धमतरी: पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी के संकट के दौर से गुजर रहा है, लॉकडाउन की वजह से देश की कई बड़ी औधोगिक इकाईयां बंद हो गई है. इसके अलावा कई छोटी-मोटी कंपनियों में भी ताला लग चुका है. जिससे लोगों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.ऐसे समय में स्व सहायता समूह और कई सामाजिक संगठन लोगों के लिए तारणहार बने हुए है. इनके जरिए लोग आत्मनिर्भर बनहर कठिन से कठिन समय में भी जीवन जीने की कला सीख रहे है.
स्वसहायता समूह से मिल रही मदद
धमतरी जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूह की दीदियां ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही है. जिनसे ये महिलाएं विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है. जिले के धमतरी विकासखंड के ग्राम छाती में बिहान योजना से जुड़ी आसपास के गांवों की महिलाएं पेपर बैग, बांस से आकर्षक और कलात्मक गहने के साथ ही, पेड़ों की सुरक्षा के लिए बांस के ट्री गार्ड भी तैयार कर रही है. जिला प्रशासन की पहल पर महिलाओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही उनके प्रोडक्ट को मार्केट भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
बांस के गहनों की हो रही ऑनलाइन बिक्री
प्लास्टिक खत्म करने की मुहिम
प्लास्टिक के उपयोग को रोकने और कागज से बने थैले और बैग के उपयोग को बढ़ावा देने के मकसद से बिहान से जुड़ी महिलाओं को पेपर कवर इनवेलअप और फाइल मेकिंग का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के बाद महिलाएं पेपर से बैग बना रही हैं.जिसे प्रशासन की मदद से बुक शॉप, राशन दुकानों और कई छोटे दुकानदारों को सप्लाई की जा रही है.महिलाएं बताती है कि शुरू में उन्हें काफी कठिनाई हुई लेकिन 5 दिन सीखने के बाद अब उन्हें आसानी होने लगी है.महिलाओं की मानें तो 9 महिलाएं दिनभर में 300 पेपर बैग बना लेती है.
पेड़ों को बचाने बना रही ट्री गार्ड
स्व सहायता समूह से मिल रहे प्रशिक्षण से महिलाएं ट्री गार्ड भी बना रही है, 7 महिलाएं हर रोज 14 ट्री गार्ड बनाती है. वन विभाग की मदद से बड़ी तादाद में उन्हें ऑर्डर भी मिला है, नया काम सीखने के साथ ही इनकम भी होने से महिलाएं काफी उत्सुक है.पहले सिर्फ खेती किसानी के भरोसे रहने वाले परिवार अब एकस्ट्रा कमाई से आत्मनिर्भर बन चुके है.
जिला प्रशासन की मानें तो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे है.इसके साथ ही प्रशासन की तरफ से उन्हें बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि इससे ना सिर्फ उन्हें आर्थिक मदद मिले बल्कि उनकी सोच और रहन-सहन में भी परिवर्तन आए.