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SPECIAL: धमतरी के पुष्पेंद्र ने शारीरिक कमजोरी को बनाई ताकत, जानिए कैसे करते हैं दैनिक जीवन का काम

धमतरी के भेंडसर गांव में रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दोनों हाथों और पैरों से दिव्यांग हैं. पुष्पेंद्र ने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं समझी बल्कि वे सामान्य लोगों की तरह ही दैनिक जीवन का सभी काम कर लेते हैं. अपने गांव के लिए पुष्पेंद्र एक मिसाल हैं. ETV भारत पर देखिए पुष्पेंद्र की संघर्ष से जीत की कहानी.

dhamtari pushpendra sahu
धमतरी के पुष्पेंद्र ने शारीरिक कमजोरी को बनाई ताकत
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Published : Aug 31, 2020, 2:39 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 9:29 AM IST

धमतरी: किसी ने सही कहा है कि शारीरिक अपंगता असफलता का कारण नहीं हो सकती, लेकिन मानसिक अपंगता जरूर असफलता का कारण हो सकती है. धमतरी के भेंडसर गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दिव्यांग हैं. जन्म से ही उनके हाथ-पैर नहीं हैं. बोलने में थोड़ी तकलीफ होती है. लेकिन हौसले आम इंसान से ज्यादा बुंहैं. पुष्पेंद्र ने कभी खुद को महसूस नहीं होने दिया कि वे बाकी सामान्य लोगों के मुकाबले कमजोर हैं. हाथ-पैर नहीं होने को लेकर वे कभी निराश और मायूस नहीं हुए.

धमतरी के पुष्पेंद्र ने शारीरिक कमजोरी को बनाई ताकत

वे सामान्य लोगों की तरह ही खुद नहा लेते हैं, खाना खा लेते हैं, मोबाइल चला लेते हैं और तो और साइकिल भी चला लेते हैं. पुष्पेंद्र का स्कूल दूसरे गांव में होने की वजह से वह साइकिल से घर से लेकर स्कूल तक 10 किलोमीटर की दूरी भी तय करते हैं. पुष्पेंद्र कक्षा 10वीं के छात्र हैं. बचपन से ही आत्मनिर्भर पुष्पेंद्र को देख आसपास के लोग भी हैरान रहते हैं. पुष्पेंद्र जब कॉपी पर पेन से लिखते हैं, तो स्वयं मां सरस्वती उनकी लिखाई में उतर आती है. बिना झिझक और डर के पुष्पेंद्र अपना हर काम कर लेते हैं.

pushpendra sahu physically challenged
पुष्पेंद्र दैनिक जीवन का काम खुद करते हैं

'हमें पुष्पेंद्र पर गर्व है'

पुष्पेंद्र के दादा कहते हैं कि जिनके हाथ और पैर सही सलामत हैं, आज वे भी बिना किसी के मदद के काम नहीं कर पाते. लेकिन पुष्पेंद्र ने कभी किसी की मदद नहीं ली. वे बचपन से पढ़ने में भी होनहार हैं. दादा कहते हैं कि उन्हें कभी नहीं लगा की घर पर उनका एक पोता दिव्यांग हैं, पुष्पेंद्र पर उन्हें गर्व हैं. वे चाहते हैं कि पुष्पेंद्र भविष्य में खूब तरक्की करे, आगे बढ़े और घर का नाम रोशन करे.

pushpendra sahu physically challenged
कॉपी पर पेन से लिखते हुए पुष्पेंद्र

गांव में रहने वाले ग्रामीण भी पुष्पेंद्र को जीने की बेहतरीन मिसाल मानते हैं. वे सभी उनसे प्रेरणा लेते हैं. स्थानीय कहते हैं कि कई बार हम थक हार जाते हैं, लेकिन पुष्पेंद्र को कभी कमजोर पड़ते नहीं देखा.

pushpendra sahu physically challenged
साइकिल चलाते हुए पुष्पेंद्र

नहीं मिली नई ट्राईसाइकिल

पुष्पेंद्र बताते हैं कि हाथ-पैर नहीं होने से उन्हें थोड़ी तकलीफ जरूर होती है, लेकिन सभी काम आसानी से कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से उन्हें बैटरी चलित ट्राईसाइकिल मिली थी, जो सिर्फ तीन महीने चलने के बाद खराब हो गई. ट्राईसाइकिल खराब होने के बाद उसे कलेक्टर कार्यालय में छोड़ दिया गया. जिसके बाद से अब तक उन्हें नई ट्राईसाइकिल नहीं मिल पाई है.

पढ़ें- शारीरिक नहीं, मानसिक अपंगता ही असफलता का कारण है: नीरज वर्मा

समाज कल्याण विभाग के अधिकारी एमएम पाल ने बताया कि पुष्पेंद्र साहू को ट्राईसाइकिल विभाग ने प्रदान किया गया था. ट्राईसाइकिल किसी वजह से खराब हो गई थी, जिसके बाद अब आवेदन पर वापस नई ट्राईसाइकिल देने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है. पुष्पेंद्र को जल्द ही नई ट्राईसाइकिल उपलब्ध करा दी जाएगी.

