धमतरी: जैन समाज की बेटी मुमुक्षु कुमकुम कोटड़िया 28 मई को दीक्षा लेने जा रही हैं. इससे पहले मुमुक्षु कुमकुम नगर भ्रमण के लिए वरघोड़ा से निकालीं. शनिवार को कुमकुम की यात्रा मराठा पारा निवास स्थान से मुख्य मार्ग होते हुए पुरानी कृषि उपज मंडी पहुंची. यहां मंच कार्यक्रम में मुमुक्षु कुमकुम कोटड़िया का भव्य स्वागत गया. इस दौरान भारी संख्या में जैन समाज के लोग धमतरी के अलावा रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कांकेर सहित अन्य जिलों से शामिल हुए.
धमतरी के बेटी की अनोखी विदाई: घर में जब बेटी पैदा होती है तो तो उसे माता-पिता पढ़ा-लिखाकर उसका ब्याह कर देते हैं. हालांकि धमतरी की बेटी मुमुक्षु कुमकुम कोटड़िया दीक्षा ग्रहण कर साध्वी का जीवन जीने जा रही हैं. धमतरी की बेटी की ये अनोखी विदाई देखने श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है.
"जीवन को धर्म के क्षेत्र में उज्ज्वल कर सकें. मुझसे जाने-अंजाने में कुछ गलतियां हुई हो तो अपनी बेटी समझकर माफ करना."- मुमुक्षु कुमकुम कोटड़िया, दीक्षार्थी
28 मई को दीक्षा समारोह: राजस्थान के कानोड़ में 28 मई को कुमकुम कोटड़िया का दीक्षा समारोह रखा गया है. इस बीच बरघोड़ा शोभायात्रा का हर रास्ते में जैन समाज द्वारा स्वागत किया जा रहा है. जैन समाज के लोग शोभा यात्रा में शामिल लोगों का अभिनंदन करते नजर आए.
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जैन समाज के लोगों ने गाया गीत: समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि आज के आधुनिक युग में सांसारिक मोह त्यागना बहुत कठिन काम है. मोबाइल, सोशल मीडिया और परिवार के बीच में रहकर अपने धर्म संस्कृति को जानना आसान नहीं. शोभायात्रा के दौरान रास्ते भर में जैन समाज के युवक-युवतियों ने सुमधुर भक्ति गीतों की प्रस्तुति से समां बांधा. जैन समाजजनों सहित अन्य समाजों के लोगों ने भी मुमुक्षु का स्वागत किया.
दीक्षा के बाद ऐसा होगा जीवन: कुमकुम दीक्षा के बाद साध्वी का वेश धारण कर सात्विक जीवन में प्रवेश करेंगी. आचार्य भगवन नया नामकरण करेंगे. एक तरह से दीक्षा के बाद नया जीवन शुरू होता है. साध्वी के वेश में सीमित आहार, पानी और कपड़ों में जीवन यापन करना पड़ता है. दीक्षा के बाद पारिवार के लोगों से नाता टूट जाता है.