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धमतरी: इस गांव में महिलाएं नहीं करतीं कोई श्रृंगार और न ही काटती हैं धान

जिले के संदबहारा गांव में सदियों से ऐसी मान्यता चली आ रही है जिसमें महिलाओं को कृषि काम करना वर्जित है. इसके साथ ही वे न तो लकड़ी के किसी सामान बैठती हैं और ही, न ही किसी तरह का श्रृंगार करती हैं.

इस गांव में महिलाएं नहीं काटती धान
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Published : Nov 17, 2019, 9:56 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 3:02 PM IST

धमतरी: प्रदेश में इन दिनों धान कटाई का सीजन चल रहा है, जाहिर है कि लोग धान कटाई और मिंजाई के कामों में जुटे हुए हैं. ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के कामों में महिलाएं भी हाथ बंटाती हैं, लेकिन धमतरी के संदबाहरा गांव में महिलाओं का धान काटना और खेतों में काम करना ही वर्जित है.

इस गांव में महिलाएं नहीं काटती धान

आप इसे परंपरा कहें या अंधविश्वास, गांव के लोगों की मान्यता है कि सदियों से ये परंपरा चली आ रही की महिलाएं यहां खेतों में काम नहीं करती और अगर काम किया तो गांव के ऊपर आफत आ सकती है. इसे गांववालों का खौफ कहें या मजबूरी, लेकिन फिर भी वो इसे मानते और निभाते चले आ रहे हैं.

मान्यता की वजह है देवी का प्रकोप
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि इस गांव न तो श्रृंगार करती है और न ही खाट पर सोती हैं. यहां तक कि महिलाएं लकड़ी की बनी हुई किसी भी सामान पर नहीं बैठती है. बारह महीने यहां की औरतें जमीन पर ही सोती हैं. इसके अलावा गांव की महिलाएं अपनी मांग पर सिंदूर भी नहीं भरती. ये परंपरा गांव में सदियों पहले एक देवी के प्रकोप की वजह से बनाई गई है.

महिलाएं नहीं करती श्रृंगार
धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव मे करीब 40 परिवार रहते हैं. यह गांव अपनी एक परंपरा की वजह से ही पहचाना जाता है. यहां महिलाओं को खाट, पलंग, कुर्सी इत्यादि पर बैठने की इजाजत नहीं है. इसी तरह यहां महिलाओं को श्रृंगार करने की मनाही है. ऐसी मान्यता है कि अगर महिलाएं ऐसा करेंगी, तो ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रहेंगी या फिर उसे कोई न कोई बीमारी जरूर हो जाएगी.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ : माता कौशल्या की जन्मतिथि बताने पर मिलेगा 11 लाख रुपए

खौफ के साथ जीते हैं ग्रामीण
गांव के लोग बताते है कि गांव की कारीपठ देवी ऐसा करने से नाराज हो जाती है और गांव पर संकट आ जाता है. गांव मे सभी लोग आज भी अंजाने खौफ के साये में अपना जीवन बिता रहे हैं. संदबाहरा गांव अपने इस अजब-गजब परंपरा की वजह से इलाके में मशहूर है और चर्चा का विषय भी बना हुआ है. आज जब दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है फिर भी ये मान्यताएं आज भी ग्रामीण अंचलों में जिंदा है और इन मान्यताओं या अंधविश्वास के साथ लोग जीवन बीता रहे हैं. ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता.

धमतरी: प्रदेश में इन दिनों धान कटाई का सीजन चल रहा है, जाहिर है कि लोग धान कटाई और मिंजाई के कामों में जुटे हुए हैं. ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के कामों में महिलाएं भी हाथ बंटाती हैं, लेकिन धमतरी के संदबाहरा गांव में महिलाओं का धान काटना और खेतों में काम करना ही वर्जित है.

इस गांव में महिलाएं नहीं काटती धान

आप इसे परंपरा कहें या अंधविश्वास, गांव के लोगों की मान्यता है कि सदियों से ये परंपरा चली आ रही की महिलाएं यहां खेतों में काम नहीं करती और अगर काम किया तो गांव के ऊपर आफत आ सकती है. इसे गांववालों का खौफ कहें या मजबूरी, लेकिन फिर भी वो इसे मानते और निभाते चले आ रहे हैं.

मान्यता की वजह है देवी का प्रकोप
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि इस गांव न तो श्रृंगार करती है और न ही खाट पर सोती हैं. यहां तक कि महिलाएं लकड़ी की बनी हुई किसी भी सामान पर नहीं बैठती है. बारह महीने यहां की औरतें जमीन पर ही सोती हैं. इसके अलावा गांव की महिलाएं अपनी मांग पर सिंदूर भी नहीं भरती. ये परंपरा गांव में सदियों पहले एक देवी के प्रकोप की वजह से बनाई गई है.

