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'हरा सोना' से बदलेगी दंतेवाड़ा के वनांचल के ग्रामीणों की तकदीर

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Published : May 5, 2021, 11:02 PM IST

दंतेवाड़ा में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो गया है. जिले का लक्ष्य 19 हजार मानक बोरा का रखा गया है. ETV भारत की टीम ने भी कटेकल्याण ब्लॉक के मेटापाल गांव में तेंदूपत्ता संग्राहकों से बात की. वनांचल के आदिवासी ग्रामीण रोजगार मिलने से काफी खुश हैं.

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दंतेवाड़ा में तेंदूपत्ता संग्रहण

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो गया है. दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीण तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य कर रहे हैं. इन आदिवासियों को लॉकडाउन में भी रोजगार दिया जा रहा है. इससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है.

दंतेवाड़ा के वनांचल के ग्रामीणों की तकदीर

कोरोना काल में जहां एक ओर हर सेक्टर प्रभावित हुआ है, वहीं वनोपज के मामले में बस्तर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है. साल 2020 के कोरोना काल के दौरान भी वनांचलों से काफी रोजगार हुआ था. इस साल सरकार ने छत्तीसगढ़ में 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य रखा है. ETV भारत की टीम ने भी कटेकल्याण ब्लॉक के मेटापाल गांव में तेंदूपत्ता संग्राहकों से बात की.

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू, 16.71 लाख मानक बोरा संग्रहण का लक्ष्य

नक्सल प्रभावित इलाकों में सशक्त होंगे ग्रामीण

बस्तर इलाके में रोजगार का अभाव है. कई गांव बेहद अंदरूनी इलाकों में स्थित हैं. यहां रोजगार के कोई साधन नहीं हैं. यहां के ग्रामीण खेती और वनोपज संग्रहण पर ही निर्भर हैं. जंगलों के सहारे ही जीवन बिता रहे हैं. कोरोना संक्रमण काल में छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीणों से समर्थन मूल्य में तेंदूपत्ता खरीदी कर रही है. इससे इन ग्रामीणों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. साथ ही इन इलाकों के ग्रामीण आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे.

वरदान बना वनोपज: लॉकडाउन में संजीवनी साबित हुई 'बस्तरिया बूटी'

हरे सोने की जोरदार पैदावार

दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के बीहड़ इलाकों में इस साल हरा सोने के नाम से विख्यात तेंदूपत्ता की जोरदार फसल हुई है. कोरोना काल में तेंदूपत्ता संग्रहण के जरिए ग्रामीणों की तकदीर बदल सकेगी. वनोपज खरीदी दंतेवाड़ा के ग्रामीणों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. बता दें इन इलाकों में पहले नक्सल गतिविधियां अधिक थी. नक्सली यहां तेंदूपत्ता संग्रहण का काम नहीं करने देते थे. लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने नक्सलियों को यहां से खदेड़ा है. लोन वर्रा-टू अभियान के तहत सैकड़ों नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद इस इलाके में तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू किया गया है. जिसमें ग्रामीण सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ठेकेदार भी इन इलाकों में रूचि नहीं दिखाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. कई आदिवासी परिवारों में खुशी का माहौल है.

महासमुंद में शुरू हुआ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम

लक्ष्य की ओर बढ़ रहा दंतेवाड़ा

छत्तीसगढ़ का कुल लक्ष्य 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का है. वन विभाग अधिकारी संदीप ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में 7 समितियां हैं. जिसके तहत 11 लॉट बनाए गए हैं. 6 विकृत हो गया हैं और 5 का अविकृत हैं. दंतेवाड़ा जिले का लक्ष्य 19 हजार मानक बोरा का रखा गया है. जिले के चारों ब्लॉकों में तेंदूपत्ता संग्रहण जारी है. दो-तीन दिनों से बारिश के कारण समस्या थी लेकिन अब दोबारा तेजी से संक्रमण चल रहा है. जिले में 7000 हजार मानक बोरा का लक्ष्य पूरा हो गया है.

