दंतेवाड़ा: बस्तर के कई इलाकों में लाल आंतक की दहशत आज भी लोगों के दिल में है. नक्सलियों ने बस्तर में अबतक हजारों लोगों का खून बहाया है. सरकार की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर कई नक्सली संगठन से मुंह फेर रहे हैं. खून-खराबे की जिंदगी से इतर नक्सली अब सुकून की जिंदगी बिताना चाह रहे हैं. अभी हाल ही में नक्सलवाद से तौबा किेए आत्मसमर्पित दंपति के घर किलकारी गूंजी है. आत्मसमर्पित महिला नक्सली ने बेटे को जन्म दिया है.
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दंतेवाड़ा में नक्सली दंपति ने कुछ दिनों पहले आत्मसमर्पन किया था. आत्मसमर्पण के बाद इनके जीवन में एक खुशहाली भी आई है. सरेंडर्ड महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है और समाज की मुख्यधारा में जीवन जी रही है.
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गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने की साजिश
पीडियाकोट के रहने वाले दंपति नक्सली संगठन में अलग-अलग जिम्मेदारी संभालते थे. इसी बीच दोनों में लव हो गया. नक्सली संगठन में रहते ही दोनों ने 2018 में शादी कर ली. 6 महीने बाद पत्नी गर्भवती हो गई. बात को दोनों पति-पत्नी ने नक्सली संगठन से छिपा कर रखी, लेकिन नक्सली संगठन को पता चल गया. नक्सली संगठन ने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने की साजिश रची थी. इसी से दोनों का मोह भंग हो गया और दोनों ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ने का फैसला किया.
एसपी अभिषेक पल्लव ने देखभाल की ली जिम्मेदारी
सरेंडर्ड नक्सलियों ने बताया कि संगठन की साजिश की भनक दोनों पति-पत्नी को लग गई. दोनों पति-पत्नी ने पुलिस से संपर्क किया. मौका मिलते ही नक्सली संगठन से भाग निकले. 21 अगस्त को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. इसके बाद पुलिस कप्तान एसपी अभिषेक पल्लव ने उनकी देखभाल का जिम्मा लिया.
सरेंडर महिला नक्सली ने बेटे को दिया जन्म
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि सरकार के पुनर्वास नीति के तहत अच्छा जीवन यापन के लिए घर दिया गया है. दोनों पति-पत्नी खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. सरेंडर्ड महिला नक्सली ने बेटे को जन्म दिया है. उन्होंने बताया कि दोनों समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के बाद खुश हैं.
नक्सली को ऐसे हुआ था प्यार
सरेंडर नक्सली ने बताया कि वो पीडियाकोट का रहना वाला है. उसके पिता ने उसे स्कूल में भर्ती कराया, लेकिन कुछ दिनों बाद पिता की मौत हो गई. इसके बाद वह गांव आ गया. गांव में रहकर छोटे-मोटे काम करने लगा. बाद में गांव में जनमिलेशिया कमांडर ने उसे जबरदस्ती नक्सली संगठन में भर्ती करा दिया और वो वहां रहकर जनमिलेशिया का सदस्य बन गया. वो पढ़ा-लिखा था तो उसे नक्सली संगठन के बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. संगठन में सीएनएम सदस्य (जो अब उसकी पत्नी है) से मुलाकात हुई. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे. इसके बाद दोनों ने विवाह कर लिया. अब बेटा हुआ है.