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मां रोती रही, पिता रहा गुमसुम, भाई ने कहा- कभी घर नहीं आता था नक्सली हुर्रा - कटे कल्याण के कुन्ना-डब्बा जंगल

नक्सली हुर्रा का शव पोस्टमार्टम कर उसके परिवार को सौंप दिया गया है. परिवार के लोगों ने हुर्रा की बीती जिंदगी का जिक्र करते हुए बहुत सी बातें बताई.

नक्सली हुर्रा का भाई
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Published : Jul 13, 2019, 8:02 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 10:53 PM IST

दंतेवाड़ा : कटे कल्याण के कुन्ना-डब्बा के जंगल में हुई मुठभेड़ में नक्सली हुर्रा मारा गया. नक्सली हुर्रा का पोस्टमार्टम शनिवार को हुआ. नक्सली हुर्रा का शव लेने सरपंच सहित परिवार के अन्य सदस्य भी पहुंचे हुए थे. इस दौरान मां रोती रही, वहीं पिता गुमसुम बैठा रहा.

कभी घर नहीं आता था नक्सली हुर्रा

हुर्रा का बड़ा भाई जोगा ने कहा कि वह बचपन से ही नक्सली संगठन से जुड़कर काम करने लगा था. नक्सल संगठन से जुड़े उसे करीब 10 साल बीत गए थे. इस कदम को उठाने के बाद से हुर्रा कभी वापस लौट कर नहीं आया. परिजनों की समझाइश के बाद भी उसने कभी मुड़कर अपने परिवार को नहीं देखा, बल्कि पार्टी से ही जुड़कर काम करने की बात कहता रहा.

'हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया'
उसके भाई ने यह भी बात कहा कि इसकी जानकारी उन्हें थी कि हुर्रा नक्सल संगठन के लिए काम कर रहा था, लेकिन उसके इनामी नक्सली होने की जानकारी उन्हें बिल्कुल नहीं थी. शुक्रवार शाम को उन्हें खबर मिली कि हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.

'हुर्रा का आना-जाना बहुत कम होता था'
हीरोली संलवार सरपंच का कहना है कि हुर्रा को नक्सली संगठन से जुड़े कई दशक हो गए थे. वहीं हुर्रा का गांव भी बहुत कम आना-जाना होता था और जब भी आता तो कोई उससे बात करने की हिमाकत नहीं कर पाता था. लोग उसी को सुनते थे.

दंतेवाड़ा : कटे कल्याण के कुन्ना-डब्बा के जंगल में हुई मुठभेड़ में नक्सली हुर्रा मारा गया. नक्सली हुर्रा का पोस्टमार्टम शनिवार को हुआ. नक्सली हुर्रा का शव लेने सरपंच सहित परिवार के अन्य सदस्य भी पहुंचे हुए थे. इस दौरान मां रोती रही, वहीं पिता गुमसुम बैठा रहा.

कभी घर नहीं आता था नक्सली हुर्रा

हुर्रा का बड़ा भाई जोगा ने कहा कि वह बचपन से ही नक्सली संगठन से जुड़कर काम करने लगा था. नक्सल संगठन से जुड़े उसे करीब 10 साल बीत गए थे. इस कदम को उठाने के बाद से हुर्रा कभी वापस लौट कर नहीं आया. परिजनों की समझाइश के बाद भी उसने कभी मुड़कर अपने परिवार को नहीं देखा, बल्कि पार्टी से ही जुड़कर काम करने की बात कहता रहा.

'हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया'
उसके भाई ने यह भी बात कहा कि इसकी जानकारी उन्हें थी कि हुर्रा नक्सल संगठन के लिए काम कर रहा था, लेकिन उसके इनामी नक्सली होने की जानकारी उन्हें बिल्कुल नहीं थी. शुक्रवार शाम को उन्हें खबर मिली कि हुर्रा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.

'हुर्रा का आना-जाना बहुत कम होता था'
हीरोली संलवार सरपंच का कहना है कि हुर्रा को नक्सली संगठन से जुड़े कई दशक हो गए थे. वहीं हुर्रा का गांव भी बहुत कम आना-जाना होता था और जब भी आता तो कोई उससे बात करने की हिमाकत नहीं कर पाता था. लोग उसी को सुनते थे.

Intro:नक्सल संगठन से लौट कर नहीं आना चाहता था हुर्रा, कहता था पार्टी के लिए ही करूँगा काम
- मां रोती रही पिता गुमसुम है भाई ने कहा कभी घर नहीं आता था
दंतेवाड़ा। कटेकल्याण के कुन्ना- डब्बा के जंगल में हुई मुठभेड़ में मरा गया हुर्रा का शनिवार को पोस्टमार्टम हुआ। सरपंच सहित परिजन उसका शव लेने पहुंचे। घर वालों को यह तो मालूम था कि हुर्रा नक्सल संगठन के लिए काम कर रहा है। लेकिन वो पांच लाख का इनामी था इस बात का कतई भान नहीं था।
Body:हुर्रा का बड़ा भाई जोगा बताता है कि वह बचपन से ही नक्सली संगठन में काम करने लगा था। करीब 10 वर्ष पहले उसने यह कदम उठाया। इसके बाद से हुर्रा वापिस लौट कर नहीं आया। उसको परिजनों ने समझया तो बोला पार्टी के लिये ही काम करूँगा। अब वह लौट कर नहीं आएगा। शुक्रवार शाम को खबर मिली की हुर्रा को मुठभेड़ में मार दिया गया। इस लोए सभी उसके शव को लेने पहुंचे।Conclusion:हुर्रा को कौन समझाएगा, उसी को सुनते थे सब
हीरोली संलवार सरपंच का कहना है कि उसे तो एज दसक हो गया नक्सली संगठन में शामिल हुए। हुर्रा गांव बहुत कम आता था। जब भी आया तो कोई उससे बात करने की हिमाकत नहीं कर सकता था। लोग उसी को सुनते थे।
Last Updated : Jul 13, 2019, 10:53 PM IST
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