दंतेवाड़ा: जब देश में कोरोना महामारी का संकट विकराल रूप धारण किए हुए है. दंतेवाड़ा जिले में कोरोना वारियर्स Frontline Corona fighters के रूप में 5 महीने की गर्भवती स्वास्थ्यकर्मी सुनीता सोनवानी अपना कर्तव्य निभा रही हैं.
स्वास्थ्यकर्मी सुनीता सोनवानी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि देश में कोरोना महामारी का संकट छाया हुआ है. ऐसी परिस्थिति में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में वे ड्यूटी कर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं. सुनीता कहती हैं कि जब वे इस अवस्था में होकर अपनी जिम्मेदारी निभा सकती हैं, तो बाकी सभी लोग भी अपने घरों में रहकर शासन-प्रशासन की मदद कर सकते हैं. जिससे कोरोना के चेन को तोड़ा जा सके.
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कोरोना को लेकर जारी हर गाइडलाइन का करें पालन
सुनीता सोनवानी ने ईटीवी भारत की टीम को बताया कि इस अवस्था में वे अपने पेट में पल रहे 5 महीने के बच्चे के साथ अपना कर्तव्य निभा रही हैं. इसमें उनके परिवार का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है. जब वे घर से निकलती हैं, तो कोरोना नियमों का पालन करते हुए अपने पेट में पल रहे बच्चे का भी पूरा ख्याल रखती हैं. समय-समय पर हाथ को सैनिटाइज करती हैं और हमेशा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करती हैं. जिससे वो और उनका बच्चा दोनों सुरक्षित रहे. सुनीता सोनवानी ने सभी गर्भवती महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि सभी अपना खूब ध्यान रखें.
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लोग देश और समाज की करें मदद तो हार जाएगा कोरोना
सुनीता सोनवानी बताती हैं, हर महिला के लिए उसके जीवन में मां बनना सबसे सुखद अनुभव होता है. इसके सामने हर दुख-हर कठिनाई कम लगती है. उन्होंने अपील की कि जितना हो सके सभी घर पर रहें. बिना काम के बाहर न निकलें. अगर निकलना जरूरी हो तो मास्क लगाएं, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस स्टाफ और यातायात विभाग का सहयोग जरूर करें. सुनिता की सोच और काम के जज्बे को ईटीवी भारत सलाम करता है.
क्यों और कैसे मनाया जाने लगा मदर्स डे ?
मदर्ड डे का इतिहास करीब 400 साल पुराना है. प्राचीन ग्रीक और रोमन के इतिहास में मदर्स डे का उल्लेख मिलता है. भारतीय संस्कृति में भी सदियों से मां के प्रति लोगों में अपार प्रेम और श्रद्धा रही है. हालांकि आधुनिक दौर में जिस तरह से मदर्स डे मनाया जा रहा है, इसका भारत इतिहास में बहुत पुराना नहीं है. फिर भी बीते कुछ दशकों में भारत में जहां मां को भगवान से भी ऊपर रखा गया है, मदर्स डे का ट्रेंड काफी तेजी से लोकप्रिय हुआ है. मदर्स डे पूरी दुनिया में मनाया जाता है. कहते हैं मां के बिना सृष्टि की संरचना का कल्पना भी नहीं की जा सकती है. इसलिए मां का महिमामंडन पुरी दुनिया में अपने-अपने तरके से किया गया है.