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राम भरोसे चल रहा पीजी कॉलेज, 18 साल से खाली पड़े हैं प्रोफेसर के पद - कॉलेज प्रबंधन भी परेशान

पीजी कालेज में शिक्षा का हाल बेहाल है, यहां के छात्र मानो ऐसी नाव पर सवार हैं, जिसका कोई मल्लाह ही नहीं है. पिछले कई वर्षों से बिना टीचर के पढ़ाई करने पर मजबूर हैं.

धमतरी पीजी कॉलेज के छात्र परेशान
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Published : Aug 28, 2019, 5:44 PM IST

धमतरी: जिले के इकलौते पीजी कालेज में शिक्षा का हाल बेहाल है. यहां वर्षों से प्रोफेसरों के सभी पद खाली हैं. अब तक किसी तरह अतिथि प्राध्यापकों से काम चलाया जा रहा था, लेकिन इस बार शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण ये व्यवस्था भी नहीं की जा सकी है. यहां के छात्र मानो ऐसी नाव पर सवार हैं, जिसमें कोई मल्लाह ही नहीं है.

धमतरी पीजी कॉलेज के छात्र परेशान

इस कॉलेज के छात्रों की बदकिस्मती ऐसी है कि मानो बीच सागर में इनको ले जाकर छोड़ दिया गया हो. इतना ही नहीं यहां छात्रों की संख्या सीट से भी बढ़कर दोगुनी हो गई है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर है कॉलेज
बता दें कि धमतरी के इस पीजी कॉलेज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधी जी के सहयोगी रहे, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम से जाना जाता है. ये 1963 में निजी महाविद्यालय के तौर पर शुरू हुआ था, लेकिन 1981 में सरकार ने अधिग्रहण कर इसको विकास की ओर बढ़ाया. इस कॉलेज में 9 प्राध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पद खाली पड़े हुए हैं.

41 पद अभी भी खाली पड़े

  • इसमें से भौतिकी में 3, गणित में 3 और जूलॉजी में 3 प्रोफसरों के पद खाली पड़े हैं.
  • सहायक प्राध्यापक के 43 पद हैं, जिनमें से 13 खाली हैं 30 उपलब्ध हैं.
  • अन्य स्टाफ के कुल 37 पद हैं, जिसमें 18 खाली हैं, 19 उपलब्ध हैं.
  • इस तरह कॉलेज में कुल 90 पद हैं, जिसमें से 41 अभी भी खाली पड़े हैं.

पढ़ें : कम बारिश से सूख रही फसल, परेशान किसानों को इस बात की उम्मीद

3 हजार 324 यानी दोगुनी छात्रों की संख्या

  • आप हैरान होंगे ये जानकर कि यहां भौतिकी यानी फिजिक्स जैसे विषय में प्राध्यापक का पद बीते 18 साल से खाली पड़ा हुआ है.
  • जूलॉजी के प्रोफेसर का पद बीते 12 साल से खाली पड़ा है.
  • दूसरी तरफ छात्रों की स्थिति कुछ ऐसी है कि कुल 1725 सीटें है, लेकिन छात्रों की वास्तविक संख्या 3324 यानी लगभग दोगुनी है.
  • इससे पीजी कॉलेज का आकार पानी में जहाज जैसा है, जिसमें न पतवार है और न ही मांझी, सब कुछ राम भरोसे है.

सरकार ने खींचे हाथ
सवाल ये उठता है कि अब तक यहां कैसे और क्या पढ़ाई होती रही. इस साल तो सरकार ने अतिथि शिक्षकों के भर्ती की अनुमति तक नहीं दी है और ये बड़ा संकट है, जिससे कॉलेज प्रबंधन भी परेशान है. इससे हजारों छात्रों का कैरियर कहीं मझधार में न रह जाए.

धमतरी: जिले के इकलौते पीजी कालेज में शिक्षा का हाल बेहाल है. यहां वर्षों से प्रोफेसरों के सभी पद खाली हैं. अब तक किसी तरह अतिथि प्राध्यापकों से काम चलाया जा रहा था, लेकिन इस बार शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण ये व्यवस्था भी नहीं की जा सकी है. यहां के छात्र मानो ऐसी नाव पर सवार हैं, जिसमें कोई मल्लाह ही नहीं है.

धमतरी पीजी कॉलेज के छात्र परेशान

इस कॉलेज के छात्रों की बदकिस्मती ऐसी है कि मानो बीच सागर में इनको ले जाकर छोड़ दिया गया हो. इतना ही नहीं यहां छात्रों की संख्या सीट से भी बढ़कर दोगुनी हो गई है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर है कॉलेज
बता दें कि धमतरी के इस पीजी कॉलेज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधी जी के सहयोगी रहे, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम से जाना जाता है. ये 1963 में निजी महाविद्यालय के तौर पर शुरू हुआ था, लेकिन 1981 में सरकार ने अधिग्रहण कर इसको विकास की ओर बढ़ाया. इस कॉलेज में 9 प्राध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पद खाली पड़े हुए हैं.

