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धमतरी में निजी मेडिकल एजेंसी ने बेचे सरकारी क्लोरीन टैबलेट!

धमतरी नगर निगम की खरीदी हुई क्लोरीन टैबलेट के गुणवत्ता में कमी पाए जाने के बाद बड़ा खुलासा हुआ है. टैबलेट पर 'नॉट फॉर सेल' और सिर्फ सरकारी स्पलाई लिखा है. ऐसे में ये बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर एक निजी मेडिकल एजेंसी के पास इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी टैबलेट कहां से आया. वहीं निगम प्रशासन ने इस लापरवाही के जांच के लिए टीम गठित कर ली है.

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Published : May 10, 2020, 12:48 PM IST

Updated : May 10, 2020, 2:49 PM IST

chlorine tablets
क्लोरीन टैबलेट

धमतरी: नगर निगम द्वारा क्लोरीन टैबलेट की खरीदी में एक बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जिस टैबलेट को निगम द्वारा खरीदा गया है उस पर 'नॉट फॉर सेल' और सिर्फ सरकारी सप्लाई का उल्लेख है. ऐसे में अब इस मामले का खुलासा होने के बाद निगम में हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि क्लोरीन टैबलेट की सप्लाई शहर के एक मेडिकल एजेंसी द्वारा टेंडर प्रक्रिया के तहत की गई थी और करीब 50 हजार टैबलेट की खरीदी निगम ने की थी.

क्लोरीन टैबलेट खरीदी में गड़बड़ी
दरअसल प्रदेश के कुछ जिलों में इन दिनों पीलिया का कहर है. धमतरी नगर निगम ने शुद्ध पेयजल मुहैया कराने और पीलिया से बचने के लिए क्लोरीन टेबलेट की खरीदी की है, जिसे बांटने के लिए मितानिनों को दिया गया था. लेकिन जब मितानिनों द्वारा क्लोरीन टैबलेट की गुणवत्ता को लेकर नगर निगम से शिकायत की गई. तब निगम प्रशासन ने इसका जांच की. अब स्टोर में रखे सभी क्लोरीन दवाइयों को सील कर दिया गया है. वहीं इस मामले की जांच के लिए टीम भी गठित की गई है.

जहां से शुरू हुआ था जंगल सत्याग्रह, जहां है वीरों की निशानियां, उसे सब भुला बैठे

भाजपा ने निगम प्रशासन को घेरा

निगम ने जिस टैबलेट की खरीदी की है वह एक सरकारी क्लोरीन टैबलेट है. मेडिकल एजेंसी संचालक ने निगम कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर निगम को बेच दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एक निजी मेडिकल संचालक के पास इतनी मात्रा में सरकारी दवाई कहां से आई और इस भ्रष्टाचार में कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं. वहीं जब टैबलेट की सप्लाई हुई तो उस दौरान इसकी जांच क्यों नहीं की गई. इस मामले को लेकर भाजपा निगम को घेरते हुए नजर आ रही है. वहीं इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

तीन दिन के अंदर आएगी जांच रिपोर्ट
मितानिनों का कहना है कि क्लोरीन टैबलेट खराब होने के कारण वार्ड में इसका वितरण नहीं किया गया है और इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग सहित नगर निगम को भी दी गई है. वहीं इस मामले में नगर निगम ने जांच के लिए टीम बना दी है. जिसकी रिपोर्ट 3 दिनों के भीतर देने के लिए कहा गया है. जांच की रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है. बहरहाल इस पूरे मामले की बारीकी से जांच पड़ताल की जाए तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है.

धमतरी: नगर निगम द्वारा क्लोरीन टैबलेट की खरीदी में एक बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जिस टैबलेट को निगम द्वारा खरीदा गया है उस पर 'नॉट फॉर सेल' और सिर्फ सरकारी सप्लाई का उल्लेख है. ऐसे में अब इस मामले का खुलासा होने के बाद निगम में हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि क्लोरीन टैबलेट की सप्लाई शहर के एक मेडिकल एजेंसी द्वारा टेंडर प्रक्रिया के तहत की गई थी और करीब 50 हजार टैबलेट की खरीदी निगम ने की थी.

क्लोरीन टैबलेट खरीदी में गड़बड़ी
दरअसल प्रदेश के कुछ जिलों में इन दिनों पीलिया का कहर है. धमतरी नगर निगम ने शुद्ध पेयजल मुहैया कराने और पीलिया से बचने के लिए क्लोरीन टेबलेट की खरीदी की है, जिसे बांटने के लिए मितानिनों को दिया गया था. लेकिन जब मितानिनों द्वारा क्लोरीन टैबलेट की गुणवत्ता को लेकर नगर निगम से शिकायत की गई. तब निगम प्रशासन ने इसका जांच की. अब स्टोर में रखे सभी क्लोरीन दवाइयों को सील कर दिया गया है. वहीं इस मामले की जांच के लिए टीम भी गठित की गई है.

जहां से शुरू हुआ था जंगल सत्याग्रह, जहां है वीरों की निशानियां, उसे सब भुला बैठे

भाजपा ने निगम प्रशासन को घेरा

निगम ने जिस टैबलेट की खरीदी की है वह एक सरकारी क्लोरीन टैबलेट है. मेडिकल एजेंसी संचालक ने निगम कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर निगम को बेच दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एक निजी मेडिकल संचालक के पास इतनी मात्रा में सरकारी दवाई कहां से आई और इस भ्रष्टाचार में कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं. वहीं जब टैबलेट की सप्लाई हुई तो उस दौरान इसकी जांच क्यों नहीं की गई. इस मामले को लेकर भाजपा निगम को घेरते हुए नजर आ रही है. वहीं इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

तीन दिन के अंदर आएगी जांच रिपोर्ट
मितानिनों का कहना है कि क्लोरीन टैबलेट खराब होने के कारण वार्ड में इसका वितरण नहीं किया गया है और इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग सहित नगर निगम को भी दी गई है. वहीं इस मामले में नगर निगम ने जांच के लिए टीम बना दी है. जिसकी रिपोर्ट 3 दिनों के भीतर देने के लिए कहा गया है. जांच की रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है. बहरहाल इस पूरे मामले की बारीकी से जांच पड़ताल की जाए तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है.

Last Updated : May 10, 2020, 2:49 PM IST
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