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मृत नक्सली हुर्रा के मौसेरे भाई सोनू ने कहा- गोली पहचानेगी नहीं कि वह किस पर चल रही है

मारे गए नक्सली हुर्रा की कहानी उसी के मौसेरे भाई डीआरजी हेड सोनू ने सुनाई कि किस तरह उसने हुर्रा को समझाइस दी थी कि वह नक्सली विचारधारा से न जुड़े. फिर भी उसने एक नहीं सुनी और आज वो मारा गया.

सोनू कड़ती, डीआरजी, हेड कांस्टेबल
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Published : Jul 12, 2019, 11:36 PM IST

दंतेवाड़ा : कटे कल्याण थाने क्षेत्र के कुन्ना-डब्बा के जंगलों में हुई मुठभेड़ में हुर्रा नाम का नक्सली मारा गया. हुर्रा के मरने का दर्द एक पुलिस जवान को भी है. इसके पीछे की वजह हुर्रा और डीआरजी के हेड सोनू कड़ती के बीच पारिवारीक संबंध बताया जा रहा है. हुर्रा डीआरजी हेड सोनू के मौसी का लड़का है. इसी कारण उसके मारे जाने का दुख सोनू को है.

दरअसल, हुर्रा के मारे जाने के बाद सोनू ने पूरी दास्तान बताई कि मामले में कब कहां कैसे क्या हुआ. सोनू डीआरजी में भर्ती हुआ. वहीं हुर्रा नक्सली संगठन से जुड़ गया. सोनू ने बताया कि हुर्रा उसकी सगी मौसी का लड़का था. डीआरजी में भर्ती होने के दौरान हुर्रा ने मना किया था कि वह पुलिस के लिए काम न करें, लेकिन फिर भी सोनू डीआरजी में भर्ती हो गया और हुर्रा ने उसकी बात नहीं मानी. नक्सल विचारधारा से जुड़ गया. इसके बाद दोनों के बीच मुलाकात नहीं हुई.

सोनू कड़ती
सोनू कड़ती

'हुर्रा एक दिन पुलिस की गोली से मारा जाएगा'
सोनू परिजनों को सचेत करता रहा कि हुर्रा एक दिन पुलिस की गोली से मारा जाएगा. वहीं सोनू ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी पत्र लिखवाए ताकि वह पुलिस पर विश्वास कर मुख्यधारा में लौट आए, लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी.

गोली पहचानेगी नहीं किस पर चल रही
सोनू जब परिजनों से मिलने गया और यह बात जब हुर्रा को पता चली, तो उसने घरवालों से कह दिया था कि जब भी दोनों के बीच आमना-सामना होगा, तो गोली पहचानेगी नहीं कि वह किस पर (संबंधों को नहीं पहचानेगी) चल रही है. उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है. कुन्ना-डब्बा की मुठभेड़ में पुलिस की गोली से भाई की जान चली गई. उसकी मौत पर मुझे दुख तो है, लेकिन गलत रास्ते का अंजाम यही होना था.

एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर नाम
बता दें कि हुर्रा के खिलाफ जिलेभर के थाने में कई मामले दर्ज थे. हुर्रा वग मलैंगिर एरिया कमेटी का सदस्य भी रहा. इसके बाद उसका ट्रांसफर कटेकल्याण प्रमोशन के साथ कर दिया गया. उसे डिप्टी कमान्डर भी बना दिया गया था. हरा प्लाटून नंबर 26 का सदस्य था. वहीं भीमा मंडावी की मौत का आरोपी भी था. हुर्रा का नाम एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर है.

सीसी मेम्बर की है मौजूदगी
पुलिस का कहना है कि कुन्ना-डब्बा के जंगलों में सेंट्रल कमेटी के सदस्यों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. नक्सली रमन्ना देव और गणेश उइके मौजूद थे. यहां के जंगल में मुठभेड़ बैठक चल रही थी. सभी नक्सली सादे वर्दी में थे, इसलिए पुलिस को बड़ी सफलता नहीं मिल पाई. पुलिस को शक हुआ कि हुर्रा ग्रामीण वेश-भूषा में वाकी-टाकी लेकर घूम रहा था. पुलिस को देख उसने गोली चलाई और वाकी-टॉकी से बात करते हुए भागा. पुलिस की फायरिंग में हुर्रा मारा गया.

एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव
एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव

एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव ने बताया कि हुर्रा हेड कांस्टेबल सोनू कडती का मौसेरा भाई था. उसे मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई प्रयास हुए थे, लेकिन वह नहीं माना.

दंतेवाड़ा : कटे कल्याण थाने क्षेत्र के कुन्ना-डब्बा के जंगलों में हुई मुठभेड़ में हुर्रा नाम का नक्सली मारा गया. हुर्रा के मरने का दर्द एक पुलिस जवान को भी है. इसके पीछे की वजह हुर्रा और डीआरजी के हेड सोनू कड़ती के बीच पारिवारीक संबंध बताया जा रहा है. हुर्रा डीआरजी हेड सोनू के मौसी का लड़का है. इसी कारण उसके मारे जाने का दुख सोनू को है.

दरअसल, हुर्रा के मारे जाने के बाद सोनू ने पूरी दास्तान बताई कि मामले में कब कहां कैसे क्या हुआ. सोनू डीआरजी में भर्ती हुआ. वहीं हुर्रा नक्सली संगठन से जुड़ गया. सोनू ने बताया कि हुर्रा उसकी सगी मौसी का लड़का था. डीआरजी में भर्ती होने के दौरान हुर्रा ने मना किया था कि वह पुलिस के लिए काम न करें, लेकिन फिर भी सोनू डीआरजी में भर्ती हो गया और हुर्रा ने उसकी बात नहीं मानी. नक्सल विचारधारा से जुड़ गया. इसके बाद दोनों के बीच मुलाकात नहीं हुई.

सोनू कड़ती
सोनू कड़ती

'हुर्रा एक दिन पुलिस की गोली से मारा जाएगा'
सोनू परिजनों को सचेत करता रहा कि हुर्रा एक दिन पुलिस की गोली से मारा जाएगा. वहीं सोनू ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी पत्र लिखवाए ताकि वह पुलिस पर विश्वास कर मुख्यधारा में लौट आए, लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी.

गोली पहचानेगी नहीं किस पर चल रही
सोनू जब परिजनों से मिलने गया और यह बात जब हुर्रा को पता चली, तो उसने घरवालों से कह दिया था कि जब भी दोनों के बीच आमना-सामना होगा, तो गोली पहचानेगी नहीं कि वह किस पर (संबंधों को नहीं पहचानेगी) चल रही है. उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है. कुन्ना-डब्बा की मुठभेड़ में पुलिस की गोली से भाई की जान चली गई. उसकी मौत पर मुझे दुख तो है, लेकिन गलत रास्ते का अंजाम यही होना था.

एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर नाम
बता दें कि हुर्रा के खिलाफ जिलेभर के थाने में कई मामले दर्ज थे. हुर्रा वग मलैंगिर एरिया कमेटी का सदस्य भी रहा. इसके बाद उसका ट्रांसफर कटेकल्याण प्रमोशन के साथ कर दिया गया. उसे डिप्टी कमान्डर भी बना दिया गया था. हरा प्लाटून नंबर 26 का सदस्य था. वहीं भीमा मंडावी की मौत का आरोपी भी था. हुर्रा का नाम एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर है.

सीसी मेम्बर की है मौजूदगी
पुलिस का कहना है कि कुन्ना-डब्बा के जंगलों में सेंट्रल कमेटी के सदस्यों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. नक्सली रमन्ना देव और गणेश उइके मौजूद थे. यहां के जंगल में मुठभेड़ बैठक चल रही थी. सभी नक्सली सादे वर्दी में थे, इसलिए पुलिस को बड़ी सफलता नहीं मिल पाई. पुलिस को शक हुआ कि हुर्रा ग्रामीण वेश-भूषा में वाकी-टाकी लेकर घूम रहा था. पुलिस को देख उसने गोली चलाई और वाकी-टॉकी से बात करते हुए भागा. पुलिस की फायरिंग में हुर्रा मारा गया.

एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव
एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव

एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव ने बताया कि हुर्रा हेड कांस्टेबल सोनू कडती का मौसेरा भाई था. उसे मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई प्रयास हुए थे, लेकिन वह नहीं माना.

Intro:
मारा गया 5 लाख का इनामी हेडकांस्टेबल का भाई था
- 26 नंबर का प्लाटून कमांडर गुमियापाल का था रहने वाला
- कांस्टेबल ने बयां किया मौसेरे भाई की मौत पर अपना दर्द
- एन आई ए की सूची में 24 नंबर पर है नाम, विधायक भीमा मंडावी के हत्याकांड का था आरोपी
दंतेवाड़ा। कटेकल्याण थाना क्षेत्र के कुन्ना- डब्बा के जंगलों में हुई मुठभेड़ में हुर्रा नाम का नक्सली मारा गया। हुर्रा के मरने का दर्द एक पुलिस जवान को भी है। इसके पीछे वजह साफ है कि दोनों एक साथ खेले और बड़े हुए थे। गुमिया पाल का रहने वाला सोनू कड़ती डीआरजी में हेड कांस्टेबल है। उसने बताया कि हुर्रा उसकी सगी मौसी का लड़का था। पुलिस भर्ती होने के दौरान हुर्रा ने मना किया था कि वह पुलिस के लिए का ना करे। उसकी बात नही मानी। हुर्रा गलत रास्ते पर चला गया, इसके बाद मुलाकात नही हुई। लेकिन परिजनों को सचेत करता रहा कि हुर्रा एक दिन पुलिस की गोली से मारा जाएगा। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी पत्र लिखवाए ताकि पुलिस पर विश्वास कर मुख्य धारा में लौ आये। उसने एक बात नही मानी। परिजनों से खुद भी मिलने गया। हुर्रा को जब यह पता चला तो उसने घरवालों से कह दिया था कि जब भी आमना- सामना होगा तो गोली पहचानेगी नही किस पर चल रही। कुन्ना-डब्बा की मुठभेड़ में पुलिस की गोली से भाई की जान चली गई। उसकी मौत पर दुख तो है ,लेकिन हश्र तो गलत रास्ते का यही होना था।
एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर नाम, प्लाटून 26 का सदस्य
हुर्रा के खिलाफ जिले भर के थानों में कई मामले दर्ज है। वग मलैंगिर एरिया कमेटी का सदस्य भी रहा। इसके बाद उसका ट्रांसफर कटेकल्याण प्रोमाशंन के साथ कर दिया गया। उसे डिप्टी कमान्डर बना दिया गया था। हरा प्लाटून नंबर 26 का सदस्य था। भीमा मंडावी की मौत का मामले का आरोपी भी है। एनआईए की लिस्ट में 24 नंबर पर नाम है।
सीसी ममेम्बर की है मौजूदगी



Body:पुलिस का कहना है कि कुन्ना- डब्बा के जंगलों में सेंट्रल कमेटी के सदस्यों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। रमन्ना, देव जी और गणेश उइके मौजूद थे। यहां के जंगल मे मुठभेड़ बैठक चल रही थी। सभी नक्सली सादा वर्दी में थे इस लिए पुलिस को बड़ी सफलता नही मिल पाई। पुलिस को शक टैब हुआ हुर्रा ग्रामीण वेश- भूषा में वाकी टाकी ले कर हम रहा था। पुलिस को देख उसने गोली चलाई और वाकी टॉकी से बात करते भागा। पुलिस की फायरिंग में हुर्रा मारा गया। कई माओवादियों की गोली नही लगी है। नक्सली बड़े नेता एक बार फिर बाख निकले।


Conclusion:एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव ने बताया कि हेड कांस्टेबल सोनू कडती का मौसेरा भी था हुर्रा। उसको मुख्य धारा में जोड़ने के कई प्रयास किये गए थे, लेकिन वह नही माना।
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