धमतरी: कोविड-19 के संक्रमण से सारी दुनिया की गतिविधियां थम सी गई है. ये वायरस अब तक हजारों लोगों की जान ले चुका है. इस दौरान बच्चों को कोरोना के निगेटिव इफेक्ट से बचाने के लिए यूनिसेफ के सहयोग से 'परख' कार्यक्रम चलाए जा रहा है. शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए शुरू किया गया 'परख' कार्यक्रम की पूरे प्रदेश में चर्चा है. इस कार्यक्रम के जरिए नौनिहालों का रुझान पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी देखने को मिल रहा है.
मानसिक तौर पर फिट रहना जरूरी
जिले में पढ़ाई को लेकर चलाए जा रहे अलग-अलग प्रोजेक्ट कोरोना संकट के बाद भी सुरक्षित ढंग से क्रियान्वित हो रहे हैं. एक तरफ प्रदेश सरकार की तरफ से संचालित ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम "पढ़ाई तुंहर द्वार" के जरिए बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है. वहीं "सीख" कार्यक्रम के जरिए भी बच्चों को रोचक तरीके से शिक्षा दी जा रही है. अब यूनिसेफ और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से 'सीख' का पायलट प्रोजेक्ट धमतरी और कुरूद में शुरू किया गया है, जहां प्राथमिक स्तर के बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर 'सीख' कार्यक्रम की शुरुआत की गई है.
पढ़े: बस्तर में छात्रों को है स्कूल खुलने का इंतजार, फिर लगेगी स्मार्ट क्लास
रोचक तरीके से छोटे बच्चों को पढ़ाई की तरफ आकर्षित करने का 'सीख' बेहतर माध्यम है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के चुनिंदा जगहों में यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद वाले इस माध्यम से बच्चों में घर और समाज के लोगों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को रोचक बनाने की कोशिश की जा रही है.
सप्ताह के 3 दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को भाषा, गणित और बुनियादी विज्ञान, खेल, जीवन कौशल सहित कोरोना जागरूकता के रूप में संचालित किया जा रहा है. कार्यक्रम के लिए बच्चों को 10 या उससे कम संख्या में अलग-अलग समूह बनाकर उन्हें ज्ञान दिया जा रहा है.
गांव के लोगों से ली जा रही मदद
इस कार्यक्रम में ग्राम स्तर पर वालंटियर के रूप में गांव के शिक्षित युवाओं सहित अन्य लोगों की सेवाएं ली जा रही है. कार्यक्रम का मकसद कोरोना वायरस के संक्रमण काल में घरों में बंद बच्चों को बाहर निकालकर सीख देना और शारीरिक, मानसिक और उनके दक्षता का विकास करना है.