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ganesh chaturthi 2022: दंतेवाड़ा की पहाड़ियों पर बप्पा की पूजा, करिए ढोलकल गणपति के दर्शन

ganesh chaturthi 2022 दंतेवाड़ा में भगवान गणेश की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है. यह मूर्ति बैलाडीला की पहाड़ियों के ढोलकल श्रेणी पर है.ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजमान विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. Worship of Dholkal ganpati of Dantewada

ganesh chaturthi 2022
ढोलकल गणपति के दर्शन
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Published : Sep 1, 2022, 11:55 PM IST

दंतेवाड़ा: (ganesh chaturthi 2022) दंतेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ियों पर ढोलकल गणपति विराजमान हैं. इस बार गणेशोत्सव पर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है. ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजमान विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. ढोलकल गणेश जी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. (ganesh festival in chhattisgarh)

तीन हजार फीट की उंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित: (ganesh festival in chhattisgarh) दंतेवाड़ा में बैलाडीला की ढोलकल पहाड़ी पर प्रतिमा स्थित है. समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है. गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की बताई जाती है. यही वजह है क‍ि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपत‍ि के नाम से पुकारा जाता है. ढोलकल के आसपास के क्षेत्रों में यह कथा भी सुनने को म‍िलती है क‍ि भगवान गणेश और परशुराम का युद्ध इसी पहाड़ी पर हुआ था. युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत यहां टूट गया. बता दें क‍ि परशुरामजी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा था.

ढोलकल गणपति के दर्शन



छिंदक नागवंशी राजाओं ने स्थापित की थी गणपति की प्रतिमा: ढोलकल पहाड़ी के नीचे बसा क्षेत्र का नाम फरसपाल रखा गया।. कहा जाता है कि छिंदक नागवंशी राजाओं ने पहाड़ी पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापति की. वहीं ढोलकल गणेश की मूर्ति को लेकर इतिहासकार मानते हैं कि इसका निर्माण 11वीं शताब्‍दी में हुआ था. यह प्रत‍िमा उस समय नाग वंश के दौरान बनाई गई थी. 6 फीट ऊंची 2.5 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से अत्‍यंत कलात्मक है. गणेशजी की इस प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में फरसा, ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दांये हाथ में अभय मुद्रा है. इसके अलावा अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बांये हाथ में मोदक धारण किए हुए आयुध के रूप में गणपति भगवान विराजमान हैं.

ये भी पढ़ें: दंतेवाड़ा : यहां प्रकृति की गोद में बसे हैं ढोलकल गणेश, शक्ति के रूप में पूजते हैं आदिवासी



आदिवासी समुदाय भगवान गणेश को मानते हैं रक्षक: स्थानीय आदिवासी एकदंत गणेश जी को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं. उनके अनुसार ढोलकल शिखर के पास स्थित दूसरे शिखर पर देवी पार्वती और सूर्यदेव की भी प्रतिमा स्थापित थी. जो क‍ि तकरीबन 15 साल पहले चोरी हो चुकी है. आज तक चोरी की गई प्रत‍िमा के बारे में कोई जानकारी नहीं म‍िली है. बता दें क‍ि पहाड़ी तक पहुंचने के मार्ग में जंगली जानवरों का भी भय रहता है. लेक‍िन कहते हैं क‍ि वह कभी भी बप्‍पा, दर्शन करने आ रहे भक्‍तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते.

दंतेवाड़ा: (ganesh chaturthi 2022) दंतेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ियों पर ढोलकल गणपति विराजमान हैं. इस बार गणेशोत्सव पर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है. ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजमान विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. ढोलकल गणेश जी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. (ganesh festival in chhattisgarh)

तीन हजार फीट की उंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित: (ganesh festival in chhattisgarh) दंतेवाड़ा में बैलाडीला की ढोलकल पहाड़ी पर प्रतिमा स्थित है. समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है. गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की बताई जाती है. यही वजह है क‍ि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपत‍ि के नाम से पुकारा जाता है. ढोलकल के आसपास के क्षेत्रों में यह कथा भी सुनने को म‍िलती है क‍ि भगवान गणेश और परशुराम का युद्ध इसी पहाड़ी पर हुआ था. युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत यहां टूट गया. बता दें क‍ि परशुरामजी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा था.

ढोलकल गणपति के दर्शन



छिंदक नागवंशी राजाओं ने स्थापित की थी गणपति की प्रतिमा: ढोलकल पहाड़ी के नीचे बसा क्षेत्र का नाम फरसपाल रखा गया।. कहा जाता है कि छिंदक नागवंशी राजाओं ने पहाड़ी पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापति की. वहीं ढोलकल गणेश की मूर्ति को लेकर इतिहासकार मानते हैं कि इसका निर्माण 11वीं शताब्‍दी में हुआ था. यह प्रत‍िमा उस समय नाग वंश के दौरान बनाई गई थी. 6 फीट ऊंची 2.5 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से अत्‍यंत कलात्मक है. गणेशजी की इस प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में फरसा, ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दांये हाथ में अभय मुद्रा है. इसके अलावा अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बांये हाथ में मोदक धारण किए हुए आयुध के रूप में गणपति भगवान विराजमान हैं.

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आदिवासी समुदाय भगवान गणेश को मानते हैं रक्षक: स्थानीय आदिवासी एकदंत गणेश जी को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं. उनके अनुसार ढोलकल शिखर के पास स्थित दूसरे शिखर पर देवी पार्वती और सूर्यदेव की भी प्रतिमा स्थापित थी. जो क‍ि तकरीबन 15 साल पहले चोरी हो चुकी है. आज तक चोरी की गई प्रत‍िमा के बारे में कोई जानकारी नहीं म‍िली है. बता दें क‍ि पहाड़ी तक पहुंचने के मार्ग में जंगली जानवरों का भी भय रहता है. लेक‍िन कहते हैं क‍ि वह कभी भी बप्‍पा, दर्शन करने आ रहे भक्‍तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते.

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