दंतेवाड़ा: दंतेश्वरी फाइटर्स स्लेट पर चॉक से भारत का नया भविष्य लिखने की कोशिश कर रही हैं. फाइटर्स की टीम ने हाथ बढ़ाया तो ग्रामीण इलाकों की महिलाओं का दिल खुल गया. वे अपनी मुश्किलें शेयर करने लगीं. स्वास्थ्य संबंधित तकलीफें हों या मासिक धर्म से संबंधित महिला अफसरों के सामने निजी परेशानियां बताने लगीं. बच्चे पढ़ने आने लगे. इतना ही नहीं फोर्स नक्सल प्रभावित इलाकों में अच्छी सेहत और राशन देने की जिम्मेदारी निभा रही हैं.
बदल रहा बस्तर
हाल ही में फोर्स ने अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग के कमारगुड़ा में नया कैंप खोला है. इस इलाके में अब तक नक्सलियों का कब्जा रहा है. महिला अफसरों को अपने बीच पाकर ग्रामीण महिलाएं बेझिझक पास आईं. बोली-भाषा की दिक्कत को भावनाओं ने दूर कर दिया. कैंप खुलने से ग्रामीणों में अब यह उम्मीद जागी है कि उनके गांव में भी सड़क, स्कूल, अस्पताल बनेंगे.
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हर गांव, कस्बों में पहुंच रही दंतेश्वरी महिला फाइटर्स
नक्सल मोर्चे पर तैनात फोर्स सुरक्षा, विश्वास और विकास के मंत्र पर काम कर रही है. दंतेवाड़ा में पिछले दो साल में नौ नए पुलिस कैंप खुल चुके हैं. इस दौरान फोर्स को ग्रामीणों का विरोध भी सहना पड़ा है. लेकिन धीरे-धीरे तस्वीर बदल रही है. कैंप खुलने और सुविधाएं मिलने से गांववालों का मन बदल रहा है.
ये हैं दंतेश्वरी फाइटर्स
फोर्स यहां के ग्रामीणों के साथ मेलजोल बढ़ाकर उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों का सामान उपलब्ध करा रही है. दंतेश्वरी महिला फाइटर्स भी गांव वालों का विश्वास जीतने में सफल हो रही हैं. उम्मीद करते हैं ये नया उजियारा बस्तर को विकास और शांति की रोशनी से रोशन कर दे.