दंतेवाड़ा: मुनगा के जंगलों में हुई मुठभेड़ को ग्रामीणों ने फर्जी बताया है. बीते मंगलवार को डीआरजी के जवानों के साथ नक्सलियों की कथित मुठभेड़ हुई थी. जिसमें दो नक्सली मारे गए थे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि मारे गए दोनों कथित नक्सली ग्रामीण थे, जो खेतों की रखवाली कर रहे थे.
फसल की रखवाली कर रहे थे दोनों
बुधवार को मृतकों के परिजनों ने जिला मुख्यालय पहुंच मुठभेड़ में मारे गये दोनों कथित नक्सली लखमा मंडावी और हिड़मा मंडावी का शव लेने से इनकार कर दिया था. परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि, पुलिस ने दोनों को खेत से पकड़ कर मार डाला है. इसके बाद मृतकों के परिजन ने आदिवासी समाज के सामने पूरा मामला रखा है. जिसपर गुरुवार को जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष, पर्चेली सरपंच, जनपद सदस्य के साथ सैकड़ों ग्रामीणों ने घटना स्थल का मुआयना किया.
आधार कार्ड भी दिखाया था
मृतक के परिजन के साथ ग्रामीणों और जिला पंचायत सदस्य ने बताया कि खेत में खड़ी धान की फसल की दोनों रखवाली कर रहे थे. जिन्हें जवानों ने पकड़ा और नक्सली बताकर अपने साथ ले जाने लगे. इस दौरान मृतक की मां ने जवानों को आधार कार्ड भी दिखाया, लेकिन जवानों ने उनकी एक नहीं सुनी.
आ रही थी गोलियों की आवाज
ग्रामीणों का कहना है कि जवानों ने लखमा मंडावी और हिड़मा मंडावी की आंखों पर गमछा बांध दिया. इसके बाद जवानों ने देनों को कीदकोत की पहाड़ियों की तरफ ले गये. जहां ये खबर आई कि जवानों ने दोनों को गोली मार दी है. ग्रामीणों ने बताया कि इस दौरान उन्होंने गोलियां चलने की आवाज सुनी थी. ग्रामीणों का कहना है कि ये मुठभेड़ फर्जी है और इसकी जांच होनी चाहिए. ग्रामीणों ने इसे लेकर कोर्ट जाने का भी फैसला लिया है.
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SP ने दोनों को बताया था नक्सली
SP अभिषेक पल्लव ने मुठभेड़ के बाद जानकारी दी थी कि, दोनों मृतक कटेकल्याण एलजीएस के सदस्य थे और दोनो पर एक-एक लाख रुपए का इनाम घोषित था. जिन्हें DRG की टीम ने मुठभेड़ में मार गिराया.