धमतरी: धमतरी की रहने वाली इरमत पटेल का हर दिन गांधी जी पूजा से शुरु होता है. इरमत अनपढ़ हैं और मजदूरी का काम करती हैं. गांधी जी की अहिंसा का पाठ और उनके भजन सुनकर बड़ी हुईं इरमत गांधी जी को अपना गुरु मानती हैं. हर दिन वो फूल लेकर गांधी जी के चरणों में चढ़ाने के लिए पहुंचती हैं. इरमत की श्रद्धा के कायल उनके गांव वाले भी हैं. गांधी जी को देवता और अपना गुरु मानने वाले इरमत बिना गांधी जी की पूजा किए अन्न और जल ग्रहण नहीं करती हैं.
गांधी जी को हर दिन चढ़ाती हैं श्रद्धा के फूल: गांधीवाद का पथ और गांधी जी के बताए विचार आज लोग भूलते जा रहे हैं, लेकिन धमतरी की मजदूर महिला इरमत पटेल आज भी गांधी जी के विचारों को दिल में संजोए हर दिन उनकी पूजा करती हैं. मजदूरी कर अपना पेट पालने वाली इरमत पटेल हर सुबह गांधी जी की पूजा के लिए धमतरी के गांधी मैदान पहुंचती हैं. इरमत पटेल हर दिन ताजे फूल लेकर गांधी मैदान में बने मंच पर पहुंचती हैं. मंच पर बनी गांधी जी की तस्वीर को पहले इरमत नमन करती हैं और फिर अपने लाए ताजे फूल उनको अर्पण करती हैं.
''बचपन में ही पढ़ाई छूटने से अनपढ़ रह गई. पति की पांच साल पहले मौत हो गई. एक बेटा है वो भी मजदूरी का काम करता है. हमारे पूर्वज भी गांधी जी के बताए रास्ते पर चले. मैं भी उनके बताए रास्ते पर चल रही हूं. पहले मैं हमेशा बीमार रहती थी लेकिन जब से गांधी जी की पूजा कर रही हूं तब से मन में बड़ा सुकून रहता है'' - इरमत पटेल, गांधी जी की भक्त
मिसाल हैं इरमत पटेल: 1920 में गांधी जी असहयोग आंदोलन की अलख जगाने छत्तीसगढ़ के कंडेल आए थे. कंडेल दौरे के दौरान गांधी जी धमतरी भी पहुंचे थे. उस वक्त धमतरी के माडम सिल्ली बांध से होकर गुजरने वाले पानी की चोरी बात को लेकर अंग्रेजों ने किसानों पर टैक्स लगा दिया था. गांधी जी ने इसका विरोध करने के लिए एक सभा भी धमतरी में की थी. गांधी जी को जहां राजनीतिक दल के लोग उनकी जयंती और पुण्यतिथि के दिन ही याद करते हैं, वहीं इरमत पटेल हर बिना नागा हर दिन गांधी जी को श्रद्धा के फूल चढ़ाना नहीं भूलतीं. इरमत पटेल न सिर्फ एक मिसाल हैं बल्कि प्रेरणा भी हैं. राजनीतिक दलों के नेताओं को भी इरमत से सीखना चाहिए. इरमत पटेल के गांव वाले भी उसकी श्रद्धा को देखकर नतमस्तक हैं.