41 पद अभी भी खाली पड़े

  • इसमें से भौतिकी में 3, गणित में 3 और जूलॉजी में 3 प्रोफसरों के पद खाली पड़े हैं.
  • सहायक प्राध्यापक के 43 पद हैं, जिनमें से 13 खाली हैं 30 उपलब्ध हैं.
  • अन्य स्टाफ के कुल 37 पद हैं, जिसमें 18 खाली हैं, 19 उपलब्ध हैं.
  • इस तरह कॉलेज में कुल 90 पद हैं, जिसमें से 41 अभी भी खाली पड़े हैं.

पढ़ें : कम बारिश से सूख रही फसल, परेशान किसानों को इस बात की उम्मीद

3 हजार 324 यानी दोगुनी छात्रों की संख्या

  • आप हैरान होंगे ये जानकर कि यहां भौतिकी यानी फिजिक्स जैसे विषय में प्राध्यापक का पद बीते 18 साल से खाली पड़ा हुआ है.
  • जूलॉजी के प्रोफेसर का पद बीते 12 साल से खाली पड़ा है.
  • दूसरी तरफ छात्रों की स्थिति कुछ ऐसी है कि कुल 1725 सीटें है, लेकिन छात्रों की वास्तविक संख्या 3324 यानी लगभग दोगुनी है.
  • इससे पीजी कॉलेज का आकार पानी में जहाज जैसा है, जिसमें न पतवार है और न ही मांझी, सब कुछ राम भरोसे है.

सरकार ने खींचे हाथ
सवाल ये उठता है कि अब तक यहां कैसे और क्या पढ़ाई होती रही. इस साल तो सरकार ने अतिथि शिक्षकों के भर्ती की अनुमति तक नहीं दी है और ये बड़ा संकट है, जिससे कॉलेज प्रबंधन भी परेशान है. इससे हजारों छात्रों का कैरियर कहीं मझधार में न रह जाए.

Intro:धमतरी के इकलौते पीजी कालेज में अध्ययन अध्यापन का हाल बेहाल है.यहां बरसो से प्रोफेसरो के सभी पद खाली है.अब तक किसी तरह अतिथि प्राध्यापको से काम चलाया जा रहा था लेकिन इस बार शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण वो व्यवस्था भी नही की जा सकी है.यहां के छात्र मानो ऐसे नाव पर सवार है जिसमें कोई मल्लाह ही नहीं है.


Body:बिना माझी की नाव से सागर पार करने की शायद ही कोई कल्पना करे लेकिन धमतरी के पीजी कालेज के छात्रो की बदकिस्मती से यही स्थिति है.आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन इस कालेज को प्रोफेसरो के कुल 9 पद स्वीकृत है और सभी खाली है.इधर छात्रो की संख्या लगभग सीटो से दोगुनी हो चुकी है.

धमतरी के इस पीजी कालेज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधी जी के सहयोगी रहे.बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम से जाना जाता है.1963 में निजी महाविद्यालय के तौर पर शुरू हुआ था.बाद में 1981 को इसका सरकार ने अधिग्रहण किया और फिर इसके विकास की कहानी शुरू हुई.इस कालेज में मौजूदा स्थित में प्राध्यापको के 9 पद स्वीकृत है लेकिन सभी 9 के 9 खाली पड़े हुए है.भौतिकी में 3, गणित में 3 और जुलाजी में 3 प्रोफसरो के पद हैं सभी जगह जीरो बटे सन्नाटा है.सहायक प्राध्यापक के 43 पद है जिनमें से 13 खाली है 30 उपलब्ध है.अन्य स्टाफ के कुल 37 पद है जिसमें 18 खाली है 19 उपलब्ध है.इस तरह कालेज में कुल 90 पद है जिसमें से 41 खाली है.

आप हैरान होंगे ये जानकर कि यहां भौतिकी यानी फिजिक्स जैसे विषय में प्राध्यापक का पद बीते 18 साल से खाली पड़ा हुआ है.जुलाजी के प्रेफेसर का पद पीते 12 साल से खाली पड़ा हुआ है.दूसरी तरफ छात्रो छात्रो की स्थिति कुछ ऐसी है कि कुल 1725 सीटें है और छात्रो की वास्तविक संख्या 3324 यानी लगभग दोगुनी है. सीधी सपाट तस्वीर सामने है कि छात्रो के सामने अंधेरे के अलावा कुछ नहीं है.पीजी कालेज का आकार तो पानी जहाज जैसा है लेकिन इसमें न पतवार है न मांझी सब कुछ राम भरोसे है.

सवाल ये उठता है कि अब तक यहां कैसे पढ़ाई होती रही, क्या पढ़ाई होती रही.जवाब ये कि अतिथि शिक्षको के सहारे किसी तरह नईया के खेवनहार की व्यवस्था की जाती रही लेकिन इस साल तो सरकार ने अतिथि शिक्षको के भर्ती की अनुमति तक नहीं दी है और ये बड़ा संकट है जिससे कालेज का प्रबंधन भी परेशान है.

Conclusion:कालेज का प्रबंधन और छात्र तो लगातार सरकार से प्रार्थना करते थक चुके है.अब शायद भगवान से प्रार्थना करने का वक्त आ चुका है ताकि हजारो छात्रो का कैरियर इस अव्यवस्था की बाढ़ में मझधार में ही न डूब जाए.

बाईट_01 भारती साहू,छात्र
बाईट_02 अविनाश दूबे,छात्र नेता
बाईट_03 सी.एस चौबे, प्राचार्य पीजी कालेज धमतरी

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी


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