 2 लाख रुपए तक कमा सकता है. अरुण का कहना है कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. लिहाजा युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि की ओर कदम बढ़ाना चाहिए. खेती-किसानी में आज भी कई अवसर हैं जिनका युवा लाभ उठा सकते हैं.

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धान पर भी राय
अरुण का कहना है कि धमतरी के ग्रामीण इलाके की एक खासियत है कि यहां दुबराज की सुगंधित किस्म के धान की खेती आराम से की जा सकती है. दुबराज की खेती में किसी उर्वरक या कैमिकल रसायनों की जरूरत नहीं पड़ती, लिहाजा किसान इसकी खेती कर प्रति एकड़ 50 से 1 लाख रुपए तक कमा सकते हैं.

अरुण सर्वा क्षेत्र में मिसाल बन चुके हैं. उन्होंने कृषि की उन्नत तकनीक के जरिए पैदावार बढ़ाकर कामयाबी हासिल की और ये साबित करके दिखाया कि ठान लिया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.

Intro:इस किसान ने बदली अपनी तकदीर,सब्जी की खेती कर कमा रहा है मुनाफा

मुनाफे की खेती के तरीकों से धमतरी जिले के एक किसान ने अपनी तकदीर खुद अपने हाथों से लिख दी.जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम भुरसीडोंगरी में रहने वाले युवा किसान अरूण सार्वा पहले सामान्य किसानों की तरह ही धान की खेती किया करते थे लेकिन धान के फसल में नुकसान होता देख इस किसान ने सब्जी की खेती करने की ठानी और अब उन्नत कृषि के तरीको से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहा है वैसे मुनाफे की खेती ने इस किसान को समृद्ध तो बनाया है वही दिगर किसानों के लिए यह नजीर भी बना दिया है.

कहते है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता, लेकिन यह भी सच है कि एक अकेला दीपक अपने आसपास का अन्धेरा दूर कर देता है साथ ही अपने जैसे दूसरे अनेक दीपकों की लौ को भी प्रज्ज्वलित कर देता है किसान अरूण ने भी यही किया.किसान अरूण ने अपनी चाहत के बल पर न केवल अपनी तकदीर बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर बदल डाली.दूर-दूर से किसान उनके खेत देखने व उनसे खेती से फायदे के गुर सीखने आते है उन्होंने कृषि की उन्नत तकनीक के जरिए पैदावार लेकर कामयाबी हासिल की और यह साबित करके दिखा दिया कि कुछ भी मुश्किल नहीं है.

कभी पानी की कमी और कभी उसकी अधिकता से फसलों को मरते देखने वाले जिले के वनाचंल इलाके में रहने वाले इस किसान की हिम्मत कई बार टूटी.मौसम की मार ने कई बार लाखों का नुकसान भी पहुंचाया लेकिन इस किसान ने हार नहीं मानी.खेती करने और इसे लाभ का धंधा बनाने की जिद से आज वनाचंल इलाके के किसान अरूण सार्वा उन्नतशील किसान बन गए है.एक तरफ जहां किसानों के लिए खेती का मतलब धान का पैदावार करना होता है तो वही अरूण सब्जी की खेती कर अपना लोहा मनवा रहा है.किसान अरूण सार्वा बताते है कि उन्होंने इसकी शुरुआत 2 एकड़ से की और इसके बाद आज 220 एकड़ में सब्जियों का उत्पादन कर रहा है.महज 12 साल के अवधि में उसने बड़े पैमाने पर खेती की जिसके बदौलत उनके उगाए सब्जी आज उड़ीसा दिल्ली तक मशहूर है.मौजूदा वक्त में यह किसान तकरीबन 220 एकड़ में मौसमी सब्जी,बैगन,करेला,पपीता,टमाटर,मिर्च,भिण्डी,खीरा सहित मटर शिमलामिर्च आदि का बंपर उत्पादन कर प्रदेश के अलग अलग मंडियों में ब्रिकी कर रहे है इसके आलावा देश के अलग अलग राज्यों में भी सब्जी निर्यात कर रहे है.

किसान अरूण के आधुनिक खेती की नई पहल ने अन्य किसानों के चेहरे पर नई उमंग ला दिया है.मौजूदा वक्त में अरूण के नक्शेकदम पर चलते इलाके कई किसान इस तरह की खेती के तरीके अपना रहे है और तरक्की कर रहे है आलम ये है कि इलाके में अलग अलग किसान करीब 1 हजार एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे है.वही कई बेरोजगार नवयुवको को भी सब्जी बाड़ी में काम मिल रहा है.किसान अरूण बताते है कि खेती के प्रति उनका लगाव बचपन से है और अब वे इस काम से बेहद खुश है.वे कहते है कि सब्जी की खेती अगर अच्छे से किया जाए और बाजार में अच्छा भाव मिले तो किसान प्रति एकड़ 50 हजार से 2 लाख रु तक कमा सकते है उनका ये भी कहना है कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लिहाज़ा युवाओं को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि की ओर कदम बढ़ाना चाहिए.


बहरहाल आज हमारे समाज व देश को ऐसे ही लोगों की जरूरत है, क्योंकि सरकार तो सिर्फ मदद कर सकती है, रास्ता दिखा सकती है अपने उत्थान के लिए पहल तो किसानों को स्वयं ही करनी होगी अतः अरूण जैसे किसानों की हौसला अफजाई जरूरी है.
बाइट.... अरुण सार्वा किसान
बाइट.... पोखराज कश्यप युवा किसान
बाइट.... फलेश साहू किसान
जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरीBody:8319178303Conclusion:
Last Updated : Jan 3, 2020, 11:15 AM IST
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