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मां दंतेश्वरी को क्यों है रेशम की राखी पसंद? जानें, पूरी कहानी

पौराणिक काल से दंतेवाड़ा में एक परंपरा चली आ रही है. इसके अनुसार, हर वर्ष मां दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन से के 1 दिन पहले कच्चे सूत के धागे से तैयार की गई राखी को पूजा अर्चना के साथ मां दंतेश्वरी को बांधी जाती है.

before one day Raksha Bandhan in Dantewada silk rakhi is worn to Maa Danteshwari
मां दंतेश्वरी की पूजा
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Published : Aug 21, 2021, 8:26 PM IST

दंतेवाड़ा: पौराणिक काल से दंतेवाड़ा में एक परंपरा चली आ रही है. इसके अनुसार, हर वर्ष मां दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन के 1 दिन पहले कच्चे सूत के धागे से तैयार की गई राखी को पूजा अर्चना के साथ मां दंतेश्वरी को बांधी जाती है.

यह रस्म हर साल राखी के 1 दिन पूर्व मनाई जाती है. कच्चे धागे से बना रक्षा सूत्र जो दंतेश्वरी मंदिर में दंतेश्वरी माता को बांधा जाता है. उसे मंदिर के सेवादार मादरी राउत भंडारी तुडपा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से बनाता आ रहा है.

before one day Raksha Bandhan in Dantewada silk rakhi is worn to Maa Danteshwari
मां दंतेश्वरी की पूजा

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इस राखी की विशेषता यह है कि इसमें जो धागा इस्तेमाल होता है, उसे रेशम से कातकर निकाला जाता है. उसके बाद मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर इसे नजदीकी माता शीतला माता सरोवर में ले जाया जाता है. जहां पूजा-अर्चना कर धागे को सरोवर के पानी में धोया जाता है. जिसके पश्चात धागे को पुनः मां दंतेश्वरी मंदिर लाए जाता है और उसे एक बांस की टोकरी में रखा जाता है. शाम को रेशम के धागे से बने रक्षा सूत्र की विशेष पूजा की जाती है.

before one day Raksha Bandhan in Dantewada silk rakhi is worn to Maa Danteshwari
मां दंतेश्वरी की पूजा

सभी प्रकार की पूजा अर्चना पूरी होने के बाद चंदन हल्दी निवेदक लगाकर मां दंतेश्वरी को रेशम की डोर बांधी जाती है. साथ ही मंदिर में जितनी भी मूर्तियां हैं उन सब के ऊपर सेवादारों द्वारा यह रक्षा सूत्र राखी के रूप में बांधी जाती हैं. जिसके बाद राखी को कनकेश्वरी मंदिर के पीछे बने भैरव मंदिर में ले जाकर भैरव बाबा को चढ़ाया जाता है.

दंतेवाड़ा: पौराणिक काल से दंतेवाड़ा में एक परंपरा चली आ रही है. इसके अनुसार, हर वर्ष मां दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन के 1 दिन पहले कच्चे सूत के धागे से तैयार की गई राखी को पूजा अर्चना के साथ मां दंतेश्वरी को बांधी जाती है.

यह रस्म हर साल राखी के 1 दिन पूर्व मनाई जाती है. कच्चे धागे से बना रक्षा सूत्र जो दंतेश्वरी मंदिर में दंतेश्वरी माता को बांधा जाता है. उसे मंदिर के सेवादार मादरी राउत भंडारी तुडपा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सदियों से बनाता आ रहा है.

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मां दंतेश्वरी की पूजा

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इस राखी की विशेषता यह है कि इसमें जो धागा इस्तेमाल होता है, उसे रेशम से कातकर निकाला जाता है. उसके बाद मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर इसे नजदीकी माता शीतला माता सरोवर में ले जाया जाता है. जहां पूजा-अर्चना कर धागे को सरोवर के पानी में धोया जाता है. जिसके पश्चात धागे को पुनः मां दंतेश्वरी मंदिर लाए जाता है और उसे एक बांस की टोकरी में रखा जाता है. शाम को रेशम के धागे से बने रक्षा सूत्र की विशेष पूजा की जाती है.

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मां दंतेश्वरी की पूजा

सभी प्रकार की पूजा अर्चना पूरी होने के बाद चंदन हल्दी निवेदक लगाकर मां दंतेश्वरी को रेशम की डोर बांधी जाती है. साथ ही मंदिर में जितनी भी मूर्तियां हैं उन सब के ऊपर सेवादारों द्वारा यह रक्षा सूत्र राखी के रूप में बांधी जाती हैं. जिसके बाद राखी को कनकेश्वरी मंदिर के पीछे बने भैरव मंदिर में ले जाकर भैरव बाबा को चढ़ाया जाता है.

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