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धान काटते समय महिलाएं गाती हैं ददरिया, झूमर में दिखता है पक्षी प्रेम

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Published : Dec 14, 2019, 8:23 PM IST

Updated : Dec 14, 2019, 11:59 PM IST

छत्तीसगढ़ की महिलाएं इन दिनों धान की फसल काटने का कार्य कर रही हैं. इसके लिए ये महिलाएं मिलजुल कर खेतों में काम करते समय मनोरंजन के लिए छत्तीसगढ़ी गीतों को गाती हैं. यह नजारा काफी मोहक होता है.

Women sing Dadaria song while cutting paddy
धान काटते खेतों में महिलाएं गाती है ददरिया

धमतरी: छत्तीसगढ़ लोक गीतों का कुबेर है और ये मेहनतकश इंसानों की धरती है. यहां न जंगल जमीन की कमी है न डोली डांगर की. हरे-भरे खेत-खार, जंगल-पहाड़, धन-धान्य से भरे कोठार जैसे इस धरती के श्रृंगार हैं. वहीं इस रत्नगर्भा धरती की कला और संस्कृति भी ठीक इन्द्र-धनुष की तरह बहुरंगी है. यहां लोक गीतों का अक्षय भंडार है. इन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा ये भी है कि खेतों में काम करते वक्त ग्रामीण महिलाएं करमा, ददरिया सहित सुआ गीत गुनगुनाती हैं. इसके पीछे मनोरंजन होता ही है साथ ही आसानी से दिन कट जाता है और काम का काम हो जाता है.

खेतों में काम करते वक्त ये महिलाएं मनोरंजन के लिए गाती है लोकगीत

सहयोग के बदले नहीं लेते कोई मूल्य
जिले के वनांचल इलाके में आज भी किसान एक दूसरे के धान कटाई के लिए सहयोग किया करते हैं. इससे नकद का लेन-देन नहीं होता और इससे किसानों के पैसे भी बचते हैं. इसके अलावा यहां खेतों में लोग आज भी ददरिया सहित अन्य लोकगीतों का गान करते हैं. महिला मजदूर बताती हैं कि काम को मनोरंजक बनाने के लिए काम करते समय इस गीत को गाती हैं, जिससे काम की थकान भी मिट जाता है. शायद यही वजह है कि आज भी यह परंपरा ग्रामीण क्षेत्रों में बदस्तूर जारी है. आज भी खेतों में काम करते ग्रामीणों से यह गीत सुना जा सकता है.

पढ़ें- धमतरी में लखमा का डोर टू डोर प्रचार, कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने की अपील

ग्रामीण इलाके में है झूमर बनाने की परंपरा
छत्तीसगढ़ में धान के बालियों को गूंथकर घर के मुख्य द्वार पर सजाने का चलन है. कहा जाता है कि लक्ष्मी के आगमन के लिए यह झूमर स्वागत स्वरूप होता है. यह झूमर नई फसल से मिले धान की बालियों को गूंथकर पंछियों के लिए दाना चुगने के लिए बनाया जाता है और बालियों से बने झूमर को घर के मुख्य द्वार पर लटकाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि खेत में उगने वाले अनाज पर सबका अधिकार है. लिहाजा जिले में झूमर बनाने की पंरपरा आज भी कायम है.

धमतरी: छत्तीसगढ़ लोक गीतों का कुबेर है और ये मेहनतकश इंसानों की धरती है. यहां न जंगल जमीन की कमी है न डोली डांगर की. हरे-भरे खेत-खार, जंगल-पहाड़, धन-धान्य से भरे कोठार जैसे इस धरती के श्रृंगार हैं. वहीं इस रत्नगर्भा धरती की कला और संस्कृति भी ठीक इन्द्र-धनुष की तरह बहुरंगी है. यहां लोक गीतों का अक्षय भंडार है. इन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा ये भी है कि खेतों में काम करते वक्त ग्रामीण महिलाएं करमा, ददरिया सहित सुआ गीत गुनगुनाती हैं. इसके पीछे मनोरंजन होता ही है साथ ही आसानी से दिन कट जाता है और काम का काम हो जाता है.

खेतों में काम करते वक्त ये महिलाएं मनोरंजन के लिए गाती है लोकगीत

सहयोग के बदले नहीं लेते कोई मूल्य
जिले के वनांचल इलाके में आज भी किसान एक दूसरे के धान कटाई के लिए सहयोग किया करते हैं. इससे नकद का लेन-देन नहीं होता और इससे किसानों के पैसे भी बचते हैं. इसके अलावा यहां खेतों में लोग आज भी ददरिया सहित अन्य लोकगीतों का गान करते हैं. महिला मजदूर बताती हैं कि काम को मनोरंजक बनाने के लिए काम करते समय इस गीत को गाती हैं, जिससे काम की थकान भी मिट जाता है. शायद यही वजह है कि आज भी यह परंपरा ग्रामीण क्षेत्रों में बदस्तूर जारी है. आज भी खेतों में काम करते ग्रामीणों से यह गीत सुना जा सकता है.

