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SPECIAL: बाधाओं को पार कर पाई मंजिल, जानिए सेवती की कहानी

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Published : Sep 1, 2019, 12:12 AM IST

Updated : Sep 1, 2019, 3:44 PM IST

डांडेसरा गांव की दिव्यांग सेवती ध्रुव लाचारी को मात देकर 'शहीद कौशल यादव सम्मान' अपने नाम कर ली. शरीर से दिव्यांग और बिना किसी कोच के उसने अपनी मंजिल पाई है.

बाधाओं को पार कर पाई मंजिल

धमतरी: जिले के डांडेसरा गांव की रहने वाली दिव्यांग सेवती ध्रुव आज उन लोगों के लिए मिशाल है, जो कामयाबी नहीं मिलने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं. तमाम संसाधन होने के बाद भी अपने नाकामी को छुपाते हैं, लेकिन सेवती ध्रुव ने अपने कठिन परिश्रम, साहस और लगन के बदौलत पैराओलंपिक जूडो की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में तीन बार अलग-अलग पदक हासिल कर जिले का नाम रौशन की है.

बाधाओं को पार कर पाई मंजिल

वो कहते हैं न 'परिंदो को मिलेगी एक दिन मंज़िल, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं, और वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर, जमाने जिनके हुनर बोलते हैं'. ये चंद लाइनें उस शख्सियत के लिए है, जिसने अपने जज़्बे, जुनून और हौसलों से अपने सपनों को एक नया आयाम दिया है. ये बेटी पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप में तीन दफा पदक हासिल कर चुकी है. इनकी जितनी उम्र नहीं उससे कहीं ज्यादा उपलब्धियां है, जो वाकई काबिल-ए-तारीफ है.

यूट्यूब से वीडियो देखकर सीख रही
वैसे किसी भी खिलाड़ी को तराशने में कोच की अहम भूमिका मानी जाती है, लेकिन सेवती का कोई कोच नहीं है. 'एग्जैक्ट फाउंडेशन' में कार्यरत देवश्री जोशी यूट्यूब से वीडियो देखकर उन्हें जूडो की टेक्नीक सिखाती हैं. ट्रेनर देवश्री बताती हैं कि सेवती धुव्र जब 2016 में 'एग्जैक्ट फाउंडेशन' के दफ्तर में कदम रखीं, तो उस वक्त इनके आंखों में जूडो के प्रति एक जुनून सवार था, जिसने आज अपने हौसलों से सफलता की एक नई कहानी रच डाली है.

पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप में जीती पदक
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव की बेटी 'पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप' में तीन बार पदक हासिल कर चुकी हैं. जूडो के खेल में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने से नेशनल स्तर में गोल्ड, रजत, कांस्य पदक हासिल की है. इतना ही नहीं सेवती को मुख्यमंत्री के हाथों 'शहीद कौशल यादव' सम्मान और डेढ़ लाख रुपए पुरस्कार के रूप में मिले हैं. बस अब इसे जरूरत है तो सरकार के सपोर्ट और एक अच्छे कोच की, जो बुलंदियों को छूने में अपने टेक्निक की चिंगारी भर दे.

धमतरी: जिले के डांडेसरा गांव की रहने वाली दिव्यांग सेवती ध्रुव आज उन लोगों के लिए मिशाल है, जो कामयाबी नहीं मिलने पर तरह-तरह के बहाने बनाते हैं. तमाम संसाधन होने के बाद भी अपने नाकामी को छुपाते हैं, लेकिन सेवती ध्रुव ने अपने कठिन परिश्रम, साहस और लगन के बदौलत पैराओलंपिक जूडो की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में तीन बार अलग-अलग पदक हासिल कर जिले का नाम रौशन की है.

बाधाओं को पार कर पाई मंजिल

वो कहते हैं न 'परिंदो को मिलेगी एक दिन मंज़िल, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं, और वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर, जमाने जिनके हुनर बोलते हैं'. ये चंद लाइनें उस शख्सियत के लिए है, जिसने अपने जज़्बे, जुनून और हौसलों से अपने सपनों को एक नया आयाम दिया है. ये बेटी पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप में तीन दफा पदक हासिल कर चुकी है. इनकी जितनी उम्र नहीं उससे कहीं ज्यादा उपलब्धियां है, जो वाकई काबिल-ए-तारीफ है.

