दंतेवाड़ा: अबूझमाड़, आपके दिमाग में नक्सली और नजर के सामने आतंक की तस्वीर घूम गई होगी. ऐसा हो भी क्यों न अबूझमाड़ का नाम सुर्खियों में तभी आता है, जब यहां कोई बड़ा नक्सली हमला होता है. लेकिन हम आपको इस घने जंगल की ऐसी तस्वीर से रूबरू कराते हैं, जो तपती गर्मी में पहली बारिश जैसी है.
दंतेवाड़ा जिले के 4 बच्चों ने JEE मेंस में क्वालीफाई किया है. इन 4 बच्चों में से एक अबूझमाड़ का रहने वाला है. अबूझमाड़ जहां नक्सलियों का डेरा है, वहां से निकले इस बच्चे संतुराम कुंजाम की कहानी बहुत संघर्ष और दर्दभरी है. इसने परिस्थितियों के साथ-साथ अपने परिवार से भी लड़ाई लड़ी. इसका तो परिवार भी नहीं चाहते था कि ये पढ़ाई करे.
जितना बड़ा संघर्ष, उतनी बड़ी सफलता
संतुराम कुंजाम बताता है कि पिता ने छोड़ दिया, मां ने दूसरी शादी कर ली. जब भी पढ़ता मां कहती पैसे नहीं हैं गाय, बैल चराओ. वो आगे कहता है कि जब भी वो जंगल मवेशी चराने जाता, किताबें साथ ले जाता.
संतुराम कुंजाम ने बताया कि उसके चाचा राजू रकम कुंजाम ने पढ़ते देखा तो 6 वीं क्लास में बारसूर आश्रम में पढ़ने भेज दिया. यहां वो आठवीं तक पढ़ा, अच्छे नंबर आये और छूलो आसमां में चयनित हुआ. इधर प्रबंधन ने उसपर पूरा ध्यान दिया. इस होनहार ने बताया कि वो सिर्फ पढ़ता रहा. संतुराम कहता है कि मुझे नहीं मामूल था कि कौन सी रैंक लाऊंगा लेकिन पास हो जाऊंगा इतना भरोसा था.
'एक ही सपना है डर दहशत मुक्त हो गांव अपना'
संतुराम कुंजाम कहता है कि अब एक ही सपना है किसी तरह अबूझमाड़ की तस्वीर बदले. गांव में डर दहशत का माहौल बना हुआ. छात्र का कहना है कि ये तस्वीर सिर्फ शिक्षा से बदल सकती है. इसके लिए वहां के बच्चों की पढ़ाई जरूरी है. बच्चे पढ़ेंगे नौकरी मिलेगी तो स्वस्थ माहौल तैयार होगा.
छूलो आसमां संस्था में जिले के प्रतिभावान बच्चों का चयन कर तालीम दी जा रही है. जिला प्रशासन इस संस्था का सहयोग कर रहा है. अब इसके बड़े सार्थक परिणाम आ रहे हैं. चार बच्चों ने JEE मेंस क्लियर किया है. इन बच्चों की अब आगे की पढ़ाई का खर्चा भी जिला प्रशासन वहन करेगा.