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Women'sday: वेस्ट से बेस्ट कैसे बनाते हैं ये कोई प्रीति से सीखे

धमतरी: भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां अलग-अलग राज्यों में कई फसलों का उत्पादन किया जाता है. लेकिन ज्यादातर किसान इन फसलों की ठूंठ को जला देते हैं या खेत में ही छोड़ देते हैं. ऐसे में अगर ये ठूंठ किसी काम आ पाए तो कितना अच्छा होगा. साथ ही किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी होगी.

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Published : Mar 2, 2019, 5:20 PM IST

इन बेजार हो चुके ठूंठ का तोड़ निकाल लिया गया है और इसके जरिए एक नया उत्पाद कैसे बनाया जा सकता है, इसका उदाहरण एक मॉडल के जरिए धमतरी की रहने वाली आदिवासी छात्रा प्रीति ध्रुव ने पेश किया है. प्रीति ने अपने मॉडल के जरिए बताया है कि मक्के की ठूंठ से हार्डबोर्ड और प्लाइवुड कैसे बनाया जा सकता है. इस मॉडल के जरिए किसानों को आर्थिक लाभ होगा. इसके साथ ही बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा.

वीडियो


8वीं क्लास में पढ़ती है प्रीति
प्रीति धमतरी जिले के शक्करवारा गांव के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती है. उसके द्वारा बनाए गए इस विज्ञान मॉडल का आईआईटी नई दिल्ली में इंटरनेशनल स्तर के लिए चयन हुआ है. इतना ही नहीं, अब प्रीति के इस मॉडल का जापान में भी प्रदर्शन किया जाएगा.

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पर्यावरण को होता है नुकसान
मक्के की फसल तैयार होने के बाद किसान बीज निकालने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में जला देते हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. साथ ही खेतों को फायदा पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं.

अवार्ड के लिए चयनित मॉडल
जब प्रीति ने ये देखा तो उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न इस अवशेष से कुछ बनाया जाए. इसके बाद प्रीति ने मक्के के अवशेष को लेकर काम करना शुरू कर दिया. उसने मक्के के ठूंठ से हार्डबोर्ड, प्लाईवुड और फोटो फ्रेम तैयार किया. इस काम में टीचर उसका बराबर सहयोग करते रहे. अब उनके इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड के तहत चयनित भी किया गया है.


मौजूदा वक्त में आज बेटियां बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. अगर देखा जाए तो बेटियां बेटों से कई कदम आगे निकल चुकी हैं. यही नहीं बेटियां आज अपने हुनर का लोहा भी मनवा रही हैं. वनांचल और एक छोटे से गांव से आने वाली प्रीति के इस हुनर से सभी उसके मुरीद हो गए हैं.
बहरहाल कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसानी से पार हो जाती हैं. गरीब और संसाधनों के अभाव के बीच पल रही प्रीति ने अपने दिमाग और हुनर से एक मिसाल कायम किया है जिससे सभी लोगों को सीखने की जरूरत है.

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इन बेजार हो चुके ठूंठ का तोड़ निकाल लिया गया है और इसके जरिए एक नया उत्पाद कैसे बनाया जा सकता है, इसका उदाहरण एक मॉडल के जरिए धमतरी की रहने वाली आदिवासी छात्रा प्रीति ध्रुव ने पेश किया है. प्रीति ने अपने मॉडल के जरिए बताया है कि मक्के की ठूंठ से हार्डबोर्ड और प्लाइवुड कैसे बनाया जा सकता है. इस मॉडल के जरिए किसानों को आर्थिक लाभ होगा. इसके साथ ही बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा.

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8वीं क्लास में पढ़ती है प्रीति
प्रीति धमतरी जिले के शक्करवारा गांव के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती है. उसके द्वारा बनाए गए इस विज्ञान मॉडल का आईआईटी नई दिल्ली में इंटरनेशनल स्तर के लिए चयन हुआ है. इतना ही नहीं, अब प्रीति के इस मॉडल का जापान में भी प्रदर्शन किया जाएगा.

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पर्यावरण को होता है नुकसान
मक्के की फसल तैयार होने के बाद किसान बीज निकालने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में जला देते हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. साथ ही खेतों को फायदा पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं.

अवार्ड के लिए चयनित मॉडल
जब प्रीति ने ये देखा तो उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न इस अवशेष से कुछ बनाया जाए. इसके बाद प्रीति ने मक्के के अवशेष को लेकर काम करना शुरू कर दिया. उसने मक्के के ठूंठ से हार्डबोर्ड, प्लाईवुड और फोटो फ्रेम तैयार किया. इस काम में टीचर उसका बराबर सहयोग करते रहे. अब उनके इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड के तहत चयनित भी किया गया है.