सरकार भी ग्रामीणों को कर रही प्रोत्साहित

छत्तीसगढ़ में साल 2021 में तेंदूपत्ता संग्रहण दर 4 हजार रुपये प्रति मानक बोरा निर्धारित की गई है. राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण के काम से करीब 13 लाख आदिवासी-वनवासी संग्राहक परिवारों को सीधा-सीधा फायदा मिलेगा. मई और जून में दो महीने के भीतर संग्राहकों को 668 करोड़ रुपये संग्रहण पारिश्रमिक दिया जाएगा.

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो गया है. दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीण तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य कर रहे हैं. इन आदिवासियों को लॉकडाउन में भी रोजगार दिया जा रहा है. इससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है.

दंतेवाड़ा के वनांचल के ग्रामीणों की तकदीर

कोरोना काल में जहां एक ओर हर सेक्टर प्रभावित हुआ है, वहीं वनोपज के मामले में बस्तर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है. साल 2020 के कोरोना काल के दौरान भी वनांचलों से काफी रोजगार हुआ था. इस साल सरकार ने छत्तीसगढ़ में 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य रखा है. ETV भारत की टीम ने भी कटेकल्याण ब्लॉक के मेटापाल गांव में तेंदूपत्ता संग्राहकों से बात की.

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू, 16.71 लाख मानक बोरा संग्रहण का लक्ष्य

नक्सल प्रभावित इलाकों में सशक्त होंगे ग्रामीण

बस्तर इलाके में रोजगार का अभाव है. कई गांव बेहद अंदरूनी इलाकों में स्थित हैं. यहां रोजगार के कोई साधन नहीं हैं. यहां के ग्रामीण खेती और वनोपज संग्रहण पर ही निर्भर हैं. जंगलों के सहारे ही जीवन बिता रहे हैं. कोरोना संक्रमण काल में छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीणों से समर्थन मूल्य में तेंदूपत्ता खरीदी कर रही है. इससे इन ग्रामीणों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. साथ ही इन इलाकों के ग्रामीण आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे.

वरदान बना वनोपज: लॉकडाउन में संजीवनी साबित हुई 'बस्तरिया बूटी'

हरे सोने की जोरदार पैदावार

दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के बीहड़ इलाकों में इस साल हरा सोने के नाम से विख्यात तेंदूपत्ता की जोरदार फसल हुई है. कोरोना काल में तेंदूपत्ता संग्रहण के जरिए ग्रामीणों की तकदीर बदल सकेगी. वनोपज खरीदी दंतेवाड़ा के ग्रामीणों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. बता दें इन इलाकों में पहले नक्सल गतिविधियां अधिक थी. नक्सली यहां तेंदूपत्ता संग्रहण का काम नहीं करने देते थे. लेकिन धीरे-धीरे पुलिस ने नक्सलियों को यहां से खदेड़ा है. लोन वर्रा-टू अभियान के तहत सैकड़ों नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद इस इलाके में तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू किया गया है. जिसमें ग्रामीण सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ठेकेदार भी इन इलाकों में रूचि नहीं दिखाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. कई आदिवासी परिवारों में खुशी का माहौल है.

महासमुंद में शुरू हुआ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम

लक्ष्य की ओर बढ़ रहा दंतेवाड़ा

छत्तीसगढ़ का कुल लक्ष्य 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता के संग्रहण का है. वन विभाग अधिकारी संदीप ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में 7 समितियां हैं. जिसके तहत 11 लॉट बनाए गए हैं. 6 विकृत हो गया हैं और 5 का अविकृत हैं. दंतेवाड़ा जिले का लक्ष्य 19 हजार मानक बोरा का रखा गया है. जिले के चारों ब्लॉकों में तेंदूपत्ता संग्रहण जारी है. दो-तीन दिनों से बारिश के कारण समस्या थी लेकिन अब दोबारा तेजी से संक्रमण चल रहा है. जिले में 7000 हजार मानक बोरा का लक्ष्य पूरा हो गया है.

सरकार भी ग्रामीणों को कर रही प्रोत्साहित

छत्तीसगढ़ में साल 2021 में तेंदूपत्ता संग्रहण दर 4 हजार रुपये प्रति मानक बोरा निर्धारित की गई है. राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण के काम से करीब 13 लाख आदिवासी-वनवासी संग्राहक परिवारों को सीधा-सीधा फायदा मिलेगा. मई और जून में दो महीने के भीतर संग्राहकों को 668 करोड़ रुपये संग्रहण पारिश्रमिक दिया जाएगा.

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