दंतेवाड़ा: उपचुनाव में लोकतंत्र का बहुत ही सकारात्मक रूप देखने को मिला है. आम जनता के साथ-साथ सरेंडर नक्सली भी इस लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. चुनाव का बहिष्कार करने वाले नक्सली भी अब मुख्यधारा से जुड़ कर मतदान कर रहे हैं. गुमियापाल गांव में दो दिन पहले सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़े नक्सली कांछा भीमा ने मतदान किया है. उसके साथ ही उसके सहयोगी नीलू ने भी आत्मसमर्पण कर आज मतदान किया है.
एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि नक्सली कमांडर कांचा भीमा पीछले 10 साल से नक्सली संगठन में काम कर रहा थे. उसके अंडर 16 गांव आते थे. गांव वालों को मतदान नहीं करने की धमकी देने वाले का कांछा भीमा ने 2 दिन पूर्व ही दंतेवाड़ा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर गुमियापाल में मतदान किया है. एसपी ने बताया कि दोनों ही नक्सली के पास वोटर आईडी कार्ड था जिसे इंटरनेट के माध्यम से निकाला गया. एसपी ने बताया कि इन 3 महीनों में 60 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और इन सभी नक्सलियों ने अपने-अपने गृह ग्राम में मतदान किया.
10 साल के बाद किया मतदान
सरेंडर नक्सली कांछा भीमा ने बताया कि वह 10 साल के बाद मतदान कर रहा है और ईवीएम मशीन से उसने पहली बार वोट डाला. इसके साथ ही उसने अपने साथियों से भी मतदान करने की अपील की है. उसने कहा कि वे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की मुख्यधारा से जुड़ें और लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लें. एसपी ने बताया कि मतदान के दौरान जवानों और मतदाताओं को नुकसान पहुंचाने एक जगह आईडी प्लांट किया गया था जिसे बरामद कर लिया गया है. चुनाव में अशांति फैलाने की नक्सलियों की मंशा कामयाब नहीं हो सकी.
दंतेवाड़ा जिले में कुल 155 आत्मसमर्पित नक्सलियों ने लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल होकर अपने मत का प्रयोग किया. एसपी ने कहा कि चुनाव को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से जिले में 16 हजार से अधिक जवानों को तैनात करने के साथ 30 ड्रोन की मदद ली जारी है. ये ड्रोन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखे.