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धमतरी में मनरेगा कर्मचारियों की दांडी यात्रा को प्रशासन ने रोका

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Published : Apr 28, 2022, 11:39 PM IST

कोरोना नियमों का हवाला देकर धमतरी में जिला प्रशासन ने मनरेगा कर्मचारियों की दांडी यात्रा को रोक दिया है. जिसके बाद मनरेगा कर्मियों में रोष है.

Dandi Yatra of MGNREGA employees in Dhamtari
मनरेगा कर्मचारियों की दांडी यात्रा

धमतरी: दंतेवाड़ा से 340 किलोमीटर का पैदल सफर करके धमतरी पहुंचे मनरेगा कर्मचारियों की दांडी यात्रा को जिला प्रशासन ने कुरूद में कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए रोक दिया है.हालांकि छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी संघ के सदस्य प्रशासन से अनुमति लेने की कोशिश में जुटे हैं. सदस्यों ने कहा है कि यदि प्रशासन अनुमति नहीं देती है तो फिर भी संघ के हजारों सदस्य शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ सकते हैं

मनरेगा कर्मियों में रोष
12 अप्रैल से दांडी यात्रा की हुई थी शुरुआत: दरअसल प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले मनरेगा कर्मचारियों को नियमतीकरण करने का वादा किया था और बकायदा अपने घोषणा पत्र में भी इस मांग को पूरा करने का वादा किया था.प्रदेश में सरकार तो कांग्रेस की आ गई,लेकिन इसके बाद मनरेगा कर्मचारियों से किया गया वायदा सरकार भूल गई.इधर सरकार के घोषणा पत्र में किए गए वायदे का इंतजार करते जब मनरेगा कर्मचारियों का सब्र का बांध टूटा तो वह सरकार को वादा याद कराने निकले हैं. इसके लिए 12 अप्रैल से उन्होंने दांडी यात्रा की शुरुआत की.इसके बाद अलग-अलग जिलों से मनरेगा कर्मचारी इस यात्रा जुड़ते गए.कंडेल पहुंची दांडी यात्रा: दांडीयात्रा के धमतरी पहुंचने के बाद कर्मचारियों का काफिला ऐतहासिक गौरव ग्राम कंडेल पहुंचा.जहां अंग्रेजों के दमन के विरोध में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में नहर सत्याग्रह की शुरूआत हुई थी.तब इस आंदोलन में शामिल होने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कंडेल पहुंचे थे.मनरेगा कर्मचारियों ने कंडेल में जिस जगह पर नहर सत्याग्रह किया था,उसी जगह पर साफ सफाई अभियान चलाया.वहीं कंडेल में कर्मचारियों ने संगोष्ठी भी की.बाद इसके दांडी यात्रा रायपुर की ओर रवाना हो रही थी जिसे प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए नोटिस देकर रोक दिया.

दंतेवाड़ा से निकली दांडी यात्रा पहुंची जगदलपुर, 78 कर्मचारी रायपुर तक कर रहे पदयात्रा


संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि "वे कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें उनका वादा याद दिलाना चाहते हैं.इस दौरान आंदोलनकारी शांतिपूर्ण तरीके और शासन के कानून व्यवस्था का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं.तकरीबन 340 किलोमीटर के सफर में सभी जगह उन्हें सहयोग मिला है.ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि आगे भी उन्हें सहयोग मिलेगा.बहरहाल मनरेगा कर्मचारियों को पूरी आस है कि सरकार उनकी बातें सुनेंगी और उनकी मांगें भी पूरी करेगी.

धमतरी: दंतेवाड़ा से 340 किलोमीटर का पैदल सफर करके धमतरी पहुंचे मनरेगा कर्मचारियों की दांडी यात्रा को जिला प्रशासन ने कुरूद में कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए रोक दिया है.हालांकि छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी संघ के सदस्य प्रशासन से अनुमति लेने की कोशिश में जुटे हैं. सदस्यों ने कहा है कि यदि प्रशासन अनुमति नहीं देती है तो फिर भी संघ के हजारों सदस्य शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ सकते हैं

मनरेगा कर्मियों में रोष
12 अप्रैल से दांडी यात्रा की हुई थी शुरुआत: दरअसल प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले मनरेगा कर्मचारियों को नियमतीकरण करने का वादा किया था और बकायदा अपने घोषणा पत्र में भी इस मांग को पूरा करने का वादा किया था.प्रदेश में सरकार तो कांग्रेस की आ गई,लेकिन इसके बाद मनरेगा कर्मचारियों से किया गया वायदा सरकार भूल गई.इधर सरकार के घोषणा पत्र में किए गए वायदे का इंतजार करते जब मनरेगा कर्मचारियों का सब्र का बांध टूटा तो वह सरकार को वादा याद कराने निकले हैं. इसके लिए 12 अप्रैल से उन्होंने दांडी यात्रा की शुरुआत की.इसके बाद अलग-अलग जिलों से मनरेगा कर्मचारी इस यात्रा जुड़ते गए.कंडेल पहुंची दांडी यात्रा: दांडीयात्रा के धमतरी पहुंचने के बाद कर्मचारियों का काफिला ऐतहासिक गौरव ग्राम कंडेल पहुंचा.जहां अंग्रेजों के दमन के विरोध में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में नहर सत्याग्रह की शुरूआत हुई थी.तब इस आंदोलन में शामिल होने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कंडेल पहुंचे थे.मनरेगा कर्मचारियों ने कंडेल में जिस जगह पर नहर सत्याग्रह किया था,उसी जगह पर साफ सफाई अभियान चलाया.वहीं कंडेल में कर्मचारियों ने संगोष्ठी भी की.बाद इसके दांडी यात्रा रायपुर की ओर रवाना हो रही थी जिसे प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए नोटिस देकर रोक दिया.

दंतेवाड़ा से निकली दांडी यात्रा पहुंची जगदलपुर, 78 कर्मचारी रायपुर तक कर रहे पदयात्रा


संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि "वे कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें उनका वादा याद दिलाना चाहते हैं.इस दौरान आंदोलनकारी शांतिपूर्ण तरीके और शासन के कानून व्यवस्था का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं.तकरीबन 340 किलोमीटर के सफर में सभी जगह उन्हें सहयोग मिला है.ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि आगे भी उन्हें सहयोग मिलेगा.बहरहाल मनरेगा कर्मचारियों को पूरी आस है कि सरकार उनकी बातें सुनेंगी और उनकी मांगें भी पूरी करेगी.

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