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दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए लोन वर्राटू हब में जानिए क्या है खास ?

दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए देश का पहला लोन वर्राटू हब तैयार किया गया है. इस हब में सरेंडर नक्सलियों को आवास, शिक्षा और रोजगार की सभी सुविधाएं मिलेगी.

Loan Verratu Hub for Surrender Naxalites in Dantewada
दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए लोन वर्राटू हब
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Published : Feb 3, 2022, 8:24 PM IST

दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए देश का पहला लोन वर्राटू हब बनकर तैयार है. इस लोन वर्राटू हब में 100 आवास बनाए गए हैं. जो कुछ दिनों में समर्पित नक्सलियों को एलॉट किए जाएंगे. घरों के साथ ही गौठान और बच्चों के लिए आंगनबाड़ी सेंटर भी बनाया गया है. जहां सरेंडर नक्सली खुशहाल जीवन जी सकेंगे. आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए ये पहल देश में रोल मॉडल साबित होगी.

दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए लोन वर्राटू हब

नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए दंतेवाड़ा प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब होता है 'आओ घर लौट चलें' ये अभियान काफी सफल हो रहा है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 500 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिनमें 124 इनामी नक्सली है. इस अभियान की वजह से नक्सलगढ़ की तस्वीर बदलने लगी है. नक्सलियों पर लगाम लगाने छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन की तरफ से एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरेंडर नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू हब की शुरुआत हो रही है. जहां सरेंडर नक्सली अपने परिवार के साथ आम लोगों की तरह जीवनयापन कर सकेंगे.

लोन वर्राटू हब में आवास, गौठान, आंगनबाड़ी की सुविधा

लोन वर्राटू हब में आवास, गौठान, आंगनबाड़ी के साथ ही 20 दुकानें और एक शासकीय बैंक भी खोला जा रहा है. कल्चरल प्रोग्राम के लिए मंच भी बनाया जाएगा. नक्सलियों के डर से जिन ग्रामीणों को घर छोड़ना पड़ता है उनके लिए हॉल बनाया जाएगा. इस हब में युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

बस्तर में लोन वर्राटू अभियान से लाल आतंक को लगा झटका, नक्सली वारदात में भी आई कमी

सरेंडर कर चुके नक्सलियों का बनवाया पहचान पत्र

ETV भारत ने लोन वर्राटू हब का जायजा लिया. साथ ही सरेंडर नक्सलियों से बात कर हब के बारे में उनकी राय ली. सरेंडर नक्सली गंगाराम बघेल ने बताया कि 'नक्सली संगठन में बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. परिवार से दूर रहकर बड़े लीडरों का आदेश का पालन करते हुए रोड काटना, ब्लास्ट करना, बैनर-पोस्टर लगाना जैसे कामों को अंजाम देना होता है. नक्सली रहने के दौरान उन्होंने कई स्कूल भवनों को भी तोड़ा. जब सरेंडर नक्सलियों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मुख्यधारा से जुड़कर बेहतर जीवन बिताया जा सकता है. संपर्क में आने के बाद हम लोगों ने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. जिसका फायदा यहां मिल रहा है. हमें रहने के लिए घर दिया गया है. हमारे आधार कार्ड बनाए गए हैं. राशन कार्ड बनाए गए हैं. मनचाहा रोजगार दिया जा रहा है. हम जिन स्कूलों को तोड़ते थे अब उन्हीं स्कूलों का निर्माण कर रहे हैं. परिवार के साथ जीवन बिता रहे हैं'.

दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी (Dantewada Superintendent of Police Siddharth Tiwari) ने बताया कि 'जिले में छत्तीसगढ़ सरकार ने सालभर पहले लोन वर्राटू अभियान की शुरुआत की थी. जिसमें अच्छी सफलता मिली है. छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपये दिया जाता है. इसके साथ आवास, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड बनाकर खाता खुलवाया जाता है. लोन वर्राटू पार्ट-टू समर्पित नक्सलियों का मूल्यांकन किया है. जिसमें पाया गया कि '250 समर्पित नक्सलियों के पास ना तो आधार कार्ड थे ना राशन कार्ड. प्रशासन की मदद से उनका राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाया गया. जिससे उन्हें एक नई पहचान मिली है. वह अब शासन की चलाई जा रही योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं'.

क्या है लोन वर्राटू अभियान, जिसके तहत नक्सली लगातार कर रहे सरेंडर

क्या है लोन वर्राटू अभियान (What is Lone Verratu Campaign)

लोन वर्राटू गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

लोन वर्राटू अभियान की खास बातें (Highlights of Lone Verratu Campaign)

  • इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
  • सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
  • सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
  • यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है और इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
  • इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
  • लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है और इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.

दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए देश का पहला लोन वर्राटू हब बनकर तैयार है. इस लोन वर्राटू हब में 100 आवास बनाए गए हैं. जो कुछ दिनों में समर्पित नक्सलियों को एलॉट किए जाएंगे. घरों के साथ ही गौठान और बच्चों के लिए आंगनबाड़ी सेंटर भी बनाया गया है. जहां सरेंडर नक्सली खुशहाल जीवन जी सकेंगे. आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए ये पहल देश में रोल मॉडल साबित होगी.

दंतेवाड़ा में सरेंडर नक्सलियों के लिए लोन वर्राटू हब

नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए दंतेवाड़ा प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब होता है 'आओ घर लौट चलें' ये अभियान काफी सफल हो रहा है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 500 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. जिनमें 124 इनामी नक्सली है. इस अभियान की वजह से नक्सलगढ़ की तस्वीर बदलने लगी है. नक्सलियों पर लगाम लगाने छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन की तरफ से एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरेंडर नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू हब की शुरुआत हो रही है. जहां सरेंडर नक्सली अपने परिवार के साथ आम लोगों की तरह जीवनयापन कर सकेंगे.

लोन वर्राटू हब में आवास, गौठान, आंगनबाड़ी की सुविधा

लोन वर्राटू हब में आवास, गौठान, आंगनबाड़ी के साथ ही 20 दुकानें और एक शासकीय बैंक भी खोला जा रहा है. कल्चरल प्रोग्राम के लिए मंच भी बनाया जाएगा. नक्सलियों के डर से जिन ग्रामीणों को घर छोड़ना पड़ता है उनके लिए हॉल बनाया जाएगा. इस हब में युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

बस्तर में लोन वर्राटू अभियान से लाल आतंक को लगा झटका, नक्सली वारदात में भी आई कमी

सरेंडर कर चुके नक्सलियों का बनवाया पहचान पत्र

ETV भारत ने लोन वर्राटू हब का जायजा लिया. साथ ही सरेंडर नक्सलियों से बात कर हब के बारे में उनकी राय ली. सरेंडर नक्सली गंगाराम बघेल ने बताया कि 'नक्सली संगठन में बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. परिवार से दूर रहकर बड़े लीडरों का आदेश का पालन करते हुए रोड काटना, ब्लास्ट करना, बैनर-पोस्टर लगाना जैसे कामों को अंजाम देना होता है. नक्सली रहने के दौरान उन्होंने कई स्कूल भवनों को भी तोड़ा. जब सरेंडर नक्सलियों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मुख्यधारा से जुड़कर बेहतर जीवन बिताया जा सकता है. संपर्क में आने के बाद हम लोगों ने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. जिसका फायदा यहां मिल रहा है. हमें रहने के लिए घर दिया गया है. हमारे आधार कार्ड बनाए गए हैं. राशन कार्ड बनाए गए हैं. मनचाहा रोजगार दिया जा रहा है. हम जिन स्कूलों को तोड़ते थे अब उन्हीं स्कूलों का निर्माण कर रहे हैं. परिवार के साथ जीवन बिता रहे हैं'.

दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी (Dantewada Superintendent of Police Siddharth Tiwari) ने बताया कि 'जिले में छत्तीसगढ़ सरकार ने सालभर पहले लोन वर्राटू अभियान की शुरुआत की थी. जिसमें अच्छी सफलता मिली है. छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपये दिया जाता है. इसके साथ आवास, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड बनाकर खाता खुलवाया जाता है. लोन वर्राटू पार्ट-टू समर्पित नक्सलियों का मूल्यांकन किया है. जिसमें पाया गया कि '250 समर्पित नक्सलियों के पास ना तो आधार कार्ड थे ना राशन कार्ड. प्रशासन की मदद से उनका राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाया गया. जिससे उन्हें एक नई पहचान मिली है. वह अब शासन की चलाई जा रही योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं'.

क्या है लोन वर्राटू अभियान, जिसके तहत नक्सली लगातार कर रहे सरेंडर

क्या है लोन वर्राटू अभियान (What is Lone Verratu Campaign)

लोन वर्राटू गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

लोन वर्राटू अभियान की खास बातें (Highlights of Lone Verratu Campaign)

  • इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
  • सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
  • सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
  • यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है और इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
  • इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
  • लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है और इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.
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