यूट्यूब से वीडियो देखकर सीख रही
वैसे किसी भी खिलाड़ी को तराशने में कोच की अहम भूमिका मानी जाती है, लेकिन सेवती का कोई कोच नहीं है. 'एग्जैक्ट फाउंडेशन' में कार्यरत देवश्री जोशी यूट्यूब से वीडियो देखकर उन्हें जूडो की टेक्नीक सिखाती हैं. ट्रेनर देवश्री बताती हैं कि सेवती धुव्र जब 2016 में 'एग्जैक्ट फाउंडेशन' के दफ्तर में कदम रखीं, तो उस वक्त इनके आंखों में जूडो के प्रति एक जुनून सवार था, जिसने आज अपने हौसलों से सफलता की एक नई कहानी रच डाली है.

पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप में जीती पदक
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव की बेटी 'पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप' में तीन बार पदक हासिल कर चुकी हैं. जूडो के खेल में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने से नेशनल स्तर में गोल्ड, रजत, कांस्य पदक हासिल की है. इतना ही नहीं सेवती को मुख्यमंत्री के हाथों 'शहीद कौशल यादव' सम्मान और डेढ़ लाख रुपए पुरस्कार के रूप में मिले हैं. बस अब इसे जरूरत है तो सरकार के सपोर्ट और एक अच्छे कोच की, जो बुलंदियों को छूने में अपने टेक्निक की चिंगारी भर दे.

Intro:सफलता किसी के हाथ और पैरों की मोहताज नहीं होती, बल्कि उसे पाने के लिए हौसलों में दम होना जरूरी है. यहां हम बताने जा रहे है दिव्यांग खिलाड़ी की कहानी जिन्होंने अपनी शारीरिक कमियों के बदले अपने जज़्बे, जुनून और हौसलों से अपने सपनों को आकार दिया और सफलता की एक नई कहानी लिख डाली.पैराओलंपिक जूडो चैम्पियनशिप में तीन बार पदक हासिल कर चुकी है इस बेटी को राज्य सरकार की ओर से शहीद कौशल यादव सम्मान से सम्मानित किया गया है.

Body:धमतरी जिले के डांडेसरा गांव की रहने वाली दिव्यांग सेवती ध्रुव आज उन लोगो के लिए मिशाल है जो कामयाबी नही मिलने पर तरह तरह के बहाने बनाते है और तमाम संसाधन होने के बाद भी अपने नाकामी को छुपाने हर तरह की कोशिश करते है.सेवती ध्रुव ने अपने कठिन परिश्रम,साहस और लगन के बदौलत पैरालिंपिक जूडो की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में तीन बार अलग अलग पदक हासिल कर चुकी है.उनकी माने तो ये कामयाबी संसाधनो के अभाव मे कठिन परिश्रम करके पाई है.उनका कहना है कि अगर शासन प्रशासन की ओर से खेलो को बढावा देने से लिए संसाधन मुहैया कराती है तो ऐसे कई बच्चे है जो राष्ट्रीय स्तर के खेलो तक पहुच सकते है.

राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर रायपुर में आयोजित अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले की दिव्यांग छात्रा सेवती ध्रुव को शहीद कौशल यादव सम्मान समारोह से सम्मानित किया है और उन्हें डेढ़ लाख रुपए का चेक भी दिया है.बता दे कि सेवती ध्रुव रुद्री स्थित एग्जैक्ट फाउंडेशन नामक एनजीओ से जुड़ी है.इस संस्था की संचालिका लक्ष्मी सोनी ने बताया कि सेवती 2016 से संस्था में जुड़ी है और 2017 से वह जूडो के खेल में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है और नेशनल स्तर गोल्ड,रजत,कांस्य पदक हासिल की है.

किसी भी खिलाड़ी को तराशने मे उनके कोच की अहम भूमिका मानी जाती है लेकिन सेवती का कोई कोच नही है इसी संस्था में कार्यरत देवश्री जोशी और उनकी टीम द्वारा यूट्यूब से वीडियो देखकर उन्हें जूडो की टेक्नीक सिखाते है.शुरूआती दौर में थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन इस बच्ची की लगन और उनके दमखम ने लोहा मनवाया.

Conclusion:सेवती पुर्णतः दृष्टि बाधित है और44 किलो वेट की केटेगरी में खेलती है.अब तक वह हरियाणा के गुरुग्राम, लखनऊ और गोरखपुर में तीन बार नेशनल के लिए खेलते हुए पदक हासिल की है.फिलहाल सेवती ध्रुव एशियन इंटरनेशनल पैराओलंपिक जूडो की तैयारी मे जुटी हुई है.

बाईट_01सेवती ध्रुव,दिव्यांग खिलाड़ी
बाईट_02देवश्री जोशी,ट्रेनर
बाईट_03 लक्ष्मी सोनी,संचालिका एग्जेक्ट फाउंडेशन

रामेश्वर मरकाम,ईटीवी भारत,धमतरी




Last Updated : Sep 1, 2019, 3:44 PM IST
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