धमतरी: जिले के लोग हर साल बाढ़ का दंश (flood in dhamtari) झेलते हैं. यहां हर साल बाढ़ से कई गांव प्रभावित होते हैं. बरसात का मौसम यहां के रहवासियों के लिए किसी आफत से कम नहीं होता. बारिश से जिले के कई गांवों में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाता है. हालांकि हर साल प्रशासन सारे बंदोबस्त दुरुस्त होने का दावा करता है, लेकिन हर बरसात में सरकारी अमले के दावों की पोल खुल जाती है.
हर साल मानसून (monsoon in chhattisgarh) की आहट से धमतरी में महानदी (Mahanadi) किनारे रहने वाले ग्रामीणों सहित नगरी और मगरलोड इलाके के रहने वाले लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती है. हर साल बाढ़ प्रभावित करीब 77 गांव में बारिश तबाही लेकर आती है. जिससे बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है. मूसलाधार बारिश इन इलाकों में आम जिंदगी को अस्त-व्यस्त करके रख देती है. इस बाढ़ में गांव के घर और जानवर डूब जाते हैं. खेती भी पूरी तरह से चौपट हो जाती है. बाढ़ से बचने के लिए लोग स्कूलों या फिर ऊंची जगहों पर पनाह लेकर जैसे-तैसे दिन काटते हैं.
छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों में बारिश की संभावना
उफान पर रहती हैं जिले की नदियां
जिले में महानदी के अलावा खारुन, पैरी, सोंढूर, बाल्का नदियों के तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा रहता है. भारी बारिश से नगरी और मगरलोड इलाके के कई गांवों का संपर्क टूट जाता है. जबकि इन इलाकों में लोग सालों से पुल-पुलिया और पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनकी ये मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी है. वनांचल इलाके के लोगों का कहना है कि बारिश के दिनों में उनकी जिंदगी सिमट जाती है. बारिश के 4 महीने उन्हें घरों में रहना पड़ता है. इस दौरान उन्हें न तो स्वास्थ्य सुविधा (health facility) मिल पाती है और न ही अन्य सुविधाएं.
बाढ़ से निपटने के लिए कवायद तेज
बारिश के मौसम (rainy season) को देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए कवायद तेज कर दी है. बाढ़ आपदा को लेकर जिले में बैठक भी की गई है. बाढ़ प्रभावित गांवों में भंडारण और मेडिकल सहित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाने के अलावा समय रहते व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही जा रही है. बहरहाल हर सावन के पहले सरकारी अमले का यही दवा होता है कि सभी इंतजाम दुरुस्त हैं. लेकिन जब आसमान बरसता है तब प्रशासन के ये दावे धुल जाते हैं.