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SPECIAL: विकास को तरसता राजीव गांधी का गोद लिया ये गांव - विकास को तरसता राजीव गांधी का गोद लिया ये गांव

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1985 में धमतरी के दुगली गांव पहुंचे थे. राजीव गांधी के आने से एक पल के लिए गांव को सुंदरता से भर दिया गया था, लेकिन राजीव गांधी के जाते ही गांव खंडहर में तब्दील हो गया. गांव की हालत आज बद-बदतर हो गई है. गांव में विकास नहीं पहुंचने से लोगों को परेशानियां हो रही है.

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दुगली गांव में तकलीफ और मुसीबतों का पहाड़ !
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Published : Feb 14, 2021, 3:25 PM IST

धमतरी: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ 34 साल पहले दुगली गांव पहुंचे थे. राजीव गांधी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा को जानने के लिए दुगली गांव आए थे. पूर्व प्रधानमंत्री के आने से लोगों में विकास की उम्मीद जगी थी, लेकिन आज भी इस गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. लोग रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हैं. गांव के लोग किसानी करना चाहते हैं, लेकिन पट्टा नहीं होने की वजह से लोगों को खेती करने में परेशानी आ रही है.

धमतरी के दुगली गांव में तकलीफ और मुसीबतों का पहाड़ !

SPECIAL: मेहनत और चाह से महिलाओं ने बनाई जिंदगी की राह

14 जुलाई 1985 को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी का आगमन दुगली में हुआ था. जहां उन्होंने लगभग ढाई घंटे बिताए थे. इस दौरान उन्होंने कमार परिवार में कडूकंद, मड़िया पेज, कुल्थी बीज की दाल और चरोटा भाजी का स्वाद भी चखा था. लोगों को उस समय विकास की उम्मीद दिखाई दी थी. जो अब ओझल होती जा रही है.

छत्तीसगढ़ : कांग्रेस की 'पोस्टर लेडी' बल्दी बाई की बदरंग जिंदगी

कमार परिवारों से राजीव गांधी ने की थी मुलाकात

धमतरी के दुगली गांव के लोगों का कहना है वर्षों बीत जाने के बाद भी गांव में सिंचाई सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया. गांव में शिक्षा को लेकर सुविधाएं नहीं हैं. जिन कमार परिवारों से पूर्व पीएम ने मुलाकात की थी. आज वही कमार परिवार रोजगार के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं.

राजीव गांधी के समय सुर्खियों में रहीं बल्दीबाई की बहू और पोती 'सिस्टम' की शिकार

पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन से हुए थे परिचित

राजीव गांधी को विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा को जानने के लिए दुगली गांव आए थे. पूर्व पीएम ने आदिवासियों की संस्कृति और जीवनशैली को करीब से समझने की कोशिश की थी. उनके साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी दुगली पहुंची थीं. इस प्रवास में उनके साथ अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहे. यहां उन्होंने कमारपारा में एक बड़े कुएं का निरीक्षण भी किया था, जो स्थानीय परिवार पेयजल और निस्तारी के लिए उपयोग करते थे. राजीव गांधी कमार परिवार के सुकालू राम और सोनाराम से उनकी संस्कृति और जीवनशैली के बारे में जाना था. इस गांव को उन्होंने गोद भी लिया था. इसके बाद यह गांव इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया.

राजीव गांधी के समय सुर्खियों में रहीं बल्दीबाई की बहू और पोती 'सिस्टम' की शिकार

कमार परिवार जैसे-तैसे काट कर रहे जिंदगी
राजीव गांधी के गोद लेने के बाद गांव की तस्वीर में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुआ है. यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. कमार पारा में जहां पूर्व पीएम राजीव गांधी रुके थे. वहां के कमार परिवार जैसे-तैसे जिंदगी काट कर रहे हैं. इनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है. थोड़े बहुत खेत हैं. उसी पर कृषि कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. वनों से बांस इक्कट्ठा कर उससे जरूरत के समान बनाकर बाज़ार में बेचते हैं. इन कमार परिवारों का कहना है कि खेती के लिए भूमि सुधार की आवश्यकता है. इसके अलावा उन्हें रोजगार उपलब्ध भी नहीं हो पा रहा है.

छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए तय करनी पड़ता है लंबी दूरी

ग्रामीणों का कहना है कि यहां वर्षो से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की मांग की जा रही है. ताकि यहां के किसान दो फसल ले सकें, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी है. यहां उच्च शिक्षा की सुविधाएं नहीं है. लिहाजा यहां के छात्र-छात्राओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए ब्लॉक मुख्यालय या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है.

दुगली को ब्लॉक बनाने की मांग आज भी अधूरी
हालांकि साल भर पहले राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने दुगली की सुध ली थी. यहां राजीव गांधी की यादों को सहजने के लिए मूर्ति की स्थापना की गई है. सरकार ने इसे राजीव गांधी ग्राम का दर्जा दिया. इसके साथ ही राज्य सरकार ने कई घोषणाएं भी की. दुगली क्षेत्र की जनता प्रमुख जनसमस्या सोंढूर नहर विस्तार, दुगली सिंगपुर के 111 वन ग्रामों को पूर्णता राजस्व ग्राम का दर्जा, दुगली को ब्लॉक बनाने, महाविद्यालय समेत बालिका छात्रावास, बैंक, विद्युत सब स्टेशन जैसी मांगें आज भी पूरी नहीं हो सकी है.

