दंतेवाड़ा: कोरोना काल में जिले में ग्राम स्वरोजगार योजना ग्रामीणों के लिए सहारा बनकर उभरी है. योजना के तहत 50 ग्राम पंचायत के 165 पात्र ग्रामीणों को चयन किया गया. ग्रामीणों को ग्राम स्वरोजगार के तहत एक दुकान और 50 हजार रुपए का ऋण दिया गया है. योजना के शुरू में 24 ग्राम पंचायतों के 86 हितग्राहियों का चयन किया गया था. वहीं दूसरे फेज में 79 हितग्राहियों का चयन कर योजना का लाभ दिया गया.
इस तरह हितग्राहियों का हुआ चयन
दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी (Dantewada Collector Deepak Soni) के मार्गदर्शन में जिले में हितग्राहियों को चुनने का काम शुरू किया गया था. योजना के तहत सर्वे दल ने गांवों में जाकर सर्वे किया. सर्वे में गावों मे बेरोजगारी की स्थिति, बेरोजगारों की संख्या, बेरोजगारों के विभिन्न कार्यो में दक्षता का आकलन उनके विभिन्न रोजगार के प्रति लगाव की जानकारी को जमा किया गया. जानकारियों का विश्लेषण कर गांवों में रोजगार की उपलब्धता और संभावनाओं पर कार्य योजना निर्माण कर ’ग्राम स्वरोजगार’ पर कार्य शुरू किया गया. शुरू में जिला प्रशासन ने सभी ब्लॉक के 5-5 पंचायतों को इन योजना से जोड़ा था. जिसमें 20 पंचायतों के कुल 121 हितग्राहियों को शामिल किया गया था. सभी चयनित 20 पंचायतों में जाकर सरपंच, सचिव आदि की उपस्थिति में हितग्राहियों की कांउसलिंग की गई थी.
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नक्सल प्रभावित गांवों पर ज्यादा फोकस
योजना के शुरुआत में नक्सल प्रभावित गांवों को रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए चुना गया था. नक्सल प्राभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को इसका लाभ पहुंचाया गया. नक्सल प्रभावित इन ग्राम पंचायतों में केसापुर, कुम्हाररास, मेढोली, चितालंका, बड़े हड़मा मुडा, श्यामगिरी, निलावाया से हितग्राहियों का चयन किया गया. इसी तरह हलबारास हीरानार, आलनार, मासोढ़ी, बड़े तुमनार, चेरपाल, कारली, हारम, बागांपाल, कासोली, बारसूर, भूसारास , टेटम, तेलम, गाटम, बेगरूल, परचेली, पखनाचुआं, ऐटेपाल, बड़ेबेड़मा, मोखपाल, कटेकल्याण, बड़े गुडरा, चदेनार, गामावाड़ा, चितालुर, नेटापुर, फरसपाल, गोटपाल, समलूर, समेली, गढ़मिरी में रहने वाले ग्रामीणों को भी योजना का लाभ दिया गया.
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10 से15 हजार रुपये प्रति माह कमा रहे हितग्राही
जिला प्रशासन के ’ग्राम स्वरोजगार’ योजना का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है. उनकी दैनिक आवश्यताओं की पूर्ति उनके गांव में ही रही है. बेरोजगारों को स्वरोजगार के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है. योजना से कम से कम गांव और परिवार के बीच रहते हुए 5 हजार से 10 हजार रुपए महीना लाभ कमा रहे हैं. इस योजना के जरिए ग्रामीणों को फायदा मिल रहा है.