धमतरी: गोबर से राखी और अन्य उत्पाद बनाने के बाद अब धमतरी में इससे लकड़ियां भी बनाई जा रही हैं. जिसका इस्तेमाल शमशान घाट में शव जलाने या घर में चूल्हा जलाने के साथ ही दूसरे काम में किया जाएगा. गोबर से लकड़ी बनाने का जिम्मा महिला स्व सहायता समूह को दिया गया है, जिसके बाद अब गोबर की लकड़ियों को बेचकर महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन सकेंगी.
धमतरी में पेड़ों को कटने से बचाने के साथ ही पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन के लिए अब गोबर से ईंधन के लिए लकड़ी बनाई जा रही है. इसके लिए निगम प्रशासन ने करीब एक लाख रूपये की लागत से गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन खरीदी है. जिसे महिला स्व सहायता समूह को दिया गया है.
बालोद : गोबर बेचकर आत्मनिर्भर बन रहे किसान
एक दिन में 70 किलो लकड़ी का निर्माण
महिला स्व सहायता समूह गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से अब लकड़ी बना रही हैं. नगर निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड में इन दिनों गोबर की खरीदी की जा रही है. जहां गोबर से खाद बनाने के अलावा लकड़ी भी बनाई जा रही है. बताया जा रहा है कि इस मशीन से एक दिन में एक क्विंटल गोबर से 60 से 70 किलो तक लकड़ियां बनाई जा सकती हैं. वैसे अभी इस काम को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है.
वर्मी कंपोस्ट के बाद अब लकड़ी
महिलाओं का कहना है कि उनका समूह हितग्राहियों से गोबर खरीदता है. जिससे वो वर्मी कंपोस्ट खाद बनाती हैं. जिसके बाद अब वर्मी कंपोस्ट के साथ-साथ लकड़ी भी बनाई जा रही है. महिलाओं का कहना है कि वो पहले घर पर ही रहा करती थीं, लेकिन यह काम मिलने से उन्हें अब रोजगार भी मिल रहा है. बहरहाल गोबर से लकड़ी बनाने की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण करने और पेड़ों को कटने से बचाने के मुहिम को इससे बल भी मिलेगा. इसके अलावा श्मशान घाट में लकड़ी का उपयोग भी कम हो पाएगा.