धमतरी: 135 साल पुरानी धमतरी नगर पालिका को अपग्रेड कर 2014 में नगर निगम का दर्जा दिया गया. निगम बनने के बाद निगम प्रशासन के कामकाज का दायरा भी बढ़ा. कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ी, लेकिन जिस अनुपात में शहर की जनसंख्या बढ़ी निगम में उस अनुपात में कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ी. कई विभागों में आज भी कर्मचारियों के कई पद कई साल से खाली पड़े हैं. हालात ये हो गए हैं कि वर्तमान में निगम प्लेसमेंट कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है.
430 में 210 ठेका कर्मचारी
नगर निगम में 220 नियमित कर्मचारी हैं. प्लेसमेंट कर्मचारियों की संख्या 210 है. इस तरह अलग-अलग विभागों में कुल 430 कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन नगर निगम में अभी भी कई पद खाली है. सहायक ग्रेड के कुल 13 पद स्वीकृत है, लोकिन 7 कर्मचारी ही कार्यरत हैं. सहायक राजस्व निरीक्षक के लिए 32 पद स्वीकृत है, जिसमें 16 कर्मचारी कार्यरत हैं. सहायक शिक्षक के लिए 3 में से 2 पद रिक्त है. सफाई दरोगा के सभी 8 पद रिक्त है. समयपाल के 6 में से 3 पद रिक्त है. इसके अलावा वाहन चालक के 10 में 3 पद खाली है. भृत्य के कुल 46 स्वीकृत पदों में 11 रिक्त है. सफाई कर्मचारियों के 89 पदों में 20 पद रिक्त है.
निगम में कर्मचारियों का हाल
- 430 में 210 ठेका कर्मचारी
- नगर निगम में 220 नियमित कर्मचारी
- प्लेसमेंट कर्मचारियों की संख्या 210
- अलग-अलग विभागों में कुल 430 कर्मचारी
- सहायक ग्रेड के 13 में 6 पद खाली
- सहायक राजस्व निरीक्षक के 32 में 16 पद खाली
- सहायक शिक्षक के 3 में से 2 पद खाली
- सफाई दरोगा के सभी 8 पद खाली
- समयपाल के 6 में से 3 पद खाली
- वाहन चालक के 10 में 3 पद खाली
- भृत्य के 46 स्वीकृत पदों में 11 खाली
- सफाई कर्मचारियों के 89 पदों में 20 खाली
धमतरी: फंड के अभाव में विकास कार्य ठप
10-15 साल से ठेके पर हैं कर्मचारी
कर्मचारियों का कहना है कि एक कर्मचारी कई विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे कर्मचारियों को बहुत सारा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. काम ज्यादा होने की वजह से घरवालों को समय नहीं दे पा रहे हैं. उन पर काम का बोझ भी रहता है. इस पूरे मसले पर निगम प्रशासन को कई बार आवेदन भी दिया गया है, लेकिन निगम प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया. निगम में योग्यता और वरिष्ठता सूची के आधार पर कर्मचारियों की पदोन्नति की कार्रवाई लंबित है. कर्मचारी संघ लंबे समय से इसकी मांग भी कर रहा है, ताकि कर्मचारियों की कमी की पूर्ति हो सके. मौजूदा दौर में यहां कई प्लेसमेंट कर्मचारी पिछले 10-15 वर्षों से कार्यरत हैं, जो नियमितीकरण की आस लगाए हुए हैं.
जिम्मेदारों को नहीं है कोई चिंता
इस मुद्दे पर नगर निगम के महापौर ने कुछ अलग ही कहानी बताई. उनका कहना है कि नगरीय निकाय में ज्यादातर प्लेसमेंट कर्मचारियों से ही काम लिया जाता है. हालांकि रिक्त पदों की पूर्ति के लिए शासन को पत्र लिखे जाने की बात कही और फिलहाल प्लेसमेंट कर्मचारियों से ही अधिकतर काम सम्पन्न कराने की बात कही. इधर, विपक्ष भी सत्तापक्ष को आड़े हाथों लिया है. उनका कहना है, नियमित कर्मचारी नहीं होने से निगम के काम प्रभावित हो रहा है. प्लेसमेंट कर्मचारियों पर अन्याय किया जाता है. निगम प्रशासन को चाहिए कि जल्दी इन पदों पर भर्ती कराए ताकि सुविधायें बढ़ सके.
लगातार बढ़ रहा है मानसिक दबाव
निगम में कर्मचारियों की कमी के कारण उनपर काम और मानसिक बोझ बढ़ गया है. शहरवासियों के काम और सेवाएं भी प्रभावित हो रही है. स्टॉफ न होने के कारण कर्मचारियों को उच्च अधिकारियों की डांट खानी पड़ती है. हालांकि प्लेसमेंट और ठेके कर्मियों के चलते रुके हुए कामों को पूरा किया जाता है.
कब बदलेगी सूरत ?
किसी भी संस्था में पदस्थ कर्मचारी उस विभाग की रीड की हड्डी होती है और जब संस्था में कर्मचारी न हो तो न सिर्फ काम प्रभावित होता है बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था भी चौपट हो जाती है. ऐसे में अब देखना होगा कि शासन इसे कितनी गंभीरता से लेती है.