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75 दिनों का बस्तर दशहरा संपन्न, मां दंतेश्वरी की डोली लौटी दंतेवाड़ा - mata danteshwari doli returned to dantewada

मां दंतेश्वरी की डोली वापस घर लौटने से 75 दिनों का बस्तर दशहरा संपन्न हो गया. माता की डोली का दंतेवाड़ा में भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.

मां दंतेश्वरी की डोली वापस घर लौटी
मां दंतेश्वरी की डोली वापस घर लौटी
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Published : Oct 13, 2022, 8:19 AM IST

दंतेवाड़ा: 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा संपन्न हो गया है. मां दंतेश्वरी की डोली दंतेवाड़ा वापस लौट गई है. मां दंतेश्वरी की डोली और छत्र को बस्तर राज परिवार समेत दशहरा समिति के सदस्यों ने विदाई दी. इसी के साथ दशहरा पर्व का समापन हो गया है.

यह भी पढ़ें: करवा चौथ पर राशि के अनुसार करें श्रृंगार, किस रंग की पहनें चूड़ियां और साड़ी

दंतेश्वरी माता की डोली लौटी घर: दरअसल, देर रात माता की डोली और छत्र का दंतेवाड़ा में आगमन हुआ. जिसके लिए टेंपल कमिटी ने पहले से प्रबंध किया था. मां दंतेश्वरी की डोली दंतेवाड़ा पहुंची तो भक्तों ने माता की डोली का भव्य स्वागत किया. माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगलवार रात मां दंतेश्वरी की डोली आवराभाटा स्थित डेरा में विश्राम के लिए रखा गया. दूसरे दिन बुधवार को 4:00 बजे मां दंतेश्वरी की डोली को विधि विधान से पूजा अर्चना कर पुलिस जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

माता की डोली मंदिर में प्रवेश, बस्तर दशहरा संपन्न: इसके बाद दंतेश्वरी माता की डोली को दंतेवाड़ा लाया गया. जगह जगह भक्तगण मौजूद रहे. परंपराई नाच, गाने, ढोल नगाड़ों के साथ माता की डोली को दंतेवाड़ा जय स्तंभ चौक लाया गया जहां मां दंतेश्वरी ने बोधराज देव से मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मांगी. इस दौरान जय स्तंभ चौक स्थित बोधराज देव की मंदिर के पुजारी द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना कर उन्हें सफेद मुर्गा भेट किया गया. बोधराज देव ने माता को मंदिर में प्रवेश करने का परमिशन दे दी. मदन केसरी की डोली और छत्र को धूमधाम से मां दंतेश्वरी मंदिर में प्रवेश कराया गया. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. जिसके साथ ही 75 दिन का होने वाला विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न हो गया.

दंतेवाड़ा: 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा संपन्न हो गया है. मां दंतेश्वरी की डोली दंतेवाड़ा वापस लौट गई है. मां दंतेश्वरी की डोली और छत्र को बस्तर राज परिवार समेत दशहरा समिति के सदस्यों ने विदाई दी. इसी के साथ दशहरा पर्व का समापन हो गया है.

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दंतेश्वरी माता की डोली लौटी घर: दरअसल, देर रात माता की डोली और छत्र का दंतेवाड़ा में आगमन हुआ. जिसके लिए टेंपल कमिटी ने पहले से प्रबंध किया था. मां दंतेश्वरी की डोली दंतेवाड़ा पहुंची तो भक्तों ने माता की डोली का भव्य स्वागत किया. माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगलवार रात मां दंतेश्वरी की डोली आवराभाटा स्थित डेरा में विश्राम के लिए रखा गया. दूसरे दिन बुधवार को 4:00 बजे मां दंतेश्वरी की डोली को विधि विधान से पूजा अर्चना कर पुलिस जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

माता की डोली मंदिर में प्रवेश, बस्तर दशहरा संपन्न: इसके बाद दंतेश्वरी माता की डोली को दंतेवाड़ा लाया गया. जगह जगह भक्तगण मौजूद रहे. परंपराई नाच, गाने, ढोल नगाड़ों के साथ माता की डोली को दंतेवाड़ा जय स्तंभ चौक लाया गया जहां मां दंतेश्वरी ने बोधराज देव से मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मांगी. इस दौरान जय स्तंभ चौक स्थित बोधराज देव की मंदिर के पुजारी द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना कर उन्हें सफेद मुर्गा भेट किया गया. बोधराज देव ने माता को मंदिर में प्रवेश करने का परमिशन दे दी. मदन केसरी की डोली और छत्र को धूमधाम से मां दंतेश्वरी मंदिर में प्रवेश कराया गया. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. जिसके साथ ही 75 दिन का होने वाला विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न हो गया.

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