धमतरी: रेत माफियाओं पर लगाम कसने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने भले ही कड़े फैसले लिए हो, लेकिन इन दावों के बीच हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. नई सरकार आने के बाद धमतरी जिले में एक बार फिर रेत माफिया सक्रिय हो गए हैं. अवैध रेत उत्खनन का कारोबार पहले की तरह फिर से चलने लगा है.
नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे खनिज माफिया
जिले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद खनिज माफिया नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. बीते कुछ दिनों से महानदी पर रेत के अवैध उत्खनन का कारोबार धड़ल्ले से जारी है. इसमें मशीनों का भी इस्तेमाल जमकर किया जा रहा है. आलम ये है कि अभी ये खेल दिन के उजाले में भी चल रहा है. इधर प्रशासन भी मामले में चुप्पी साधे बैठा है.
सैकड़ों हाईवा से ढोते हैं रेत
महानदी के किनारे रेत के परिवहन का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है जो देर शाम तक चलता है. इस काम के लिए 10-20 गाड़ियों का नहीं बल्कि सैकड़ों हाईवा और टिप्परों से रेत ढोया जाता है. ये दिगर बात है कि इनमें से कुछ कायदे-कानून के मुताबिक होते हैं, लेकिन इनकी आड़ में ज्यादातर अवैध तरीके से परिवहन किया जाता है.
खदानों में जेसीबी का इस्तेमाल
इसके साथ ही खदानों में जेसीबी का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से किया जा रहा है, जो नदी में 20 से 25 फीट तक की खुदाई करने से भी गुरेज नहीं करते. कहा जा रहा है कि इसे खनिज माफिया अंजाम दे रहे हैं. साथ ही राजस्व की चोरी कर सरकार को लाखों रुपयों का चूना लगा रहे हैं.
फल-फूल रहा रेत उत्खन्न का अवैध कारोबार
यही वजह है कि महानदी के किनारे बसे गांव अमेठी, सारंगपुरी, परसूली, लड़ेर, सोनेवारा, तेंदुकोना समेत कुछ गांवों में रेत उत्खनन का अवैध कारोबार बदस्तूर फल-फूल रहा है. लोगों की माने, तो खदानों में मशीनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध होने के बावजूद प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
हैरानी की बात है कि रोज सैकड़ों गाड़ियां रेत परिवहन कर रही हैं. ऐसे में लगातार हो रहे अवैध उत्खनन से लोग प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. इधर जिला प्रशासन पूरे मामले से बेखबर हैं और मामले में कार्रवाई की बात कह रहा है.