मौजूदा वक्त में आज बेटियां बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. अगर देखा जाए तो बेटियां बेटों से कई कदम आगे निकल चुकी हैं. यही नहीं बेटियां आज अपने हुनर का लोहा भी मनवा रही हैं. वनांचल और एक छोटे से गांव से आने वाली प्रीति के इस हुनर से सभी उसके मुरीद हो गए हैं.
बहरहाल कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसानी से पार हो जाती हैं. गरीब और संसाधनों के अभाव के बीच पल रही प्रीति ने अपने दिमाग और हुनर से एक मिसाल कायम किया है जिससे सभी लोगों को सीखने की जरूरत है.

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Intro:भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां अलग-अलग राज्यों में अलग अलग फसलों का उत्पादन लिया जाता है जहां अधिकांश राज्यों में मक्के की खेती भी की जाती है तो वही छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नही है यहां मक्के की खेती कर किसान खुशहाल हो रहे है. हालांकि ज्यादातर किसान मक्के से बीज निकालकर उनके ठूंठ को अपनी खेत पर ही छोड़ देते है या फिर उन्हें जला देते है ऐसे में यह कही न कही वायु प्रदूषण कारण बन जाता है इसके आलावा जमीन की उर्वरा शक्ति भी खत्म होने की वजह भी बन जाती है लेकिन बेजार हो चुके इस ठूंठ यानि उनके अवशेष का तोड़ निकाल लिया गया है और उसके जरिये भी एक नया उत्पाद बनाया जा सकता है.इसका उदाहरण एक मॉडल के जरिये धमतरी के रहने वाली आदिवासी छात्रा प्रीति ध्रुव ने पेश किया है.


Body:दरअसल प्रीति ध्रुव ने अपने मॉडल के जरिये बताया है कि मक्के की ठूंठ से हार्डबोर्ड और प्लाईवुड कैसे बनाया जा सकता है इसके अलावा इससे होने वाले प्रदूषण से छुटकारा पाने में भी कामयाबी मिल सकती है.वही किसानों को आर्थिक लाभ होगा साथ ही बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा.धमतरी जिले के शक्करवारा गांव के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा आठवीं पढ़ने वाली आदिवासी छात्रा प्रीति ध्रुव द्वारा बनाए गए इस विज्ञान मॉडल का आईआईटी नई दिल्ली में इंटरनेशनल स्तर के लिए चयन हुआ है और अब प्रीति ध्रुव का यह मॉडल जापान में भी प्रदर्शन किया जाएगा.

मौजूदा वक्त में आज बेटियां बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं अगर देखा जाए तो बेटियां बेटों से कई कदम आगे निकल चुके है यही नहीं बेटियां आज अपने हुनर का लोहा भी मनवा रहे है. वनांचल और एक छोटे से गांव से आने वाली प्रीति ध्रुव के इस हुनर से सभी उनके मुरीद हो गए है.किसी ने सोचा नहीं होगा कि मक्के के बेकार अवशेष से भला क्या कोई चीज बन सकता है लेकिन प्रीति ध्रुव ने अपने दिमाग को बदौलत बता दिया कि कोई भी चीज बेकार नहीं होता बल्कि खुद में हौसला और कुछ कर गुजरने की इच्छा होनी चाहिए जिससे कोई भी चीज नामुमकिन नहीं है.

बाईट....प्रीति ध्रुव,होनहार बच्ची

गौरतलब है कि मक्के का फसल तैयार होने के बाद किसान बीज निकालने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में जला देते हैं जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है साथ ही खेतों को फायदा पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं जिसको लेकर प्रीति ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है कि इस फसल के अवशेष होने वाले पर्यावरण नुकसान से बचाएगा.

बाईट....दयाराम साहू,प्राचार्य मिडिल स्कूल शक्करवारा

बाईट....तेजेन्द्र नागवंशी,समाज प्रमुख शक्करवारा

शुरू से ही होनहार यह बालिका पढ़ाई में होशियार है वह बताती है कि मक्के का फसल लेने के बाद किसान उसके अवशेष को खेत में जला देते हैं मक्के के अवशेष को लेकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इस अवशेष से कुछ बनाया जाए जिसके बाद प्रीति मक्के के अवशेष को लेकर काम करना शुरू कर दिया और आखिरकार में प्रीति को उनके इस लक्ष्य पर कामयाबी मिल ही गई.प्रीति मक्के के अवशेष हार्डबोर्ड,प्लाईवुड,फोटो फ्रेम बनाया.इस काम में उनकी टीचर उनका बराबर सहयोग करते रहे और अब उनके इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड के तहत चयनित किया गया है.




Conclusion:बहरहाल कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसानी से पार हो जाती है.गरीब और संसाधनों के अभाव के बीच पल रही प्रीति ने अपने दिमाग और हुनर से एक मिसाल कायम किया है जिससे सभी लोगो को सीखने की जरूरत है.
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