धमतरी: जिले के इकलौते पीजी कालेज में शिक्षा का हाल बेहाल है. यहां वर्षों से प्रोफेसरों के सभी पद खाली हैं. अब तक किसी तरह अतिथि प्राध्यापकों से काम चलाया जा रहा था, लेकिन इस बार शासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण ये व्यवस्था भी नहीं की जा सकी है. यहां के छात्र मानो ऐसी नाव पर सवार हैं, जिसमें कोई मल्लाह ही नहीं है.
इस कॉलेज के छात्रों की बदकिस्मती ऐसी है कि मानो बीच सागर में इनको ले जाकर छोड़ दिया गया हो. इतना ही नहीं यहां छात्रों की संख्या सीट से भी बढ़कर दोगुनी हो गई है.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर है कॉलेज
बता दें कि धमतरी के इस पीजी कॉलेज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधी जी के सहयोगी रहे, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम से जाना जाता है. ये 1963 में निजी महाविद्यालय के तौर पर शुरू हुआ था, लेकिन 1981 में सरकार ने अधिग्रहण कर इसको विकास की ओर बढ़ाया. इस कॉलेज में 9 प्राध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पद खाली पड़े हुए हैं.
41 पद अभी भी खाली पड़े
- इसमें से भौतिकी में 3, गणित में 3 और जूलॉजी में 3 प्रोफसरों के पद खाली पड़े हैं.
- सहायक प्राध्यापक के 43 पद हैं, जिनमें से 13 खाली हैं 30 उपलब्ध हैं.
- अन्य स्टाफ के कुल 37 पद हैं, जिसमें 18 खाली हैं, 19 उपलब्ध हैं.
- इस तरह कॉलेज में कुल 90 पद हैं, जिसमें से 41 अभी भी खाली पड़े हैं.
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3 हजार 324 यानी दोगुनी छात्रों की संख्या
- आप हैरान होंगे ये जानकर कि यहां भौतिकी यानी फिजिक्स जैसे विषय में प्राध्यापक का पद बीते 18 साल से खाली पड़ा हुआ है.
- जूलॉजी के प्रोफेसर का पद बीते 12 साल से खाली पड़ा है.
- दूसरी तरफ छात्रों की स्थिति कुछ ऐसी है कि कुल 1725 सीटें है, लेकिन छात्रों की वास्तविक संख्या 3324 यानी लगभग दोगुनी है.
- इससे पीजी कॉलेज का आकार पानी में जहाज जैसा है, जिसमें न पतवार है और न ही मांझी, सब कुछ राम भरोसे है.
सरकार ने खींचे हाथ
सवाल ये उठता है कि अब तक यहां कैसे और क्या पढ़ाई होती रही. इस साल तो सरकार ने अतिथि शिक्षकों के भर्ती की अनुमति तक नहीं दी है और ये बड़ा संकट है, जिससे कॉलेज प्रबंधन भी परेशान है. इससे हजारों छात्रों का कैरियर कहीं मझधार में न रह जाए.