पढ़ें- SPECIAL: दिव्यांगता के आगे नहीं टेके घुटने, आत्मनिर्भरता की मिसाल बने रमेश

हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा...किसी ने सही कहा है कि अपने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से इंसान कुछ भी कर सकता है. फिर वहां पर शारिरिक कमी कोई रोड़ा नहीं बन सकती. हम कमजोर तब होते हैं जब खुद से चीजों को कठिन मान लेतें हैं. लेकिन पुष्पेंद्र की आत्मनिर्भरता लोगों के लिए मिसाल है. ETV भारत उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

धमतरी: किसी ने सही कहा है कि शारीरिक अपंगता असफलता का कारण नहीं हो सकती, लेकिन मानसिक अपंगता जरूर असफलता का कारण हो सकती है. धमतरी के भेंडसर गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दिव्यांग हैं. जन्म से ही उनके हाथ-पैर नहीं हैं. बोलने में थोड़ी तकलीफ होती है. लेकिन हौसले आम इंसान से ज्यादा बुंहैं. पुष्पेंद्र ने कभी खुद को महसूस नहीं होने दिया कि वे बाकी सामान्य लोगों के मुकाबले कमजोर हैं. हाथ-पैर नहीं होने को लेकर वे कभी निराश और मायूस नहीं हुए.

धमतरी के पुष्पेंद्र ने शारीरिक कमजोरी को बनाई ताकत

वे सामान्य लोगों की तरह ही खुद नहा लेते हैं, खाना खा लेते हैं, मोबाइल चला लेते हैं और तो और साइकिल भी चला लेते हैं. पुष्पेंद्र का स्कूल दूसरे गांव में होने की वजह से वह साइकिल से घर से लेकर स्कूल तक 10 किलोमीटर की दूरी भी तय करते हैं. पुष्पेंद्र कक्षा 10वीं के छात्र हैं. बचपन से ही आत्मनिर्भर पुष्पेंद्र को देख आसपास के लोग भी हैरान रहते हैं. पुष्पेंद्र जब कॉपी पर पेन से लिखते हैं, तो स्वयं मां सरस्वती उनकी लिखाई में उतर आती है. बिना झिझक और डर के पुष्पेंद्र अपना हर काम कर लेते हैं.

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पुष्पेंद्र दैनिक जीवन का काम खुद करते हैं

'हमें पुष्पेंद्र पर गर्व है'

पुष्पेंद्र के दादा कहते हैं कि जिनके हाथ और पैर सही सलामत हैं, आज वे भी बिना किसी के मदद के काम नहीं कर पाते. लेकिन पुष्पेंद्र ने कभी किसी की मदद नहीं ली. वे बचपन से पढ़ने में भी होनहार हैं. दादा कहते हैं कि उन्हें कभी नहीं लगा की घर पर उनका एक पोता दिव्यांग हैं, पुष्पेंद्र पर उन्हें गर्व हैं. वे चाहते हैं कि पुष्पेंद्र भविष्य में खूब तरक्की करे, आगे बढ़े और घर का नाम रोशन करे.

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कॉपी पर पेन से लिखते हुए पुष्पेंद्र

गांव में रहने वाले ग्रामीण भी पुष्पेंद्र को जीने की बेहतरीन मिसाल मानते हैं. वे सभी उनसे प्रेरणा लेते हैं. स्थानीय कहते हैं कि कई बार हम थक हार जाते हैं, लेकिन पुष्पेंद्र को कभी कमजोर पड़ते नहीं देखा.

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साइकिल चलाते हुए पुष्पेंद्र

नहीं मिली नई ट्राईसाइकिल

पुष्पेंद्र बताते हैं कि हाथ-पैर नहीं होने से उन्हें थोड़ी तकलीफ जरूर होती है, लेकिन सभी काम आसानी से कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से उन्हें बैटरी चलित ट्राईसाइकिल मिली थी, जो सिर्फ तीन महीने चलने के बाद खराब हो गई. ट्राईसाइकिल खराब होने के बाद उसे कलेक्टर कार्यालय में छोड़ दिया गया. जिसके बाद से अब तक उन्हें नई ट्राईसाइकिल नहीं मिल पाई है.

पढ़ें- शारीरिक नहीं, मानसिक अपंगता ही असफलता का कारण है: नीरज वर्मा

समाज कल्याण विभाग के अधिकारी एमएम पाल ने बताया कि पुष्पेंद्र साहू को ट्राईसाइकिल विभाग ने प्रदान किया गया था. ट्राईसाइकिल किसी वजह से खराब हो गई थी, जिसके बाद अब आवेदन पर वापस नई ट्राईसाइकिल देने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है. पुष्पेंद्र को जल्द ही नई ट्राईसाइकिल उपलब्ध करा दी जाएगी.

पढ़ें- SPECIAL: दिव्यांगता के आगे नहीं टेके घुटने, आत्मनिर्भरता की मिसाल बने रमेश

हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा...किसी ने सही कहा है कि अपने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से इंसान कुछ भी कर सकता है. फिर वहां पर शारिरिक कमी कोई रोड़ा नहीं बन सकती. हम कमजोर तब होते हैं जब खुद से चीजों को कठिन मान लेतें हैं. लेकिन पुष्पेंद्र की आत्मनिर्भरता लोगों के लिए मिसाल है. ETV भारत उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

Last Updated : Sep 1, 2020, 9:29 AM IST
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