दंतेवाड़ा: बस्तर में पौराणिक काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक आदिवासी समाज के लोग हर साल क्षेत्र में कम वर्षा होने के कारण या अधिक वर्षा होने पर भीमसेन देव की शरण में पहुंचते हैं. 84 गांव के लोग इकट्ठा होकर अपने-अपने गांव का पानी हांडी में लेकर पहुंचते हैं.
यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. मान्यता है कि भीमसेन देव की शरण में जाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर 84 गांव का पानी समर्पित करने पर अच्छी बारिश होती है. भीमसेन देव को मनाने से जिले में सूखा नहीं पड़ता. खेती-किसानी के लिए अच्छी बारिश होती है. फसल भी अच्छी होती है. जिससे सुख-समृद्धि आती है और लोग खुशहाल रहते हैं.
दंतेवाड़ा की जीवन दायिनी नदी शंखिनी-डंकिनी, जानिए क्यों पड़ा नदी का ये नाम ?
हर साल कम या ज्यादा बारिश होने पर 84 गांव के लोग उदेला पहाड़ पहुचंते हैं और भीमसेन देव के स्वरूप में विराजमान पत्थर को हिलाते हैं और विशेष पूजा करते हैं. 84 गांव के लोग हरगांव से थोड़ा-थोड़ा पानी लाकर भीमसेन देव के ऊपर सामूहिक रुप से अर्पित करते हैं.
बस्तर संभाग में पिछले सालों की तुलना में इस बार काफी कम बारिश हुई है. इधर पूरे बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा बारिश सुकमा जिले में हुई है. यहां औसत बारिश जहां 719.5 मिमी है. वहीं 1 जून से लेकर 17 अगस्त तक 1044.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है. जो औसत का 40 फीसदी बताया जा रहा है. इसके अलावा दंतेवाड़ा और बस्तर जिले में औसत से कम बारिश हुई है. कोंडागांव और नारायणपुर जिले में अल्पवर्षा 20 फीसदी से कम है. इसलिए उन जिलों को अलग रखा गया है. जबकि 4 जिलों में काफी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है. एक जनू से अब तक दंतेवाड़ा में 744.1 मिमी बारिश दर्ज की गई है.