दंतेवाड़ा: जिले में लोन वर्राटू अभियान से प्रेरित होकर नक्सलियों के समर्पण का सिलसिला जारी है. आए दिन नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. इसी कड़ी में 2 इनामी नक्सलियों सहित तीन नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. (Reward Naxalites surrendered in Dantewada ) समर्पित नक्सलियों के नाम दशरथ उर्फ कोटलू माड़वी और मंगडू नुप्पो है.
दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए लोन वर्राटू हब में जानिए क्या है खास ?
दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी (Dantewada SP Siddharth Tiwari) नक्सली संगठन में सक्रिय नक्सलियों से लगातार आत्मसमर्पण कर सम्मानपूर्वक जीवन जीने की अपील कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि मंगलवार को भैरमगढ़ एरिया कमेटी अन्तर्गत ग्राम जपमरका डीएकेएमएस अध्यक्ष दशरथ उर्फ कोटलू माड़वी और मलांगेर एरिया कमेटी के अन्तर्गत रेवाली पंचायत के एबीएस अध्यक्ष मंगडू नुप्पो ने आत्मसमर्पण कर दिया. नुप्पो पर दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक ने 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था. लोन वर्राटू अभियान के तहत अबतक 515 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. जिनमें से 127 इनामी नक्सली हैं.
क्या है लोन वर्राटू अभियान
लोन वर्राटू गोंडी शब्द है. इसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने गांव के नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
लोन वर्राटू अभियान की खास बातें
- इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस-प्रशासन रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
- सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है.
- सरेंडर नक्सली अपने गांव, पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
- यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
- इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
- लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है.