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SPECIAL: आत्मनिर्भर बन रहे नक्सलगढ़ के ग्रामीण, छिंद रस के गुड़ से दंतेवाड़ा को दिला रहे पहचान - villagers are earning money by making jaggery

दंतेवाड़ा में ग्रामीण छिंद के रस से गुड़ बना रहें हैं. प्रशासन इन ग्रामीणों को लगातार प्रोत्साहित भी कर रहा है. ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ दिलाया जा सके. 3 गांव के करीब 50 से भी ज्यादा महिला और पुरुष छिंद रस से गुड़ बनाने का काम कर रहे हैं. इससे नक्सलगढ़ की पहचान बदलने में मदद मिल सकेगी.

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छिंद रस के गुड़ से मिलेगी दंतेवाड़ा को नई पहचान
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Published : Dec 15, 2020, 6:13 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 6:58 PM IST

दंतेवाड़ा: जिले के तीन गांव के ग्रामीणों में आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा दिया है. महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं और गांव के पुरुष मिलकर छिंद के रस से गुड़ बनाने का काम कर रहें हैं. चंदेनार, मझीपदर और पोदुम पंचायत के ग्रामीण रोज कई घंटे का वक्त इस काम में लगा रहें हैं. शासन-प्रशासन का भी इन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है.

नक्सलगढ़ में आत्मनिर्भर बनते ग्रामीण

जिला प्रशासन ने ग्रामीणों के उत्पाद को बाजार में उतारने की तैयारी की है. गुड़ बनाने का गुर सिखाने के लिए प्रशासन की ओर से एक ट्रेनर भी उपल्बध कराया गया है. ग्रामीणों के लिए छिंद के रस से गुड़ का उत्पादन रोजगार का अच्छा जरिया बन रहा है. प्रशासन इन ग्रामीणों को लगातार प्रोत्साहित भी कर रहा है. ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ दिलाया जा सके.

पढ़ें: दंतेवाड़ा: इमली से मजबूत हो रही महिलाओं की आर्थिक स्थिति, प्रोसेसिंग यूनिट से हो रही बंपर कमाई

आत्मनिर्भर बनेंगे ग्रामीण

दंतेवाड़ा इलाके में वन संपदा की भरमार है. ऐसे में वनों पर आधारित रोजगार ग्रामीणों के आय का एक जरिया बन सकता है. प्रशासन ने इस ओर पहल करते हुए. 3 गांव के करीब 50 से भी ज्यादा महिला और पुरुषों को छिंद के रस से गुड़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. उनकी ट्रेनिंग कराई गई. उन्हें समान भी उपलब्ध कराए गए. फिलहाल ग्रामीण निरंतर गुड़ का उत्पादन कर रहें हैं. कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर बन जाएंगे.

प्रतिदिन हो रहा 4 से 6 किलो गुड़ का उत्पादन

सहायिका लक्ष्मी यादव ने बताया कि फिलहाल 15 छिंद के पेड़ों से रस निकाले जा रहे हैं. रोज लगभग 5 से 6 किलोग्राम छिंद गुड़ का उत्पादन किया जा रहा है. बाजार में इस गुड़ की कीमत 200 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक है. प्रशासन की ओर से नागपुर और पुणे की कंपनियों से बातचीत की गई है. ताकि ग्रामीणों के उत्पाद डायरेक्ट कंपनी तक पहुंच सके. उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल सके.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए वरदान बनी 'बस्तरिया बूटी,' देखें खास रिपोर्ट

छिंद से कैसे बनाता है गुड़ ?

छिंद के पेड़ पर एक विशेष तरीके से चिरा लगाया जाता है. 15 दिनों तक उसे सूखने दिया जाता है. फिर तीन दिनों तक लगातार चिरा वाली जगह से रस निकाला जाता है. एक दिन छोड़कर दोबारा तीन दिनों तक रस निकाला जाता है. फिलहाल दंतेवाड़ा में ग्रामीण रोज एक छिंद के पेड़ से 3 से 4 लीटर रस निकाल रहें हैं. करीब 5 से 6 किलोग्राम गुड़ बना रहें हैं. इसी रस को पकाकर गुड़ में तब्दील किया जा रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: कोको से कोंडागांव को मिल सकेगी नई पहचान, खेती पर विचार कर रहा प्रशासन

नक्सलगढ़ को मिलेगी नई पहचान

दंतेवाड़ा का नाम सुनते ही लोगों के मन में नक्सल घटनाएं सामने आने लगती है. लेकिन वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अपने जिले की इस पहचान से उबरने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहें हैं. दंतेवाड़ा जिले में इस बार गर्मी के सीजन में लघु वनोपज इमली की रिकॉर्ड तोड़ खरीदी की गई है. जिले में समर्थन मूल्य पर 3.44 करोड़ रुपए की कुल 11 हजार क्विंटल इमली ग्रामीणों से खरीदी गई. अब दंतेवाड़ा का छिंद गुड़ बाजार में उतरने को पूरी तरह तैयार है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इससे नक्सलगढ़ की पहचान बदलने में भी मदद मिल सकेगी.

