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महुआ और इमली के प्रोडक्ट से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं - महुआ और इमली के प्रोडक्ट

गढ़बो नवा दंतेवाड़ा की थीम के तहत महिलाओं को वन उपज महुआ और इमली के प्रोडक्ट के इस्तेमाल से काफी आमदनी हो रही है. दीपक सोनी बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्य के लिए प्रेरणा दी थी. इसके तहत महिलाओं को आजीविका से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

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महुआ और इमली के प्रोडक्ट से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
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Published : Jan 12, 2021, 6:01 PM IST

दंतेवाड़ा: बस्तर अंचल में मिलने वाले वन उपज महुआ और इमली स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. स्वसहायता समूह की महिलाएं महुआ और इमली की मदद से विभिन्न प्रोडक्ट बनाकर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. महिलाओं ने इसके लिए जिला प्रशासन और कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद कहा है.

महुआ और इमली के प्रोडक्ट से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

जिला प्रशासन कलेक्टर दीपक सोनी बताते हैं कि गढ़बो नवा दंतेवाड़ा की थीम के तहत महिलाओं को वन उपज महुआ और इमली के प्रोडक्ट के इस्तेमाल से काफी आमदनी हो रही है. दीपक सोनी बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्य के लिए प्रेरणा दी थी. इसके तहत महिलाओं को आजीविका से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही महिलाओं को हो रहा फायदा

दीपक आगे बताते हैं कि महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को मार्केट में उतारने के लिए बहुत सी कंपनियों से एमओयू किया गया है. इससे महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर हो सकेंगी, बल्कि अच्छे से अपने परिवार का पालन-पोषण भी कर सकेंगी. सबसे अच्छी बात है कि इस योजना के जरिए अधिक से अधिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को जोड़ा गया है. कलेक्टर बताते हैं कि हमारी योजना यही है कि जो महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है या जिनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, उन्हें इस योजना से जोड़ा जाए.

एक महीने में 5 हजार रुपये की होती है कमाई

इसे लेकर स्वसहायता समूह की महिलाओं ने खुशी जाहिर की है. स्वसहायता समूह की मालती कुंजाम बताती हैं कि पहले उनके द्वारा महुआ को पानी में भिगाया जाता है. उसके बाद इसे सुखाकर इसे मिनी चक्की के माध्यम से आटा बनाया जाता है. इसके बाद अलग-अलग सामग्री मिलाकर उसे व्यंजन के रूप में तैयार किया जाता है. मालती ने बताया कि इससे लगभग एक महीने में 5 हजार रुपये की कमाई हो जा रही है.

नारायणपुर: स्वसहायता समूह की महिलाएं संकट के समय दे रहीं अपना योगदान

प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए मार्केट की मांग

वहीं स्वसहायता समूह की लक्ष्मी धुर्वे ने बताया कि वन विभाग द्वारा हमें सभी सामग्री उपलब्ध कराई गई है. इससे हम इमली से प्रोडक्ट बनाकर अपनी आजीविका अच्छे से चलाते हैं. लक्ष्मी ने इसके लिए शासन और प्रशासन का धन्यवाद कहा है. वे चाहती हैं कि इन प्रोडक्ट को बेचने के लिए उन्हें मार्केट दिया जाए. साथ ही मार्केट में एक दुकान उपलब्ध कराई जाए, जिससे अधिक से अधिक आमदनी हो सके.

वाकई, ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि गढ़बो नवा दंतेवाड़ा की थीम के तहत इस योजना से महिलाओं को फायदा हो रहा है.लक्ष्मी धुर्वे और मालती कुजाम की तरह ही न जाने कितनी ऐसी महिलाएं होगी जो आत्मनिर्भता की राह पर चल रही हैं और अपने परिवार की आजीविका का मुख्य साधन बन रही हैं.

दंतेवाड़ा: बस्तर अंचल में मिलने वाले वन उपज महुआ और इमली स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. स्वसहायता समूह की महिलाएं महुआ और इमली की मदद से विभिन्न प्रोडक्ट बनाकर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. महिलाओं ने इसके लिए जिला प्रशासन और कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद कहा है.

महुआ और इमली के प्रोडक्ट से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

जिला प्रशासन कलेक्टर दीपक सोनी बताते हैं कि गढ़बो नवा दंतेवाड़ा की थीम के तहत महिलाओं को वन उपज महुआ और इमली के प्रोडक्ट के इस्तेमाल से काफी आमदनी हो रही है. दीपक सोनी बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्य के लिए प्रेरणा दी थी. इसके तहत महिलाओं को आजीविका से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही महिलाओं को हो रहा फायदा

दीपक आगे बताते हैं कि महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को मार्केट में उतारने के लिए बहुत सी कंपनियों से एमओयू किया गया है. इससे महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर हो सकेंगी, बल्कि अच्छे से अपने परिवार का पालन-पोषण भी कर सकेंगी. सबसे अच्छी बात है कि इस योजना के जरिए अधिक से अधिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को जोड़ा गया है. कलेक्टर बताते हैं कि हमारी योजना यही है कि जो महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है या जिनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, उन्हें इस योजना से जोड़ा जाए.

एक महीने में 5 हजार रुपये की होती है कमाई

इसे लेकर स्वसहायता समूह की महिलाओं ने खुशी जाहिर की है. स्वसहायता समूह की मालती कुंजाम बताती हैं कि पहले उनके द्वारा महुआ को पानी में भिगाया जाता है. उसके बाद इसे सुखाकर इसे मिनी चक्की के माध्यम से आटा बनाया जाता है. इसके बाद अलग-अलग सामग्री मिलाकर उसे व्यंजन के रूप में तैयार किया जाता है. मालती ने बताया कि इससे लगभग एक महीने में 5 हजार रुपये की कमाई हो जा रही है.

नारायणपुर: स्वसहायता समूह की महिलाएं संकट के समय दे रहीं अपना योगदान

प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए मार्केट की मांग

वहीं स्वसहायता समूह की लक्ष्मी धुर्वे ने बताया कि वन विभाग द्वारा हमें सभी सामग्री उपलब्ध कराई गई है. इससे हम इमली से प्रोडक्ट बनाकर अपनी आजीविका अच्छे से चलाते हैं. लक्ष्मी ने इसके लिए शासन और प्रशासन का धन्यवाद कहा है. वे चाहती हैं कि इन प्रोडक्ट को बेचने के लिए उन्हें मार्केट दिया जाए. साथ ही मार्केट में एक दुकान उपलब्ध कराई जाए, जिससे अधिक से अधिक आमदनी हो सके.

वाकई, ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि गढ़बो नवा दंतेवाड़ा की थीम के तहत इस योजना से महिलाओं को फायदा हो रहा है.लक्ष्मी धुर्वे और मालती कुजाम की तरह ही न जाने कितनी ऐसी महिलाएं होगी जो आत्मनिर्भता की राह पर चल रही हैं और अपने परिवार की आजीविका का मुख्य साधन बन रही हैं.

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