दुगली गांव के लोगों को भूपेश सरकार से उम्मीदें

दुगली क्षेत्र में वनों पर वर्षों से रह रहे ग्रामीण वन अधिकार पट्टा के लिए शासन से लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्हें प्रदेश की भूपेश सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं. सरकार उनकी वर्षों पुरानी मांगों को पूरा करे. ताकि यहां के लोग तरक्की कर आगे बढ़ सकें. साथ ही कमार परिवार के लोग सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.

धमतरी: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ 34 साल पहले दुगली गांव पहुंचे थे. राजीव गांधी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा को जानने के लिए दुगली गांव आए थे. पूर्व प्रधानमंत्री के आने से लोगों में विकास की उम्मीद जगी थी, लेकिन आज भी इस गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. लोग रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हैं. गांव के लोग किसानी करना चाहते हैं, लेकिन पट्टा नहीं होने की वजह से लोगों को खेती करने में परेशानी आ रही है.

धमतरी के दुगली गांव में तकलीफ और मुसीबतों का पहाड़ !

SPECIAL: मेहनत और चाह से महिलाओं ने बनाई जिंदगी की राह

14 जुलाई 1985 को देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी का आगमन दुगली में हुआ था. जहां उन्होंने लगभग ढाई घंटे बिताए थे. इस दौरान उन्होंने कमार परिवार में कडूकंद, मड़िया पेज, कुल्थी बीज की दाल और चरोटा भाजी का स्वाद भी चखा था. लोगों को उस समय विकास की उम्मीद दिखाई दी थी. जो अब ओझल होती जा रही है.

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कमार परिवारों से राजीव गांधी ने की थी मुलाकात

धमतरी के दुगली गांव के लोगों का कहना है वर्षों बीत जाने के बाद भी गांव में सिंचाई सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया. गांव में शिक्षा को लेकर सुविधाएं नहीं हैं. जिन कमार परिवारों से पूर्व पीएम ने मुलाकात की थी. आज वही कमार परिवार रोजगार के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं.

राजीव गांधी के समय सुर्खियों में रहीं बल्दीबाई की बहू और पोती 'सिस्टम' की शिकार

पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन से हुए थे परिचित

राजीव गांधी को विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा को जानने के लिए दुगली गांव आए थे. पूर्व पीएम ने आदिवासियों की संस्कृति और जीवनशैली को करीब से समझने की कोशिश की थी. उनके साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी दुगली पहुंची थीं. इस प्रवास में उनके साथ अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहे. यहां उन्होंने कमारपारा में एक बड़े कुएं का निरीक्षण भी किया था, जो स्थानीय परिवार पेयजल और निस्तारी के लिए उपयोग करते थे. राजीव गांधी कमार परिवार के सुकालू राम और सोनाराम से उनकी संस्कृति और जीवनशैली के बारे में जाना था. इस गांव को उन्होंने गोद भी लिया था. इसके बाद यह गांव इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया.

राजीव गांधी के समय सुर्खियों में रहीं बल्दीबाई की बहू और पोती 'सिस्टम' की शिकार

कमार परिवार जैसे-तैसे काट कर रहे जिंदगी
राजीव गांधी के गोद लेने के बाद गांव की तस्वीर में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुआ है. यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. कमार पारा में जहां पूर्व पीएम राजीव गांधी रुके थे. वहां के कमार परिवार जैसे-तैसे जिंदगी काट कर रहे हैं. इनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है. थोड़े बहुत खेत हैं. उसी पर कृषि कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. वनों से बांस इक्कट्ठा कर उससे जरूरत के समान बनाकर बाज़ार में बेचते हैं. इन कमार परिवारों का कहना है कि खेती के लिए भूमि सुधार की आवश्यकता है. इसके अलावा उन्हें रोजगार उपलब्ध भी नहीं हो पा रहा है.

छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए तय करनी पड़ता है लंबी दूरी

ग्रामीणों का कहना है कि यहां वर्षो से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की मांग की जा रही है. ताकि यहां के किसान दो फसल ले सकें, लेकिन ये मांग अब तक अधूरी है. यहां उच्च शिक्षा की सुविधाएं नहीं है. लिहाजा यहां के छात्र-छात्राओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए ब्लॉक मुख्यालय या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है.

दुगली को ब्लॉक बनाने की मांग आज भी अधूरी
हालांकि साल भर पहले राजीव गांधी की जयंती पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने दुगली की सुध ली थी. यहां राजीव गांधी की यादों को सहजने के लिए मूर्ति की स्थापना की गई है. सरकार ने इसे राजीव गांधी ग्राम का दर्जा दिया. इसके साथ ही राज्य सरकार ने कई घोषणाएं भी की. दुगली क्षेत्र की जनता प्रमुख जनसमस्या सोंढूर नहर विस्तार, दुगली सिंगपुर के 111 वन ग्रामों को पूर्णता राजस्व ग्राम का दर्जा, दुगली को ब्लॉक बनाने, महाविद्यालय समेत बालिका छात्रावास, बैंक, विद्युत सब स्टेशन जैसी मांगें आज भी पूरी नहीं हो सकी है.

दुगली गांव के लोगों को भूपेश सरकार से उम्मीदें

दुगली क्षेत्र में वनों पर वर्षों से रह रहे ग्रामीण वन अधिकार पट्टा के लिए शासन से लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्हें प्रदेश की भूपेश सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं. सरकार उनकी वर्षों पुरानी मांगों को पूरा करे. ताकि यहां के लोग तरक्की कर आगे बढ़ सकें. साथ ही कमार परिवार के लोग सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.

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