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सिर पर छत और सहारे के लिए तरस रहे राष्ट्रपति के गोद लिए पुत्र

वनाचंल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वनांचल में आज तक न तो ठीक से सड़कें बनी हैं न यहां के लोगों को बिजली,पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाई हैं.

नाम के रह गए हैं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र
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Published : Jun 5, 2019, 1:15 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 1:31 PM IST

धमतरी: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद वनाचंल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वनांचल में आज तक न तो ठीक से सड़कें बनी हैं न यहां के लोगों को बिजली पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाई हैं.

नाम के रह गए हैं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र

इन इलाकों में स्थिति इतनी भयावह है कि बारिश के दिनों में यहां भगवान ही इनके रक्षक हैं. वनांचल में रहने वाले कई बार कच्ची सड़कों पर कीचड़ में लथपथ होकर जिला मुख्यालय एक सड़क की मांग लिए पहुंचे हैं, लेकिन इन्हें सड़क की जगह सिर्फ आश्वासन ही मिला है.

आवाजाही बरसात में रहती है ठप्प
धमतरी जिले से करीब 100 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बिरनासिल्ली गांव में आज तक कोई राजनेता नहीं पहुंचा है. ग्रामीण बताते हैं कभी-कभी कोई अधिकारी आ जाये तो उनके लिए बड़ी बात होती है. बरसात में यहां गांव टापू बन जाते हैं.

शिक्षा के मंदिर में शिक्षक नहीं
ग्रामीण गांव में लंबे समय से पुल-पुलिया की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी ही है. गांव में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है, शिक्षकों की कमी यहां लंबे अरसे से बनी हुई है. जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती. वहीं आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को लंबी दूरी तय कर दूसरे गांव जाना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव में पानी की भी भारी किल्लत है. गांव में जितने भी तालाब थे सब सूख चुके हैं.

नाम के रह गए दत्तक पुत्र
गांव में ज्यादातर कमार परिवार के लोग रहते हैं. जिसे भारत के राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. सरकार ने कमारों के लिए कई योजनाएं चला रखी है, लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमटी है. सुविधा के नाम पर गांव के परिवारों को न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही शौचालय. ग्रामीणों का कहना है कि वे सिर्फ नाम के ही राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र रह गए हैं.

धमतरी: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद वनाचंल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वनांचल में आज तक न तो ठीक से सड़कें बनी हैं न यहां के लोगों को बिजली पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाई हैं.

नाम के रह गए हैं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र

इन इलाकों में स्थिति इतनी भयावह है कि बारिश के दिनों में यहां भगवान ही इनके रक्षक हैं. वनांचल में रहने वाले कई बार कच्ची सड़कों पर कीचड़ में लथपथ होकर जिला मुख्यालय एक सड़क की मांग लिए पहुंचे हैं, लेकिन इन्हें सड़क की जगह सिर्फ आश्वासन ही मिला है.

आवाजाही बरसात में रहती है ठप्प
धमतरी जिले से करीब 100 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बिरनासिल्ली गांव में आज तक कोई राजनेता नहीं पहुंचा है. ग्रामीण बताते हैं कभी-कभी कोई अधिकारी आ जाये तो उनके लिए बड़ी बात होती है. बरसात में यहां गांव टापू बन जाते हैं.

शिक्षा के मंदिर में शिक्षक नहीं
ग्रामीण गांव में लंबे समय से पुल-पुलिया की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी ही है. गांव में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है, शिक्षकों की कमी यहां लंबे अरसे से बनी हुई है. जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती. वहीं आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को लंबी दूरी तय कर दूसरे गांव जाना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव में पानी की भी भारी किल्लत है. गांव में जितने भी तालाब थे सब सूख चुके हैं.

नाम के रह गए दत्तक पुत्र
गांव में ज्यादातर कमार परिवार के लोग रहते हैं. जिसे भारत के राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. सरकार ने कमारों के लिए कई योजनाएं चला रखी है, लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमटी है. सुविधा के नाम पर गांव के परिवारों को न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही शौचालय. ग्रामीणों का कहना है कि वे सिर्फ नाम के ही राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र रह गए हैं.

Intro:एंकर....सरकार के तमाम कोशिशो के बावजूद वनाचंल इलाके में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है.यहां न तो ठीक से सड़क है और न ही पेयजल सुविधा.इसके आलावा स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है.बारिश के दिनों में यहां भयावह स्थिति निर्मित हो जाती है.ग्रामीण बारिश के दिनों में लोग दलदल इलाके से पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक पहुंचते है.

हम बात कर रहे है धमतरी जिले से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित गांव में आने वाले गांव बिरनासिल्ली की.जहां कभी किसी अधिकारी या फिर नेता पहुंच जाएं तो बड़ी बात हो जाती है.ग्रामीणों की जिंदगी यहां मानों सिमट सी रह गई.आवागमन के साधन नही होने से आवाजाही बरसात के दिनों में पूरी तरह ठप्प हो जाती है.गांव में संजीविनी 108 आने की सुविधा नहीं है यदि तबियत खराब हो जाएं तो ग्रामीण नदी पार करके हॉस्पिटल ले जाते है.ऐसा ही मामला भी सामने आ चुका है एक महिला की तबियत खराब होने पर उन्हें हाथ में बिठाकर नदी पार कराया गया था और जैसे ही नदी पार एम्बूलेंस पहुंची तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी.बीते बारिश में स्कूल में पढ़ने गए बच्चे जब बाढ़ में फस गए तो सीआरपीएफ के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन करके उन्हे सुरक्षित निकाला था.

ग्रामीण गांव में लंबे से पुल पुलिया की मांग कर रहे है लेकिन ये मांग अब तक अधूरी की अधूरी है.गांव में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है स्कूल की स्थिति ठीक नही है शिक्षकों की कमी यहां लंबे से बनी हुई है जिससे पढ़ाई ठीक से नही हो पाती.वही आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को लंबी दूरी तय करके अन्य गांव जाना पड़ता है.इसके आलावा यहां गर्मी के साथ निस्तारी की समस्या भी गहरा गई है.गांव के तकरीबन सभी तालाब सूख चुके है लिहाजा ग्रामीण अन्य स्त्रोतों पर निर्भर है.
ग्रामीणों का कहना है कि यहां पेयजल सहित निस्तारी की समस्या बढ़ गई है.आवागमन के लिए वे सालों से सड़क,पुल पुलिया के निर्माण की मांग शासन से कर रहे है पर कोई सुनवाई नही हो रही है.

इस गांव में ज्यादातर कमार परिवार लोग निवासरत है हालाकि दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कमारो के लिए शासन कई तरह की योजनाएं जरूर चला रही लेकिन इसके बावजूद इन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है न ही परिवारों को प्रधानमंत्री आवास मिला है और न ही उनको शासन प्रशासन द्वारा दी जाने योजनाओं का लाभ मिल रहा है ऐसे में कमार अपने जीवन यापन पुश्तैनी काम करके चलाने पर मजबूर है.ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन आश्वासन के अलावा उन लोगों को कुछ भी नहीं मिला.
बहरहाल प्रशासन वनाचंल इलाके के इन गांवों के सर्वे कर ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने सहित विकास
बाईट... फुलबती बाई
बाईट.... सातो बाई
बाईट... नीरा बाई
बाईट ....समारू कमार
बाईट..... रजत बंसल कलेक्टरBody:जय लाल प्रजापति सिहावा धमतरी 8319178303Conclusion:
Last Updated : Jun 5, 2019, 1:31 PM IST
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