पढ़ें- धमतरी में लखमा का डोर टू डोर प्रचार, कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने की अपील

ग्रामीण इलाके में है झूमर बनाने की परंपरा
छत्तीसगढ़ में धान के बालियों को गूंथकर घर के मुख्य द्वार पर सजाने का चलन है. कहा जाता है कि लक्ष्मी के आगमन के लिए यह झूमर स्वागत स्वरूप होता है. यह झूमर नई फसल से मिले धान की बालियों को गूंथकर पंछियों के लिए दाना चुगने के लिए बनाया जाता है और बालियों से बने झूमर को घर के मुख्य द्वार पर लटकाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि खेत में उगने वाले अनाज पर सबका अधिकार है. लिहाजा जिले में झूमर बनाने की पंरपरा आज भी कायम है.

Intro:धान काटते खेतों में महिलाएं गाती है ददरिया,ग्रामीण इलाको में झुमर बनाने की है पंरपरा

छत्तीसगढ़ अपनी विविध संस्कृति और पंरपराओं के लिए जाने जाते है यहां के वनाचंल इलाकों सहित ग्रामीण इलाको में आज भी लोग अपनी जिम्मेदारियों को बोझ न समझकर हंसते गाते निपटाने की पंरपरा को निभाते चले आ रहे है.इन्ही पंरपराओं में से एक पंरपरा ये भी है कि खेतो में काम करते वक्त ग्रामीण करमा ददरिया सहित सुआ गीत गुनगुनाते है.इसके पीछे मनोरंजन होता ही है साथ ही आसानी से दिन कट जाता है और काम का काम हो जाता है.

दरअसल छत्तीसगढ़ लोक गीतों का कुबेर है और ये मेहनतकश इंसानों की धरती है,किसान और बसुंधरा की धरती है यहां न जंगल जमीन की कमी है न डोली डांगर की,हरे-भरे खेत-खार, जंगल-पहाड़, धन-धान्य से भरे कोठार जैसे इस धरती के श्रृंगार है वही इस रत्नगर्भा धरती की कला और संस्कृति भी ठीक इन्द्र-धनुष की तरह बहुरंगी है यहां लोक गीतों का अक्षय भण्डार है.कहा जाता है कि ददरिया श्रम की साधना और प्रकृति की आराधना में रत किसानों और श्रमिकों का गीत है जो प्रेम और अनुराग की लोक अभि-व्यक्ति मानी जाती है.

धमतरी जिला किसान बाहूल्य इलाका है यहां ज्यादातर लोग कृषि कार्य करते है और जिले में बडे़ पैमाने पर धान के फसल का उत्पादन भी किया जाता है.इन दिनों यहां धान कटाई,मिंजाई का काम तेजी से चल रहा है और किसानी कार्य के साथ यहां छत्तीसगढ़ी लोककला और संस्कृति की छटा भी दिखाई दे रही है जिले के वनांचल इलाके मे आज भी किसान एक दूसरे के धान कटाई के लिए सहयोग किया करते है इससे नकद का लेनदेन नही होता और इससे किसानो के पैसे भी बचते है.इसके अलावा यहां खेतों में लोग आज भी ददरिया सहित अन्य लोकगीतों का गान करते है.किसान और मजदूर बताते है कि काम को मनोरंजक बनाने के लिए काम करते समय इस गीत को गाते है जिससे काम का थकान भी मिट जाता है.शायद यही वजह है कि आज भी यह पंरपरा ग्रामीण क्षेत्रो में बदस्तूर जारी है आज भी खेतों में काम करते ग्रामीणों से यह गीत सुना जा सकता है.

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में झुमर बनाने की पंरपरा है धान के बालियों को गूंथकर घर के मुख्य द्वार पर सजाने का चलन है.कहा जाता है कि लक्ष्मी के आगमन के लिए यह झुमर स्वागत स्वरूप होता है.यह झुमर नई फसल से मिले धान की बालियों को गूंथकर पंछियों के लिए दाना चुगने के लिए बनाया जाता है और बालियों से बने झुमर को घर के मुख्य द्वार पर लटकाया जाता है.ऐसा माना जाता है कि खेत में उगने वाले अनाज पर सबका अधिकार है लिहाजा जिले में झुमर बनाने की पंरपरा आज भी कायम है.

बाइट.... असकरण पटेल किसान
बाइट.... शंभु नेताम किसान
बाइट .....लक्षणि बाई
बाइट..... विमला बाई

जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरीBody:8319178303Conclusion:
Last Updated : Dec 14, 2019, 11:59 PM IST
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