दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव संपन्न हुआ और 9 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद हो गई. लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने ग्रामीणों को डरा-धमकाकर लोकतंत्र के इस महापर्व में शामिल न होने का खूब दबाव बनाया, लेकिन ग्रामीण भी कहां हार मानने वाले थे, उपचुनाव में 54.15 फीसदी मतदान प्रतिशत ने साबित कर दिया कि जब अपने अधिकार का उपयोग करने की आ जाए तो ये भोले-भाले ग्रामीण किसी से भय नहीं खाता. ये आज का दंतेवाड़ा है, बेखौफ, निडर और जागरूक.
लोकतंत्र के इस महायज्ञ में कई खूबसूरत रंग भी देखने को मिले. कहीं 82 साल के बुजुर्ग दंपति ने उपचुनाव में मतदान कर कर्तव्य निष्ठा और लोकतंत्र पर विश्वास की मिसाल पेश की, तो कहीं वनांचल के हजारों ग्रामीण उफनती नदी को नाव से पार कर वोट डालने पहुंचे. तो वहीं आत्मसमर्पण करने वाले 155 नक्सलियों ने इस महापर्व में शामिल होकर अपने मत का प्रयोग किया और लोगों को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित भी किया.
9 प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई
दंतेवाड़ा उपचुनाव में 9 प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई है, जिनमें कड़ी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच है. जिसमें कांग्रेस ने बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को चुनावी रण में उतारा है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी पर दांव खेला है.
दंतेवाड़ा उपचुनाव में नक्सली अपने नापाक मंसूबों को अंजाम न दे सकें, इसके लिए चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए थे. वहीं 30 ड्रोन्स से आसमान से भी नजर रखी गई. सुरक्षा बल की मेहनत सफल भी हुई और दंतेवाड़ा उपचुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया.
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54.15 फीसदी हुआ मतदान
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा उपचुनाव में अभी तक 54.15 फीसदी मतदान हुआ है. 30 पोलिंग पार्टियों से संपर्क नहीं हो पाया है, लिहाजा उनके आने पर ये आंकड़ा और बढ़ सकता है.
उपचुनाव को लेकर बीते कई महीनों से जारी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की भागदौड़ आखिरकार खत्म हो गई है. अब देखना होगा कि 27 सितंबर को EVM का पिटारा खुलने पर किसकी नैया डूबती है और कौन दंतेवाड़ा का रण अपने नाम करता है.