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महाशिवरात्रि: यहां दो दिनों तक मनाया जाता है शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व

फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मंदिर बाबा भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठता है. इस महाशिवरात्रि ETV भारत बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा में 2 दिनों तक मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि के बारे में आपको बताएगा.

mahashivratri
महाशिवरात्रि
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Published : Mar 10, 2021, 4:54 PM IST

दंतेवाड़ा : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इस बार 11 मार्च को महाशिवरात्रि है. वहीं ये भी माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रकट हुए थे. यही वजह है कि इसे हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के महापर्व के रूप में मनाया जाता है.

शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व

दंतेवाड़ा के शक्तिपीठ दंतेश्वरी मंदिर में भी खास परंपरा के साथ भगवान शंकर और माता पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि मनाया जाता है. दो दिनों तक अलग-अलग रीती-रिवाजों के साथ भगवान शंकर और माता पार्वती की सेवा और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यही कारण है कि यहां मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि अन्य जगहों से बिलकुल अलग होती है.

Shankney Dakni River
शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर पूजा करने पंहुचे ग्रामीण

माता पार्वती और भगवान शंकर का कराया जाता है विवाह

सिरहा जनजाति के लोग महाशिवरात्रि के 2 दिन पहले भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह कराते हैं. आदिकाल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, दो अलग-अलग पहाड़ियों के ऊपर बांस के देवी-देव की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद देवी-देव को मां दंतेश्वरी मंदिर लाया जाता है.

Yatra
गाजे-बाजे के साथ निकाली गई यात्रा

खास रस्मों के साथ की जाती है पूजा

दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी परमेश्वर नाथ बताते हैं कि हर 3 साल में पारंपरिक रीति-रिवाजों से डोकरा और डोकरी का विवाह कराया जाता है. डोकरा का प्रतिनिधित्व भैरव बाबा करते हैं. वहीं डोकरी का प्रतिनिधित्व मां दंतेश्वरी करती हैं.

mahashivratri celebration in dantewada
2 दिन तक चलने वाली महाशिवरात्रि

छत्तीसगढ़ के 'प्रयागराज' में माता सीता ने विराजे थे कुलेश्वर महादेव !

नाच-गाने के साथ कराते हैं विवाह

ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर प्रांगण के अंदर शिव-पार्वती का विवाह परंपरा के साथ संपन्न कराया जाता है. गांव के लोग मंदिर प्रांगण में नाच-गाना करते हुए विवाह संपन्न कराते हैं.

villagers reached danteshwari temple
मंदिर पहुंचे ग्रामीण

दो दिन तक चलने वाली पूजा की विधि

  • रात को देवी-देव को मां दंतेश्वरी मंदिर में रखा जाता है.
  • दूसरे दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर उन्हें मां दंतेश्वरी के मंदिर के पीछे शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर ले जाकर स्नान कराया जाता है.
  • इसके बाद देवी देव को स्थापित कर मां दंतेश्वरी मंदिर में रखा जाता है.
  • शिवरात्रि के 1 दिन पूर्व मध्य रात्रि को विधि-विधान से 7 बार पूजा की जाती है.
  • शिवरात्रि के दिन बांस से बने देवी-देव जो शिव-पार्वती का स्वरूप हैं, मंदिर में स्थापित किया जाता है. इस दिन शिवरात्रि मनाने के बाद यहां की जात्रा मेलामड़ई की शुरुआत हो जाती है.

दंतेवाड़ा : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इस बार 11 मार्च को महाशिवरात्रि है. वहीं ये भी माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रकट हुए थे. यही वजह है कि इसे हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के महापर्व के रूप में मनाया जाता है.

शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व

दंतेवाड़ा के शक्तिपीठ दंतेश्वरी मंदिर में भी खास परंपरा के साथ भगवान शंकर और माता पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि मनाया जाता है. दो दिनों तक अलग-अलग रीती-रिवाजों के साथ भगवान शंकर और माता पार्वती की सेवा और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यही कारण है कि यहां मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि अन्य जगहों से बिलकुल अलग होती है.

Shankney Dakni River
शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर पूजा करने पंहुचे ग्रामीण

माता पार्वती और भगवान शंकर का कराया जाता है विवाह

सिरहा जनजाति के लोग महाशिवरात्रि के 2 दिन पहले भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह कराते हैं. आदिकाल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, दो अलग-अलग पहाड़ियों के ऊपर बांस के देवी-देव की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद देवी-देव को मां दंतेश्वरी मंदिर लाया जाता है.

Yatra
गाजे-बाजे के साथ निकाली गई यात्रा

खास रस्मों के साथ की जाती है पूजा

दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी परमेश्वर नाथ बताते हैं कि हर 3 साल में पारंपरिक रीति-रिवाजों से डोकरा और डोकरी का विवाह कराया जाता है. डोकरा का प्रतिनिधित्व भैरव बाबा करते हैं. वहीं डोकरी का प्रतिनिधित्व मां दंतेश्वरी करती हैं.

mahashivratri celebration in dantewada
2 दिन तक चलने वाली महाशिवरात्रि

छत्तीसगढ़ के 'प्रयागराज' में माता सीता ने विराजे थे कुलेश्वर महादेव !

नाच-गाने के साथ कराते हैं विवाह

ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर प्रांगण के अंदर शिव-पार्वती का विवाह परंपरा के साथ संपन्न कराया जाता है. गांव के लोग मंदिर प्रांगण में नाच-गाना करते हुए विवाह संपन्न कराते हैं.

villagers reached danteshwari temple
मंदिर पहुंचे ग्रामीण

दो दिन तक चलने वाली पूजा की विधि

  • रात को देवी-देव को मां दंतेश्वरी मंदिर में रखा जाता है.
  • दूसरे दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर उन्हें मां दंतेश्वरी के मंदिर के पीछे शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर ले जाकर स्नान कराया जाता है.
  • इसके बाद देवी देव को स्थापित कर मां दंतेश्वरी मंदिर में रखा जाता है.
  • शिवरात्रि के 1 दिन पूर्व मध्य रात्रि को विधि-विधान से 7 बार पूजा की जाती है.
  • शिवरात्रि के दिन बांस से बने देवी-देव जो शिव-पार्वती का स्वरूप हैं, मंदिर में स्थापित किया जाता है. इस दिन शिवरात्रि मनाने के बाद यहां की जात्रा मेलामड़ई की शुरुआत हो जाती है.
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