धमतरी: कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से किए गए लॉकडाउन के दौरान दूसरे काम के साथ ही निर्माण कार्यों पर भी रोक थी. अब अनलॉक के ऐलान और निर्माण कार्यों की इजाजत मिलते ही कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हुआ है, और धीरे-धीरे इसमें तेजी आई है, लेकिन निर्माण कार्यों में तेजी आते ही रेत के दाम आसमान छूने लगे हैं. इस दौरान बिचौलिए भी जमकर मलाई काट रहे हैं.
बता दें कि 10 जून 2020 को जो रेत तीन हजार रुपये प्रति हाईवा मिल रही थी उसका दाम पांच जुलाई को सात हजार रुपये प्रति हाईवा हो गया. इसी तरह से जो रेत 10 जून 2020 को एक हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्रॉली था वो 5 जुलाई को बढ़कर तीन हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्रॉली हो गया.
7 से 15 हजार पहुंची रेत की कीमत
यह तो वह कीमत है जिससे ग्राहकों को डंपिग ग्राउंड पर रेत मिलती है, लेकिन अगर इसमें भाड़ा अलग से जोड़ दिया जाए तो एक हाईवा रेत की कीमत 7 से सीधे 15 हजार रुपये तक पहुंच जाती है.
कार्ययोजना बनाकर किया जाएगा काम
रेत की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी ने लोगों के आशियाने का बजट बिगाड़कर रख दिया है. लोगों का कहना है कि खनिज विभाग और जिला प्रशासन का रेत के उत्खनन पर कोई नियंत्रण नहीं है, जिसका फायदा रेत माफिया उठा रहे हैं. इसके साथ ही जब इस बारे में खनिज अधिकारी से बात की गई तो, उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से रेत खदानों के संचालक पर प्रतिबंध है, जिसकी वजह से रेत का खनन बंद है. उन्होंने आगे कहा कि लोगों को रेत मिल सके इसके लिए प्रशासन की ओर से जिले में 19 जगहों पर अस्थाई भंडारण की व्यवस्था की गई है, जहां से लोगों को उपयोग के लिए रेत मिल सकेगी. रेत के बढ़े दाम पर नियंत्रण के लिए कलेक्टर के निर्देश पर कार्ययोजना बनाकर काम किया जाएगा.
आम आदमी को उठाना पड़ रहा खामियाजा
एक ओर सरकार रेत के अवैध खनन और खनन माफिया पर नकेल कसने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारों की ओर से दी जा रही ढिलाई की वजह से कालाबाजारी बढ़ी है, जिसका खामियाजा आम आदमी चुकाने के लिए मजबूर है.