महिलाएं नहीं करती श्रृंगार
धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव मे करीब 40 परिवार रहते हैं. यह गांव अपनी एक परंपरा की वजह से ही पहचाना जाता है. यहां महिलाओं को खाट, पलंग, कुर्सी इत्यादि पर बैठने की इजाजत नहीं है. इसी तरह यहां महिलाओं को श्रृंगार करने की मनाही है. ऐसी मान्यता है कि अगर महिलाएं ऐसा करेंगी, तो ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रहेंगी या फिर उसे कोई न कोई बीमारी जरूर हो जाएगी.

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खौफ के साथ जीते हैं ग्रामीण
गांव के लोग बताते है कि गांव की कारीपठ देवी ऐसा करने से नाराज हो जाती है और गांव पर संकट आ जाता है. गांव मे सभी लोग आज भी अंजाने खौफ के साये में अपना जीवन बिता रहे हैं. संदबाहरा गांव अपने इस अजब-गजब परंपरा की वजह से इलाके में मशहूर है और चर्चा का विषय भी बना हुआ है. आज जब दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है फिर भी ये मान्यताएं आज भी ग्रामीण अंचलों में जिंदा है और इन मान्यताओं या अंधविश्वास के साथ लोग जीवन बीता रहे हैं. ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता.

Intro:इस गांव में नही जाती महिलाएं खेत,नियम तोड़ने पर गांव में आफत आने का डर कायम

प्रदेश में इन दिनों धान कटाई का सीजन चल रहा है जाहिर है कि लोग धान कटाई मिंजाई के काम मे जुटे है इन कामों में महिलाएं भी हाथ बढ़ा रही है लेकिन धमतरी जिले के सन्दबहारा गांव में महिलाएं धान काटने खेतों में नही जा रही है वह इसलिए क्योंकि इस गांव में महिलाओं को खेत जाने के लिए मनाही है इस मनाही के पीछे लोगो की परम्परा कहे या अंधविश्वास कहे लेकिन ये रिवाज यहां सदियों चली आ रही है हालाकि ऐसे अंधविश्वास को ईटीवी भारत बढ़ावा नही देती है.

आज जमाना चांद सितारे पर चला गया लेकिन दुनिया मे कई ऐसी रूढिवादी परंपरा चली आ रही है जिसे लोग खौफ के साये या मजबूरी के चलते मानते आ रहे है.कुछ ऐसा ही माजरा धमतरी के सन्दबहारा गांव मे देखने को मिल रहा है यहां महिलाएं खेतो में काम करने नही जाती है कहा जाता है कि अगर इस नियम को तोड़ने पर गांव में आफत आ सकती है जिसके चलते ये परंपरा आज तक बदस्तूर जारी है.

आपको जानकर ये हैरानी होगी कि यहां औरत न तो श्रृगार करती है और न ही खाट पर सोती है यहां तक कि महिलाएं लकड़ी की बनी हुई कोई भी वस्तु पर नही बैठती है.बारह महीने यहां की औरते जमीन पर ही सोती है इसके अलावा गांव की महिलाएं अपनी मांग पर सिंदूर तक भी नही भरती.ये परंपरा गांव मे सदियो पहले एक देवी के प्रकोप के चलती बनाई गई थी.

धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव मे तकरीबन 40 परिवार रहते हैं यह गांव अपनी एक परंपरा के चलते जाना जाता है यहां महिलाओं को खाट, पलंग, कुर्सी इत्यादि पर बैठने की इजाजत नही है और इसी तरह महिलाओ को श्रृंगार करने की मनाही है.ऐसी मान्यता है कि अगर महिलाएं ऐसा करेंगी, तो ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रहेंगी या फिर उसे कोई न कोई बीमारी जरूर हो जाएगी.

गांव के लोग बताते है कि गांव की कारीपठ देवी ऐसा करने से नाराज हो जाती है और गांव पर संकट आ जाता है.गांव मे सभी लोग आज भी अंजाने खौफ़ के साये मे अपना जीवन बिता रहे है.बहरहाल सदबाहरा गांव अपने इस अजब परंपरा के चलते पूरे ईलाके मे मशहूर है और चर्चा का विषय भी बना हुआ है अब ये देखने वाली बात होगी की आने वाली इर्न पीढी इस परंपरा को संजोये रखती है या फिर इसे एक अधंविश्वास मान कर तोड़ देंगे.

बाईट.....बुधारू राम
बाईट.....गणेश नेताम
बाईट....शिवप्रसाद वट्टी
जय लाल प्रजापति ईटीवी भारत सिहावा धमतरीBody:8319178303Conclusion:
Last Updated : Nov 17, 2019, 3:02 PM IST
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