धमतरी : एक ओर जहां आधुनिकीकरण के कारण कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है, तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने सभी कुम्हारों को बड़ी राहत देते हुए उनसे किसी भी तरह की टैक्स वसूली न करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही प्रशासन ने लोगों से मिट्टी के दिए खरीदने की अपील भी की है. प्रशासन की इस पहल से कुम्हारों में खुशी की झलक देखने को मिली है और इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद भी है.
जगमग रोशनी से दूसरे के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारों की जीवन में खुशी और उत्साह की जो लहर दिखाई देनी चाहिए. वो आजकल नजर नहीं आ रही है. इसकी वजह मौजूदा समय में दियों की जगह इलेक्ट्रॉनिक और चाइनीज झालर ने ले ली है. कुम्हारों को अब पहले की तरह मुनाफा नहीं हो पा रहा है.
बर्तन, खिलौने, दिए, मूर्ति कलश बेचकर चलाते है अजीविका
बता दें कि जिले में कुम्हारों की बड़ी आबादी रहती है. कई वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी कुम्हार मिट्टी के बर्तन, खिलौने, दिए, मूर्ति कलश सहित अन्य वस्तुएं बनाते आ रहे हैं और खासतौर पर त्योहार के मौके पर इसे बेचकर अपनी अजीविका चलाते हैं. कुम्हारों के लिए चलाए जा रहे तमाम योजनाओं का लाभ जैसे इन्हें मिलना चाहिए वह अभी तक इन्हें नहीं मिल पाया है, लिहाजा कुम्हार अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं.
कुम्हारों के घर रोशन हो सके
वहीं जिला प्रशासन ने ईटीवी भारत के जरिए अपील किया है कि इस बार लोग ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के दिए का इस्तेमाल करें, ताकि कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके. ईटीवी भारत भी आप सब से लगातार अपील कर रहा है कि हम मिट्टी के दीए खरीदें, जिससे उन कुम्हारों के घर भी रोशन हो सके, जो हमारा घर रोशन करते हैं.