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ग्रामीणों को विश्वास में लेकर नहाड़ी गांव में स्थापित करेंगे पुलिस कैंप: SP अभिषेक पल्लव - Silger Camp

नहाड़ी गांव में प्रस्तावित पुलिस कैंप के विरोध में सैकड़ों ग्रामीणों ने बारिश के बीच विरोध प्रदर्शन (protest against Nahari police camp) किया है. इससे पहले सिलगेर कैंप हटाने के लिए बीजापुर और सुकमा की सीमा पर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था. दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा है कि ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप लगाया जाएगा. कैंप लगने से ग्रामीणों को फायदा होगा.

protest against Nahari police camp
सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध
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Published : Jun 22, 2021, 7:41 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 8:59 PM IST

दंतेवाड़ा: नहाड़ी गांव में सुरक्षाबल कैंप लगाने की तैयारी में हैं. लेकिन यहां भी ग्रामीणों ने कैंप (protest against Nahari police camp) का विरोध शुरू कर दिया है. सैकड़ों की संख्या ग्रामीण बैनर-पोस्टर के साथ नए कैंप का विरोध करने पहुंचे थे. ग्रामीण बरसते पानी के बीच नहाड़ी कैंप का विरोध कर रहे थे. नहाड़ी गांव दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक है. 4 महीने पहले भी नहाड़ी कैंप के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था. इस दौरान ग्रामीणों ने गांव की पहुंच सड़क को काट दिया था. दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा है कि ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप लगाया जाएगा. इससे ग्रामीणों को फायदा होगा. एसपी का कहना है कि ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में विरोध करते हैं.

सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध

क्या चाहते हैं ग्रामीण ?

नहाड़ी गांव में पुलिस कैंप स्थापित करने के विरोध में पहुंचे ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने गांव में कैंप नहीं चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षाबल उनसे अनावश्यक सवाल करते हैं. उनका आरोप है कि बिना कारण उन्हें नक्सल प्रकरण के तहत जेल भेजा जाता है इसलिए उन्हें कैंप नहीं चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी की व्यवस्था करे. उन्हें इलाके में कैंप की जरूरत नहीं है.

कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा, हजारों आदिवासियों ने घेरा विधायक मनोज मंडावी का निवास

ग्रामीणों को विश्वास में लेकर स्थापित किया जाएगा कैंप

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि नक्सली देवा और विनोद के गांव नहाड़ी में जल्द ही सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया जाएगा. इस इलाके में कैंप खुलने से नक्सली बैक फुट पर आएंगे. ग्रामीण खुद चाहते हैं कि गांव का विकास हो, लेकिन नक्सली दबाव के चलते ग्रामीण विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप खोला जाएगा. जिससे इलाके में शाति स्थापित किया जा सके. कैंप खुलने से सड़क, पीडीएस, रोजगार जैसे कई फायदे ग्रामीणों को मिलेंगे.

अचानक शुरू हुआ विरोध

नहाड़ी गांव नक्सलियों के कोर इलाके में है. ऐसे में इलाके का विकास भी ठीक से नहीं हो सका है. फिलहाल यहां पुलिस कैंप प्रस्तावित है. लेकिन कैंप लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. मंगलवार दोपहर 3 बजे तक इलाके में शांति थी. 3 बजे के बाद अचानक ग्रामीण जुट गए और विरोध करने लगे. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि नक्सली ग्रामीणों पर विरोध के लिए दबाव बना रहे हैं.

सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 28 दिनों से जारी सिलगेर आंदोलन खत्म

सिलगेर का मुद्दा अब भी नहीं थमा

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रामीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे.

यहां भी पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा था कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इसलिए इसे लेकर सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांव वालों ने अपनी 7 मांगें सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था.

हाल के दिनों में दोबारा उठा सिलगेर का मुद्दा

19 जून को चारामा ब्लॉक में गोंडवाना समन्वय समिति के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने सभा कर रैली निकालते हुए विधायक निवास का घेराव किया है. आदिवासी समाज की मांग है कि सिगलेर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा दिया जाए.

दंतेवाड़ा: नहाड़ी गांव में सुरक्षाबल कैंप लगाने की तैयारी में हैं. लेकिन यहां भी ग्रामीणों ने कैंप (protest against Nahari police camp) का विरोध शुरू कर दिया है. सैकड़ों की संख्या ग्रामीण बैनर-पोस्टर के साथ नए कैंप का विरोध करने पहुंचे थे. ग्रामीण बरसते पानी के बीच नहाड़ी कैंप का विरोध कर रहे थे. नहाड़ी गांव दंतेवाड़ा के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक है. 4 महीने पहले भी नहाड़ी कैंप के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था. इस दौरान ग्रामीणों ने गांव की पहुंच सड़क को काट दिया था. दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा है कि ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप लगाया जाएगा. इससे ग्रामीणों को फायदा होगा. एसपी का कहना है कि ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में विरोध करते हैं.

सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध

क्या चाहते हैं ग्रामीण ?

नहाड़ी गांव में पुलिस कैंप स्थापित करने के विरोध में पहुंचे ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने गांव में कैंप नहीं चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षाबल उनसे अनावश्यक सवाल करते हैं. उनका आरोप है कि बिना कारण उन्हें नक्सल प्रकरण के तहत जेल भेजा जाता है इसलिए उन्हें कैंप नहीं चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी की व्यवस्था करे. उन्हें इलाके में कैंप की जरूरत नहीं है.

कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा, हजारों आदिवासियों ने घेरा विधायक मनोज मंडावी का निवास

ग्रामीणों को विश्वास में लेकर स्थापित किया जाएगा कैंप

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि नक्सली देवा और विनोद के गांव नहाड़ी में जल्द ही सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया जाएगा. इस इलाके में कैंप खुलने से नक्सली बैक फुट पर आएंगे. ग्रामीण खुद चाहते हैं कि गांव का विकास हो, लेकिन नक्सली दबाव के चलते ग्रामीण विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को विश्वास में लेकर कैंप खोला जाएगा. जिससे इलाके में शाति स्थापित किया जा सके. कैंप खुलने से सड़क, पीडीएस, रोजगार जैसे कई फायदे ग्रामीणों को मिलेंगे.

अचानक शुरू हुआ विरोध

नहाड़ी गांव नक्सलियों के कोर इलाके में है. ऐसे में इलाके का विकास भी ठीक से नहीं हो सका है. फिलहाल यहां पुलिस कैंप प्रस्तावित है. लेकिन कैंप लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. मंगलवार दोपहर 3 बजे तक इलाके में शांति थी. 3 बजे के बाद अचानक ग्रामीण जुट गए और विरोध करने लगे. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि नक्सली ग्रामीणों पर विरोध के लिए दबाव बना रहे हैं.

सुकमा-बीजापुर बॉर्डर पर 28 दिनों से जारी सिलगेर आंदोलन खत्म

सिलगेर का मुद्दा अब भी नहीं थमा

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रामीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे.

यहां भी पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा था कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इसलिए इसे लेकर सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांव वालों ने अपनी 7 मांगें सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था.

हाल के दिनों में दोबारा उठा सिलगेर का मुद्दा

19 जून को चारामा ब्लॉक में गोंडवाना समन्वय समिति के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने सभा कर रैली निकालते हुए विधायक निवास का घेराव किया है. आदिवासी समाज की मांग है कि सिगलेर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा दिया जाए.

Last Updated : Jun 22, 2021, 8:59 PM IST
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