इन बेजार हो चुके ठूंठ का तोड़ निकाल लिया गया है और इसके जरिए एक नया उत्पाद कैसे बनाया जा सकता है, इसका उदाहरण एक मॉडल के जरिए धमतरी की रहने वाली आदिवासी छात्रा प्रीति ध्रुव ने पेश किया है. प्रीति ने अपने मॉडल के जरिए बताया है कि मक्के की ठूंठ से हार्डबोर्ड और प्लाइवुड कैसे बनाया जा सकता है. इस मॉडल के जरिए किसानों को आर्थिक लाभ होगा. इसके साथ ही बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा.
8वीं क्लास में पढ़ती है प्रीति
प्रीति धमतरी जिले के शक्करवारा गांव के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती है. उसके द्वारा बनाए गए इस विज्ञान मॉडल का आईआईटी नई दिल्ली में इंटरनेशनल स्तर के लिए चयन हुआ है. इतना ही नहीं, अब प्रीति के इस मॉडल का जापान में भी प्रदर्शन किया जाएगा.
पर्यावरण को होता है नुकसान
मक्के की फसल तैयार होने के बाद किसान बीज निकालने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में जला देते हैं. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. साथ ही खेतों को फायदा पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं.
अवार्ड के लिए चयनित मॉडल
जब प्रीति ने ये देखा तो उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न इस अवशेष से कुछ बनाया जाए. इसके बाद प्रीति ने मक्के के अवशेष को लेकर काम करना शुरू कर दिया. उसने मक्के के ठूंठ से हार्डबोर्ड, प्लाईवुड और फोटो फ्रेम तैयार किया. इस काम में टीचर उसका बराबर सहयोग करते रहे. अब उनके इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड के तहत चयनित भी किया गया है.
मौजूदा वक्त में आज बेटियां बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. अगर देखा जाए तो बेटियां बेटों से कई कदम आगे निकल चुकी हैं. यही नहीं बेटियां आज अपने हुनर का लोहा भी मनवा रही हैं. वनांचल और एक छोटे से गांव से आने वाली प्रीति के इस हुनर से सभी उसके मुरीद हो गए हैं.
बहरहाल कुछ कर गुजरने की चाह हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसानी से पार हो जाती हैं. गरीब और संसाधनों के अभाव के बीच पल रही प्रीति ने अपने दिमाग और हुनर से एक मिसाल कायम किया है जिससे सभी लोगों को सीखने की जरूरत है.