दंतेवाड़ा: जिले में सड़कों का जाल बिछने लगा है. गांव वालों का सालों पहले देखा सड़क का सपना अब पूरा हो रहा है. कोरोना महामारी के बावजूद गांवों में सड़क निर्माण की रफ्तार बढ़ी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क बनने से गांवों का भी विकास हो रहा है.
जिले में शासन-प्रशासन और पुलिस जवानों की मदद से वनांचल क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ाने के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है. अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित जिला होने और दूरस्थ अंचल के गांवों में आवागमन की असुविधा को ध्यान में रखते हुए, जिला प्रशासन की पूरी टीम जिसमें DRG, CRPF जवानों की मदद से सड़क निर्माण का काम पूरा किया गया. सड़क निर्माण का काम लोक निर्माण विभाग की तरफ से किया जा रहा है. विभाग की टीम को वहां पहुंचने में काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा. कभी नक्सलियों का डर तो कभी जंगली जानवर नदी-पहाड़ का खतरा रहा. लेकिन पूरी टीम अपने इरादों से नहीं हारी और सड़क निर्माण में लगी रही. PWD की टीम को जवानों की सुरक्षा मिले. इसकी बदौलत सड़क बनकर तैयारी हो गई. जिससे अब दूरस्थ गांव के लोग जिला मुख्यालय से जुड़ गए हैं.
जिस सड़क को नक्सलियों ने कर दिया था बर्बाद वो जवानों की सुरक्षा में फिर बनी, घर लौटने लगे ग्रामीण
28 पुल-पुलियों का निर्माण
पल्ली से बारसूर मार्ग जिसकी लंबाई 21 किलोमीटर है. अबूझमाड़ से लगे हिस्सों में सड़क निर्माण के साथ ही 28 पुल-पुलियों का निर्माण करवाया गया. सुकमा की तरफ से काम नहीं होने पर दंतेवाड़ा जिले को काम ट्रांसफर कर अरनपुर से जगरगुण्डा- कोण्डासांवली मार्ग बनाया गया. जिसकी लंबाई 1160 किलोमीटिर है. जिसे 4 भागों में बांटकर काम किया गया. दोनों ही क्षेत्र जिले के सघन नक्सल प्रभावित अति संवेदनशील क्षेत्र है. जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन, दन्तेवाड़ा जिला के सहयोग से लोक निर्माण विभाग ने साहस का परिचय देते हुए काम किया. बाकी क्षेत्रों में काम अभी निर्माणाधीन है.
गांवों तक सड़क पहुंचने से ग्रामीण खुश
सड़क बनने से अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को कोसों दूर पैदल चलना नहीं पड़ेगा. उनके गांव तक 108 और 102 एंबुलेंस पहुंच रही है. साथ ही साथ सड़क बनने से गांव में अब PDF की दुकान खुल गई है. स्वास्थ्य केंद्र खोले जा रहे हैं. आंगनबाड़ी और स्कूल भी खोले गए हैं. जिससे गांव का विकास हो रहा है.