दंतेवाड़ा: जिले के तीन गांव के ग्रामीणों में आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा दिया है. महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं और गांव के पुरुष मिलकर छिंद के रस से गुड़ बनाने का काम कर रहें हैं. चंदेनार, मझीपदर और पोदुम पंचायत के ग्रामीण रोज कई घंटे का वक्त इस काम में लगा रहें हैं. शासन-प्रशासन का भी इन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है.

नक्सलगढ़ में आत्मनिर्भर बनते ग्रामीण

जिला प्रशासन ने ग्रामीणों के उत्पाद को बाजार में उतारने की तैयारी की है. गुड़ बनाने का गुर सिखाने के लिए प्रशासन की ओर से एक ट्रेनर भी उपल्बध कराया गया है. ग्रामीणों के लिए छिंद के रस से गुड़ का उत्पादन रोजगार का अच्छा जरिया बन रहा है. प्रशासन इन ग्रामीणों को लगातार प्रोत्साहित भी कर रहा है. ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ दिलाया जा सके.

पढ़ें: दंतेवाड़ा: इमली से मजबूत हो रही महिलाओं की आर्थिक स्थिति, प्रोसेसिंग यूनिट से हो रही बंपर कमाई

आत्मनिर्भर बनेंगे ग्रामीण

दंतेवाड़ा इलाके में वन संपदा की भरमार है. ऐसे में वनों पर आधारित रोजगार ग्रामीणों के आय का एक जरिया बन सकता है. प्रशासन ने इस ओर पहल करते हुए. 3 गांव के करीब 50 से भी ज्यादा महिला और पुरुषों को छिंद के रस से गुड़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. उनकी ट्रेनिंग कराई गई. उन्हें समान भी उपलब्ध कराए गए. फिलहाल ग्रामीण निरंतर गुड़ का उत्पादन कर रहें हैं. कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर बन जाएंगे.

प्रतिदिन हो रहा 4 से 6 किलो गुड़ का उत्पादन

सहायिका लक्ष्मी यादव ने बताया कि फिलहाल 15 छिंद के पेड़ों से रस निकाले जा रहे हैं. रोज लगभग 5 से 6 किलोग्राम छिंद गुड़ का उत्पादन किया जा रहा है. बाजार में इस गुड़ की कीमत 200 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक है. प्रशासन की ओर से नागपुर और पुणे की कंपनियों से बातचीत की गई है. ताकि ग्रामीणों के उत्पाद डायरेक्ट कंपनी तक पहुंच सके. उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल सके.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए वरदान बनी 'बस्तरिया बूटी,' देखें खास रिपोर्ट

छिंद से कैसे बनाता है गुड़ ?

छिंद के पेड़ पर एक विशेष तरीके से चिरा लगाया जाता है. 15 दिनों तक उसे सूखने दिया जाता है. फिर तीन दिनों तक लगातार चिरा वाली जगह से रस निकाला जाता है. एक दिन छोड़कर दोबारा तीन दिनों तक रस निकाला जाता है. फिलहाल दंतेवाड़ा में ग्रामीण रोज एक छिंद के पेड़ से 3 से 4 लीटर रस निकाल रहें हैं. करीब 5 से 6 किलोग्राम गुड़ बना रहें हैं. इसी रस को पकाकर गुड़ में तब्दील किया जा रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: कोको से कोंडागांव को मिल सकेगी नई पहचान, खेती पर विचार कर रहा प्रशासन

नक्सलगढ़ को मिलेगी नई पहचान

दंतेवाड़ा का नाम सुनते ही लोगों के मन में नक्सल घटनाएं सामने आने लगती है. लेकिन वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अपने जिले की इस पहचान से उबरने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहें हैं. दंतेवाड़ा जिले में इस बार गर्मी के सीजन में लघु वनोपज इमली की रिकॉर्ड तोड़ खरीदी की गई है. जिले में समर्थन मूल्य पर 3.44 करोड़ रुपए की कुल 11 हजार क्विंटल इमली ग्रामीणों से खरीदी गई. अब दंतेवाड़ा का छिंद गुड़ बाजार में उतरने को पूरी तरह तैयार है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इससे नक्सलगढ़ की पहचान बदलने में भी मदद मिल सकेगी.

Last Updated : Dec 15, 2020, 6:58 PM IST
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