रायपुर : छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट में से एक है कुरुद विधानसभा. यह धमतरी जिले में आती है. छत्तीसगढ़ की सियासत में कुरुद विधानसभा सीट की खासी अहमियत मानी जाती है. इस सीट से बीजेपी के कद्दावर नेता अजय चंद्राकर आते हैं. राजनीतिक नजरिए से भी देखें तो राजनीति में इस इलाके की खासी अहमियत है.भौगोलिक स्थिति की बात करें तो कुरुद विधानसभा के पूर्व में गरियाबंद विधानसभा और पश्चिम में पाटन और बालोद विधानसभा पड़ती है. वहीं उत्तर में राजिम के साथ अभनपुर विधानसभा और दक्षिण धमतरी सहित सिहावा विधानसभा पड़ती है.
कौन है आमने-सामने ? : कुरुद विधानसभा बीजेपी का गढ़ माना जाता है.इस बार कुरुद से बीजेपी ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर पर ही भरोसा जताया है.वहीं कांग्रेस की बात करें तो तारिणी चंद्राकर कांग्रेस की उम्मीदवार घोषित की गई हैं.
क्या है कुरुद का राजनीतिक इतिहास ? : कुरुद विधानसभा से चुनाव जीतकर भोपालराव पवार कांग्रेस और बीजेपी से यशवन्त राव मेघावाले मध्यप्रदेश शासनकाल में मंत्री बने थे. वहीं वर्तमान में बीजेपी के कद्दावर नेता और कुरूद विधायक अजय चंद्राकर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वैसे कुरुद विधानसभा में तीसरी पार्टी का कोई वजूद नहीं रहा है. नए परिसीमन के बाद मगरलोड क्षेत्र के 90 गांव इस विधानसभा से अलग हुए और भखारा क्षेत्र के 42 गांव विधानसभा में शामिल हुए. परिसीमन के बाद हुए चुनाव में बीजेपी को जरूर झटका लगा. लेकिन बाद में बीजेपी ने यहां अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया.
कुरुद विधानसभा में मतदाताओं की स्थिति : कुरुद विधानसभा की जनसंख्या तकरीबन 208655 है. जिसमें 104465 पुरूष और 104188 महिला मतदाता हैं. वहीं थर्ड जेंडर 2 हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में साहू मतदाता अधिक हैं. लेकिन कुर्मी वोट भी चुनाव प्रभावित करते हैं. 51 फीसदी महिला मतदाता है. इस क्षेत्र में करीब 1 लाख साहू मतदाता हैं.इसके अलावा करीब 35 हजार कुर्मी मतदाता है.हालांकि यहां जातिगत चुनाव मायने नहीं रखते हैं.कुरुद के मतदाताओं की जागरुकता इस बात से भी दिखती है कि वे मतदान के अधिकार का उपयोग करने में आगे रहते हैं.जिले में सबसे अधिक वोटिंग कुरुद विधानसभा में होती है.
कुरुद विधानसभा में राजनीतिक समीकरण : कुरुद विधानसभा की खासियत ये है कि यहां की जनता बीजेपी और कांग्रेस को बराबर का मौका देती आई है. यहां हुए कुल 14 चुनाव में 8 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. 1962,1972 और 1977 में यशवन्त राव मेघावाले विधायक बने,लेकिन उन्हें 1967 और 1980 में हार का सामना भी करना पड़ा.वर्ष 1998 और 2003 में यहां से अजय चंद्राकर विधायक बने,लेकिन उन्हें भी 2008 में लेखराम साहू से हार का सामना करना पड़ा. साल 2013 में अजय चंद्राकर रिकॉर्ड मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
2018 में चुनावी परिणाम : 2018 विधानसभा चुनाव में अजय चन्द्राकर एक बार फिर चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अजय चंद्रकार को बीते चुनाव में 72922 वोट मिले थे,वहीं कांग्रेस से बागी रहे नीलम चन्द्राकर को 60605 वोट मिले. वहीं कांग्रेस पिछले चुनाव में यहां तीसरे नंबर पर सिमट कर रह गई.कांग्रेस के लक्ष्मीकांत साहू को 26483 मिले थे.पिछले चुनाव में इस विधानसभा में 88.41 फीसदी वोटिंग हुई थी
कुरुद विधानसभा की समस्याएं और मुद्दे : अजय चंद्राकर वर्ष 2003 से 2008 तक और वर्ष 2013 से 2018 तक वे कैबिनेट मंत्री रहे. इस 10 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने कुरूद नगर में अनेक विकास कार्य किए.पुल- पुलियों और सड़कों का जाल बिछाया.केन्द्रीय विद्यालय खुलवाया. कुरुद से विशाखापट्टनम तक सड़क की बड़ी परियोजना को मूर्त रूप दिया. मंत्री रहते हुए उन्होंने कुरूद को प्रदेश में नई पहचान दी. यहां कृषि, बेरोजगारी, महानदी पर अवैध खनन, स्वास्थ्य सुविधा और भ्रष्टाचार जैसे मुददे हावी हैं.लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटकना पड़ता है.लगातार डाॅक्टरों की कमी के कारण मरीजों को धमतरी या फिर रायपुर रिफर कर दिया जाता है. जो इस बार चुनावी मुददे हो सकते हैं.क्षेत्र की रेत खदानों में अवैध उत्खनन का मुद्दा चुनावी मुददा हो सकती है.
कुरुद विधानसभा सीट शुरू से ही हाईप्रोफाइल रही है.इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी रहती है.इस बार भी कुरुद का चुनावी संग्राम दिलचस्प हो सकता है.वहीं चंद्राकर की सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल रहेगी. हालांकि इस सीट पर कब्जा वापस पाने भाजपा कोई कसर नही छोड़ेगी.