धमतरी : गंगरेल बांध प्रभावित जन कल्याण समिति के बैनर तले गंगरेल बांध के विस्थापित परिवार कलेक्ट्रेट पहुंचे. विस्थापित परिवारों ने बागोडार गांव में व्यवस्थापन करने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. साथ ही हाईकोर्ट के दिए गए फैसले की जानकारी भी दी.
वर्ष 2007 में 866 लोगों ने गंगरेल बांध प्रभावित जन कल्याण समिति से पंजीकृत संस्था बनाकर व्यवस्थापन के लिए याचिका दायर की थी. लोगों ने आरक्षित भूमि ग्राम जोगीडीह बागोडार, आरक्षित भूमि ग्राम सलोनी और अनारक्षित भूमि ग्राम कुसुमभर्री, देवभर्री, ठेल्काभर्री, छुहीभर्री, बोरईगाँव, धौराभाठा को राजस्व भूमि में व्यवस्थापन के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. 15 वर्षों की लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय के गाइडलाइन के अनुसार ग्राम जोगीडीह बागोडार में व्यवस्थापन के लिए प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों ने सर्वे शुरू किया. ग्रामीणों का कहना है कि सर्वे के अंतर्गत पहले राजस्व विभाग ने पट्टा आवंटन किया. पट्टाधारियों को आज तक अपने भूमि के संबंध में जानकारी नहीं है. सर्वे के अंतर्गत पूछे जाने पर अपने पट्टे की भूमि को बता नहीं पा रहे हैं. ऐसे लोगों का पट्टा तत्काल निरस्त किया जाए.
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प्रमाण पत्र के सत्यापन की मांग
ग्रामीणों ने बताया गाइडलाइन के अनुसार जोगीडीह में डुबान से आए प्रति खातेदारों को 5 एकड़ और भूमिहीन लोगों को ढाई एकड़ भूमि आवंटन किया जाना है. अपने खाते के अनुसार भूमि प्राप्त होने के बाद भी कुछ लोगों ने परिवार के सदस्यों के नाम से अवैध पट्टा बनाकर भूमि पर कब्जा कर लिया है. कुछ लोगों ने अपने परिवार के नाम से अवैध डुबान प्रमाण पत्र बनाकर पट्टा जारी करा लिया है. ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग के जारी किए गए डुबान प्रमाण पत्र का फिर से सत्यापन करने की मांग की है.