धमतरी: छत्तीसगढ़ सरकार पूरे प्रदेश में गौधन न्याय योजना चलाने जा रही है. सरकार की इस योजना को लोगों ने बहुत सराहा है. शहर में भी लोगों ने सरकार की इस योजना की तारीफ की है. शहरी क्षेत्रों में भी इस अभियान को लागू कर मवेशियों को संरक्षित कर दुर्घटना में कमी लाने की योजना बनाई गई है.
गौधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इस योजना से पशु पालकों को अतिरिक्त लाभ तो मिलेगा ही साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. इसके साथ ही सड़कों पर जहग-जगह पड़े गोबरों और गंदगी से निजात मिल सकेगी. 20 जुलाई से प्रदेश में गोबर की खरीदी शुरू होगी. इस पल का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. डेयरी संचालक भी सरकार के इस फैसले को सराह रहे हैं.
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आय का जरिया बनेगा गोबर
गोबर का उपयोग खाद और कंडे बनाने के लिए किया जा रहा है. इसके साथ ही गोबर लोगों के आय का जरिया भी बनेगा. ग्रामीण बताते हैं कि पहले गोबर को बीनने का काम किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह काम बंद हो गया नतीजन सड़को या गलियों में गोबर पड़ा रह जाता है जिसे उठाने वाला कोई नहीं है. उनका कहना इस योजना से पुराने दिन फिर लौट आएंगे.
शहर में आवारा मवेशी बड़ी चुनौती
धमतरी के लोगों का कहना है कि शहर में आवारा मवेशी एक बड़ी चुनौती रही है. नेशनल हाइवे में इन मवेशियों की वजह से कई हादसे हुए. बीते पांच साल में करीब 30 लोगों की जान आवारा मवेशियों के टक्कर से हुई है.
मवेशियों से होने वाले हादसे
- शहर के घड़ी चौक, सिहावा चौक सहित रत्नाबांधा चौक में बीते 3 सालों में 4 लोगों की मौत हुई है.
- 2 महीने में करीब 25 आवारा मवेशियों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है.
- बीते दो महीने पहले एक मेटाडोर चालक ने सड़क पर बैठे 6 मवेशियों को कुचल दिया था.
शहर में करीब 1000 आवारा मवेशी हैं जिनमें पशु पालकों के मवेशी भी शामिल हैं. जिन्हें दूध निकालने के बाद सड़कों पर छोड़ दिया जाता है. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार रोका छेका संकल्प अभियान भी चला रही है.
पशुओं की घटती संख्या
पिछले कुछ सालों में गोधन की संख्या घटी है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले से इनकी संख्या बढ़ सकती है. बताया जा रहा है कि जिले में गाय, बैल, भैंस की संख्या 5 साल पहले 3 लाख 86 हजार थी जो घटकर अब 2 लाख 97 हजार हो गई है. गोधन नर पशुओं की संख्या घटी है जबकि गायों की संख्या अभी भी बरकरार है.
अधिकारियों का कहना है कि गौठानों में इकट्ठा हो रहे गोबर का आंकलन के बाद उनका प्रबंधन किया जाएगा. वहीं इससे जैविक खाद भी तैयार किए जाएंगे. इसके अलावा अन्य उत्पाद तैयार किया जाएगा.
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गौधन न्याय योजना को ग्रामीण और किसानों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया है. गोबर खरीदी की योजना पर गांव ही नहीं शहर में भी अच्छा रिस्पॉन्स मिलने वाला है. डेयरी संचालक इसे राहत के साथ मुनाफा करने वाला बता रहा है तो वहीं ग्रामीण इससे अतिरिक्त लाभ होना मान रहे है.