दंतेवाड़ा: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत से दंतेवाड़ा में पदस्थ स्वास्थ्यकर्मी ममता पॉल ने अपना वर्षों का अनुभव साझा किया. जिले के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ ममता पॉल 27 वर्षों से जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं.
अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान ममता पॉल कहती हैं कि जब उन्होंने दंतेवाड़ा में नौकरी ज्वाइन की थी, तब जिले को नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. उस समय आए दिन नक्सली घटनाएं होती रहती थीं. उन विषम परिस्थितियों में अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीण में शिक्षा का अभाव होने के कारण सही स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती थी. महिलाएं विषम परिस्थितियों में सही उपचार नहीं होने के कारण बहुत सी समस्याओं से जूझती आ रही थीं.
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बदल रही तस्वीर
पहले कम संख्या में ही महिलाएं सही उपचार करा पाती थीं. धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलती गई. सरकार और जिला प्रशासन की पहल से शिक्षा का स्तर सुधारने लगा. इसका परिणाम है कि आज दंतेवाड़ा जिले के अंदरूनी क्षेत्रों की महिलाएं स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में आगे आईं हैं. अंदरूनी क्षेत्र की बालिकाएं आज के दौर में नर्सिंग के क्षेत्र में ट्रेनिंग ले रही हैं. जिले के अंदरूनी क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही हैं. यानी कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले की तस्वीर पहले के मुकाबले बदली है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत के माध्यम से ममता पॉल ने अंदरूनी क्षेत्र की महिलाओं को संदेश दिया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाएं आगे आएं. जिला प्रशासन द्वारा दिए जा रहे सहयोग से अपने सपनों को साकार करें.