दंतेवाड़ा : कटे कल्याण के कुन्ना-डब्बा के जंगल में हुई मुठभेड़ में नक्सली हुर्रा मारा गया. नक्सली हुर्रा का पोस्टमार्टम शनिवार को हुआ. नक्सली हुर्रा का शव लेने सरपंच सहित परिवार के अन्य सदस्य भी पहुंचे हुए थे. इस दौरान मां रोती रही, वहीं पिता गुमसुम बैठा रहा.
हुर्रा का बड़ा भाई जोगा ने कहा कि वह बचपन से ही नक्सली संगठन से जुड़कर काम करने लगा था. नक्सल संगठन से जुड़े उसे करीब 10 साल बीत गए थे. इस कदम को उठाने के बाद से हुर्रा कभी वापस लौट कर नहीं आया. परिजनों की समझाइश के बाद भी उसने कभी मुड़कर अपने परिवार को नहीं देखा, बल्कि पार्टी से ही जुड़कर काम करने की बात कहता रहा.
'हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया'
उसके भाई ने यह भी बात कहा कि इसकी जानकारी उन्हें थी कि हुर्रा नक्सल संगठन के लिए काम कर रहा था, लेकिन उसके इनामी नक्सली होने की जानकारी उन्हें बिल्कुल नहीं थी. शुक्रवार शाम को उन्हें खबर मिली कि हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.
'हुर्रा का आना-जाना बहुत कम होता था'
हीरोली संलवार सरपंच का कहना है कि हुर्रा को नक्सली संगठन से जुड़े कई दशक हो गए थे. वहीं हुर्रा का गांव भी बहुत कम आना-जाना होता था और जब भी आता तो कोई उससे बात करने की हिमाकत नहीं कर पाता था. लोग उसी को सुनते थे.